Lok Sabha Election 2024: पहली बार आरजेडी ने मुस्लिम प्रत्याशियों से किया किनारा, NDA ने जताया भरोसा, आखिर क्या थी वजह?
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब सबकी नजरें वोटों की गिनती पर टिकी हुई हैं। इस चुनाव में जातियों की जबरदस्त गोलबंदी सामने आई है। पहली बार आरजेडी ने मुस्लिम प्रत्याशियों से किनारा किया है। जबकि राजग ने मुस्लिम उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। इसके पीछे क्या कारण है और किस रणनीति के तहत टिकट बंटवारा हुआ?
अरुण अशेष जागरण, पटना। लोकसभा चुनाव के परिणाम से परख होगी कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की रणनीति आज भी कारगर है या समय के साथ इसके प्रभाव में कमी आई है। राजद ने उम्मीदवारी के चयन में 1991 सामाजिक आधार को फिर से हासिल करने का प्रयास किया है।
इसे जातियों की संख्या के आधार पर हिस्सेदारी के रूप में देख सकते हैं। गठबंधन के सभी पांच दलों को उनके सामाजिक आधार के अनुसार टिकट देने की सलाह दी गई। कांग्रेस को नौ सीटें मिलीं। इनमें सात सामान्य हैं। इनपर तीन सवर्ण, दो मुस्लिम, एक अति पिछड़ा और एक कुशवाहा उम्मीदवार बनाए गए।
सिर्फ दो सवर्णों को टिकट
राजद ने अपने कोटे से सिर्फ दो सवर्णों को टिकट दिया। इनमें एक भूमिहार और एक राजपूत हैं। महागठबंधन के 40 में पांच उम्मीदवार सवर्ण हैं। इनमें तीन भूमिहार, एक ब्राह्मण और एक राजपूत हैं। 2019 में इनकी संख्या नौ थी। लक्ष्य यह कि 1991 के लोकसभा चुनाव की तरह अगड़े-पिछड़े के बीच गोलबंदी हो जाएगी। देखना होगा कि यह लक्ष्य किस हद तक हासिल हो पाया।निषादों का वोट ट्रांसफर हो गया
हां, 2019 की तुलना में एमवाई समीकरण से इतर की कुछ जातियों की उम्मीदवारी में भागीदारी बढ़ाकर अवधारणा बनाने का जो प्रयास किया गया, उसका प्रभाव चुनाव प्रचार के दौरान जन चर्चाओं में देखा गया। एक- कुशवाहा इस बार महागठबंधन के साथ हैं।
दो- वैश्य वोटर भाजपा से अलग होकर महागठबंधन से जुड़ गए। तीन - विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी के महागठबंधन में आ जाने से निषादों का पूरा वोट स्थानांतरित हो गया।
राजग से महागठबंधन में चला गया वोट
इसके लिए 2019 की तुलना में महागठबंधन के उम्मीदवारों की सूची में व्यापक बदलाव किया गया। 2019 में दो कुशवाहा और एक दागी उम्मीदवार थे। इस बार कुशवाहा उम्मीदवारों की संख्या सात हो गई। पिछली बार के एक के बदले तीन वैश्य उम्मीदवार बनाए गए।
निषाद दो थे। एक रह गए। प्रचार ऐसा किया गया कि इन तीनों महत्वपूर्ण सामाजिक समूहों का पूरा वोट राजग से महागठबंधन में चला गया।