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Lok Sabha Election 2024: किला भेदने के लिए तोड़ना होगा पहले चरण का चक्रव्यूह, जानिए किस राज्य में क्या है सियासी समीकरण

Lok Sabha Election 2024 महासमर 2024 के लिए भीषण घमासान शुरू होने जा रहा है जिसके लिए सभी राजनीतिक दल मैदान में उतर चुके हैं। लेकिन दिल्ली फतह करने के लिए पहले चरण का चक्रव्यूह भेदना होगा। यह चरण चुनाव की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। जानिए इस चरण में किन राज्यों में होगा मतदान और कहां पर क्या है सियासी समीकरण।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 05 Apr 2024 09:30 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। भाजपा और विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए, दोनों के लिए पहले चरण का मतदान काफी अहम साबित हो सकता है। 370 सीटों का लक्ष्य पार करने के लिए भाजपा को पहले चरण में 2019 के आम चुनाव के अपने प्रदर्शन को सुधारना होगा। वहीं, विपक्षी दल अगर बाकी के चरणों में दबाव बनाकर रखना चाहते हैं, तो पहले चरण में सीटें बचानी ही होंगी।

राजस्थान और उत्तराखंड में भाजपा को लगातार दो बार 2014 व 2019 में सौ प्रतिशत सीटें मिली हैं। इस बार फिर इसे दोहराने की चुनौती है। पूर्वोत्तर भारत में भाजपा और दक्षिण भारत में विपक्ष का दबदबा था। उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने की चुनौती रहेगी। जानें पहले चरण में राज्यवार क्या है स्थिति।

उत्तर प्रदेश: पश्चिम की आठ सीटें हैं बहुत अहम

सबसे दिलचस्प मुकाबला उत्तर प्रदेश में पहले चरण की आठ सीटों पर होने वाला है। 2019 में वैसे तो भाजपा सहयोगियों के साथ उत्तर प्रदेश की 80 में 64 सीटें जीतने में सफल रही थी, लेकिन पहले चरण में पड़ने वाली पश्चिम उत्तर प्रदेश की आठ सीटों में से उसे पांच पर हार का सामना करना पड़ा था।

2019 में बसपा और सपा के गठबंधन का सबसे अधिक असर यहीं देखने को मिला था, लेकिन इस बार समीकरण बदल चुके हैं। सपा और बसपा अलग-अलग हैं।

पिछली बार सपा के साथ रहने वाला राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) इस बार भाजपा के साथ है। जाहिर है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण 2019 से अलग हैं, ऐसे में भाजपा की नजर यहां पर अधिक से अधिक सीटें हासिल करने पर होगी।

राजस्थान-उत्तराखंड : प्रदर्शन दोहराने की चुनौती

राजस्थान की 12, उत्तराखंड की सभी पांच, महाराष्ट्र की पांच, मध्य प्रदेश की छह और पूर्वोत्तर भारत की 13 सीटों पर भाजपा को अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती होगी। 2019 में भाजपा उत्तराखंड और राजस्थान की सभी सीटें जीतने में सफल रही थी।

भाजपा को उत्तराखंड में 2014 में 55.9 प्रतिशत और 2019 में 61.7 प्रतिशत वोट मिले थे। इसी तरह से राजस्थान में 2014 में 55.6 प्रतिशत और 2019 में 59 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए इस बार 70 प्रतिशत वोट पाने का लक्ष्य दिया है।

महाराष्ट्र: किसका पलड़ा भारी

महाराष्ट्र की जिन पांच सीटों पर पहले चरण में मतदान होने हैं, वहां भाजपा चार सीटों पर 2019 में जीती थी। इसी चरण में नागपुर में नितिन गडकरी का फैसला भी ईवीएम में कैद हो जाएगा। वहां शिवसेना और राकांपा में टूट और अजीत पवार और एकनाथ शिंदे के भाजपा के साथ आने, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के कांग्रेस से साथ रहने के बाद राजनीतिक समीकरण उलझ गया है।

