'घरवाली ने किसे वोट दिया यह जानना भी मुश्किल', प्रत्याशियों की कुंडली पर हुई चर्चा तो मक्का काट रहे किसान ने क्यों कही ये बात?
पूर्णिया जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित केनगर प्रखंड के गंगेली गांव में बाली से ऊपर के पौधे को काटने व कटवाने में जुटे महिला-पुरुष किसान विराम के पल में एक जगह पर जुटे थे। महिला किसान ललिता देवी भारती देवी व अनिता देवी के साथ-साथ मनोज कुमार यादव व संतोष यादव भी मौजूद थे। इस बीच ही चुनावी धूम चरम रहने पर चर्चा छिड़ गई।
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। Lok Sabha Election 2024: सभी जानते हैं कि सीमांचल की खुशहाली का आधार मक्के की फसल अब पकने लगी है। बाली से ऊपर की पराली पशुओं के चारा के लिए कटने लगी है। अब पौधे से बाली को कोई लाभ-हानि नहीं होने वाला है, इसलिए बाली के ऊपर के पौधे के अंश की कटाई तेजी से हो रही है। बहियारों में भी हलचल बढ़ गई है।
मंगलवार को जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित केनगर प्रखंड के गंगेली गांव के बहियार में भी बाली से ऊपर के पौधे को काटने व कटवाने में जुटे महिला-पुरुष किसान विराम के पल में एक जगह पर जुटे थे। महिला किसान ललिता देवी, भारती देवी व अनिता देवी के साथ-साथ मनोज कुमार यादव व संतोष यादव भी मौजूद थे। मक्का कटाई के बीच ही चुनावी धूम चरम रहने पर चर्चा छिड़ गई।
'प्रत्याशियों की कुंडली खुली तो...'
स्थानीय प्रत्याशियों की कुंडली पर भी रोशनी पड़ने लगी। हाई स्कूल तक की शिक्षा ग्रहण कर खेती करने वाले मनोज कुमार यादव ने दिल्ली तक की बात शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी चर्चा होने लगी। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की मजबूती की बात शुरू होती है और पांच किलो अनाज पर आकर लोगों से कनेक्ट कर जाती है। चर्चा महंगाई पर भी उठती है तो राहुल की सादगी और सच्चाई तक पहुंच जाती है।यह भी पढ़ें -Chunavi किस्सा: एक छात्र जो अपने घर से दिल्ली UPSC का इंटरव्यू देने आया और सांसदी का टिकट लेकर लौटा; फिर...
किसका वोट किसे मिलेगा?
गांव का वोट किधर जाएगा के सवाल पर सभी हंसने लगे। संतोष यादव ने कहा कि यह बात कौन बताएगा! अब पहले वाली बात तो रही नहीं कि एक जिधर गया, झुंड उधर चला जाएगा। अब तो घरवाली ने किसे वोट दिया, यह जानना भी मुश्किल होता है। इस पर हंसी का भी दौर चला। चर्चा गंभीर भी हुई।उदास मन से मनोज यादव ने कहा कि जो हो किसानों की हित की अनदेखी सब दिन से होती रही है। अब मक्का को ही लीजिए, मक्का कटने की रफ्तार बढ़ते ही बाजार हिलने लगेगा। बाजार का कोई भरोसा ही नहीं है।यह भी पढ़ें -कांग्रेस प्रत्याशियों में सोनिया और प्रियंका की खरगे व राहुल से ज्यादा मांग; राजस्थान में कहां-कहां हुए इन नेताओं के दौरे?