इसके अलावा मतांतरण कानून के प्रावधान सख्त कर और प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता व पारदर्शिता कायम रखने के लिए नकलरोधी कानून लाकर उन्होंने अपनी पहचान को और पुख्ता किया।
महत्वपूर्ण यह कि भाजपा के संकल्प पत्र में भी धामी सरकार की इस पहल को जगह दी गई है। दैनिक जागरण के उत्तराखंड के स्टेट ब्यूरो चीफ विकास धूलिया से उन्होंने चुनावी संभावनाओं, दलबदल, मंत्रियों-विधायकों की सक्रियता समेत तमाम विषयों पर विस्तृत बातचीत की। बातचीत के प्रमुख अंश...
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इस चुनाव में प्रदेश के मतदाता के सामने कौन खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री धामी या फिर प्रत्याशी?
जवाब: इस बार नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए मतदाता कृत संकल्प हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सारे काम हुए हैं। ऐसे में यहां के लोग भी उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए हर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा के प्रत्याशियों को जिताएंगे।
आपकी कैबिनेट में आधे सदस्य कांग्रेस की पृष्ठभूमि के हैं। भाजपा का दावा है कि पिछले कुछ सप्ताह में 15 हजार लोग भाजपा में शामिल हुए हैं, इनमें विधायक, पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक भी हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि इससे वर्तमान विधायक व निष्ठावान कार्यकर्ताओं में बैचेनी हो?
जवाब: जो भी पार्टी में शामिल हो रहे हैं, वे किसी शर्त के साथ शामिल नहीं हो रहे हैं। वे भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा, प्रधानमंत्री की नीतियों के साथ ही राज्य सरकार के कार्य से प्रभावित होकर विकास कार्यों को आगे बढ़ने के लिए जुड़ रहे हैं।
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के 10 विधायक भाजपा में शामिल हुए। उन्हें अथवा उनके स्वजन को टिकट और अधिकांश को मंत्री पद भी मिला?
जवाब: तब परिस्थितियां अलग थीं, अब अलग हैं। भारतीय जनता पार्टी एक रीति-नीति और पद्धति के हिसाब से चलने वाली पार्टी है। जो भी आ रहे हैं उन्हें भाजपा के हिसाब से ही चलना पड़ेगा।
हाल में आपने पार्टी में शामिल होने वालों की स्क्रीनिंग की बात कही?
जवाब: हां, प्रदेश अध्यक्ष से कहा था कि वे एक मानक जरूर बना लें। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बात सामने आ रही थी कि कुछ लोग डर के कारण आ रहे हैं, जांच के भय के कारण आ रहे हैं।
अपने दो कार्यकाल के वे प्रमुख कार्य और उपलब्धियां आप क्या मानते हैं, जिन पर मतदाता भाजपा को समर्थन देंगे?
जवाब: हमने विधानसभा चुनाव के समय राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। मतदाता ने इस पर हमें बहुमत दिया। हमने अपना वादा निभाया और राष्ट्रपति ने भी इसे स्वीकृति दे दी है। सख्त नकलरोधी कानून के कारण विगत दो वर्षों में राज्य गठन के बाद हुई नियुक्तियों से अधिक नियुक्तियां हुई हैं। सभी पारदर्शिता व बिना नकल के हुई हैं। यह एक मॉडल के रूप में बन गया है।
दंगा रोकने के लिए हमने एक कानून बनाया है। अब दंगा या उपद्रव करने वालों से संपत्ति की क्षति की वसूली होगी। मतांतरण कानून के प्रावधान सख्त किए गए हैं। राज्य में अतिक्रमण हटाने का काम किया है। लैंड जिहाद चल रहा था।हमने चार हजार एकड़ से अधिक जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई है। महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया है। चार प्रतिशत खेल कोटा शुरू किया गया है। आंदोलनकारियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित किया है।
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बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। इसे नियंत्रित करने में आपकी सरकार कितना सफल रही है? -
जवाब: आंकड़े बताते हैं कि बेरोजगारी दर पहले से कम हुई है। रोजगार देने में उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो रहा है।
कांग्रेस ने अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीर भर्ती को मुद्दा बनाने की कोशिश की। जवाब में भाजपा ने देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत का कांग्रेस द्वारा अपमान की बात मतदाता तक पहुंचाई है?
जवाब: दिवंगत जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस थे। आकस्मिक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई, तो पूरे देश की क्षति हुई। कांग्रेस ने उन्हें कभी वर्दी वाला गुंडा कहा, कभी गली का गुंडा कहा। कांग्रेस के किसी भी नेता ने, चाहे वह उत्तराखंड का हो अथवा देश का, इसका खंडन नहीं किया। उत्तराखंड के लोग इस बात को भूले नहीं हैं।
सैन्य बहुल उत्तराखंड में वन रैंक, वन पेंशन क्या चुनावी मुद्दा बना है?
जवाब: 40 सालों तक वन रैंक वन पेंशन की मांग होती रही। मैं स्वयं एक सैनिक का बेटा हूं और मैंने इस चीज को नजदीक से देखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे लागू किया। सैनिकों को मिलने वाली वर्दी, उपकरण, बूट की लंबे समय से मांग थी, लेकिन कांग्रेस के शासनकाल में पूरी नहीं हुई। सेना को उस समय कठिन परिस्थितियों के बीच परेशानी का सामना करना पड़ा।
आपने लोकायुक्त चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कब तक राज्य को लोकायुक्त मिलने की संभावना है?
जवाब: लोकायुक्त चयन के लिए एक बैठक हो चुकी है। इसके तुरंत बाद लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। अब आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाएगी।
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