वैसे कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को जारी घमासान और बड़े नेताओं के पाला बदलकर भाजपा नेतृत्व वाले महायुति के जुड़ने से फिर इस बार मुकाबला कांटे का हो गया है। हालांकि, पहले चरण में ही साफ हो जाएगा कि महागठबंधन और महायुति के बीच किसका पलड़ा भारी पड़ेगा।

मध्य प्रदेश

इस बार मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा की सीट में भी कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि भाजपा यहां पर काफी जोर लगा रही है। मध्य प्रदेश में जिन छह सीटों पर पहले चरण में मतदान होना है, 2019 में उनमें से सिर्फ छिंदवाड़ा कांग्रेस जीती थी।

लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के करीबियों के पाला बदलकर भाजपा में आने से इस बार कांग्रेस के लिए छिंदवाड़ा में मुकाबला उतना आसान नहीं रहा है। मध्य प्रदेश में भाजपा 2019 में 29 में से 28 सीटें जीतने में सफल रही थी।

बंगाल में भी पहले चरण की तीन सीटों कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में 2019 में भाजपा जीती थी और इस बार भी यहां मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। इसके अलावा पहले चरण में लक्षद्वीव, जम्मू-कश्मीर और अंडमान और निकोबार की एक-एक सीटों पर भी मतदान होना है।

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तमिलनाडु: चौंकाने वाले नतीजों का दावा

तमिलनाडु और पुडुचेरी की 40 सीटों पर पिछली बार जीरो पर आउट हुई भाजपा इस बार बेहतर प्रदर्शन के लिए पूरा जोर लगा रही है। पीएम मोदी यहां चौंकाने वाले नतीजे आने का दावा कर रहे हैं।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अन्नामलाई की मेहनत, छोटे-छोटे नौ दलों से गठबंधन के साथ ही कच्चातिवू जैसे मछुआरों के जीवनयापन से जुड़े मुद्दे के माध्यम से भाजपा ग्राफ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। खुद पीएम राज्य में भाजपा की बाहरी पार्टी की छवि को तोड़कर तमिल संस्कृति व अस्मिता के रक्षक के रूप में आम जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, पुराने सहयोगी एआइएडीएमके के अलग होने की कमी खलेगी। एआइएडीएमके के अलग होने से अधिकांश सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा, जिसका फायदा डीएमके और कांग्रेस गठबंधन को हो सकता है।

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पूर्वोत्तर: परिसीमन से बदले समीकरण

पहले चरण में पूर्वोत्तर में असम की पांच सीटों पर मददान होगा। असम की बाकी बची चार सीटों पर तीसरे चरण में मतदान होना है। पूर्वोत्तर भारत में कांग्रेस को 2019 में केवल चार सीटें मिली थीं। अब दोनों खेमों में बीच अपनी-अपनी सीटें बढ़ाने की चुनौती है। गौरतलब है कि असम में परिसीमन के बाद सभी सीटों के चुनावी समीकरण बदल गए हैं और पुरानी की जगह कई नई सीटें बन गई हैं।

किस राज्य की कितनी सीटों पर चुनाव

  • पुडुचेरी - 1
  • मिजोरम -1
  • मेघालय - 2
  • मध्य प्रदेश -6
  • मणिपुर - 2
  • महाराष्ट्र - 5
  • अरुणाचल प्रदेश - 2
  • असम - 5
  • बिहार - 4
  • छत्तीसगढ़ - 1
  • जम्मू-कश्मीर - 1
  • लक्षद्वीप - 1
  • राजस्थान - 12
  • सिक्किम - 1
  • तमिलनाडु - 39
  • त्रिपुरा - 1
  • उत्तराखंड - 5
  • उत्तर प्रदेश - 8
  • बंगाल - 3
  • नगालैंड - 1
  • अंडमान निकोबार - 1
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