Move to Jagran APP

नए अवतार में शिवराज सिंह चौहान, 'पांव-पांव वाले भैया' और 'मामा' के बाद दिल्ली में नई पारी को तैयार

Lok Sabha Election 2024 हर मौकों पर अपनी छवि को बदलकर नई पहचान स्थापित करने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान अब दिल्ली में नई पारी को तैयार हैं। विदिशा में पांव-पांव वाले भैया की बनी पहचान के बाद सख्त सीएम और बाद में उनको मिली मामा की छवि को पूरा देश जानता है। शिवराज सिंह ने अब अपने आपको नए अवतार में ढाल लिया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Thu, 02 May 2024 08:35 PM (IST)
Hero Image
लोकसभा चुनाव 2024: नए अवतार में मामा। (फाइल फोटो)
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नए अवतार में दिख रहे हैं। तीन दशक बाद शिवराज सिंह एक बार फिर विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।

विदिशा से राजनीति की शुरूआत और अब उसी सीट पर वापसी के मध्य शिवराज सिंह के कई अवतार देखने को मिले। उम्मीद जताई जा रही है कि उनकी नई राजनीतिक यात्रा की शुरुआत नई दिल्ली की तरफ होगी। यही वजह है कि उन्होंने अब अपने आपको नए अवतार में ढाल लिया है।

यह भी पढ़ें: जब यूपी में ग्वालियर की राजमाता ने फैलाई झोली... दहेज में मांगी जीत, लोगों ने बदले में जो दिया वो इतिहास बन गया

सीएम के रूप में बनाई नई पहचान

1991 में शिवराज सिंह चौहान ने पहली बार विदिशा से लोकसभा का चुनाव जीता था। तब उनकी छवि पांव-पांव वाले भैया की थी। मगर 2005 में जब वे पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो शिवराज सिंह ने अपने काम से नई छवि स्थापित की। लाडली लक्ष्मी जैसी योजना से मध्य प्रदेश की देश में अलग पहचान बनाई। बाद में कई राज्यों ने इस योजना को अलग-अलग नामों से लागू किया।

जब बने प्रदेश के मामा

शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में महिला केंद्रित कई योजनाओं की शुरुआत की। बालिकाओं की शिक्षा और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजनाओं ने उन्हें मामा के रूप में नई पहचान दी। अब मामा ही शिवराज की पहचान है।

क्या आड़े आई मामा की छवि?

मध्य प्रदेश से बाहर जाने में शिवराज सिंह के सामने प्रदेश से लगाव और मामा की छवि आड़े आती रही है। वे मध्य प्रदेश को मंदिर और खुद को पुजारी बता चुके हैं। बतौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गरीब, किसान, महिलाओं और आदिवासियों से सीधा संवाद करने की छवि के साथ मामा के रूप में पूरे देश में पहचान बना ली। 2013 विधानसभा चुनाव के बाद वे पांचवीं बार मुख्यमंत्री नहीं बन सके। मौजूदा समय में वे एक विधायक के रूप में सिमट कर रह चुके हैं।

बहुत जल्द नई भूमिका के लिए खुद को तैयार कर लिया

शिवराज के स्वभाव को देखकर लग रहा था कि वह कभी अवसाद में हैं, तो कभी नेतृत्व के सामने तनकर खड़ा होने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन इसे समय की नब्ज पकड़ना कहेंगे कि बहुत ही जल्दी उन्होंने अपने आप को नई भूमिका के लिए तैयार कर लिया। खुद को सहज करने के लिए उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र और प्रदेश के दौरे किए। कभी खेत में ट्रैक्टर चलाकर तो कभी लाड़ली बहनों के बीच जाकर खुद को व्यस्त रखा।

मामा है गदगद

राज्य की राजनीति में बड़े जनाधार वाले नेता शिवराज को निपटाना भी आसान नहीं है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने जल्दी ही उन्हें लोकसभा चुनाव में विदिशा से टिकट देकर राष्ट्रीय राजनीति में नए अवतार का आधार तैयार कर दिया। इस नए अवतार पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी यह कहकर अपनी मुहर लगा दी है कि हमने शिवराज के साथ काफी काम किया है। अब हम उन्हें दिल्ली ले जा रहे हैं। जाहिर है मामा भी पीएम के इस बदले व्यवहार से गदगद हैं और सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड बनाने के लिए प्रचार में जी जान से जुटे हैं।

आपदा में तलाश लेते हैं अवसर

शिवराज की राजनीतिक यात्रा को करीब से देखने वाले खुलकर कहते हैं कि केंद्र सरकार या केंद्रीय संगठन में शिवराज सिंह चौहान को जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसमें भी वह एक बड़ी लकीर खींचने में कामयाब होंगे। इसकी बड़ी वजह उनकी आपदा में अवसर तलाश लेने की क्षमता है।

कांग्रेस को दिया कड़ा जवाब

अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान लंबे दौर तक शिवराज सिंह चौहान घपले, घोटालों और गड़बड़ी के विपक्ष के आरोपों के आक्रमण को न केवल झेलते रहे, बल्कि उसे कुंद करने में भी कई बार सफलता प्राप्त की। सत्ता में वापसी को दंभ भरने वाली कांग्रेस के बड़े दिग्गजों को भी उन्होंने अपने पाले में लेकर कांग्रेस को कड़ा जवाब दिया।

संगठन पर शिवराज की मजबूत पकड़

संगठन पर मजबूत पकड़ के चलते ही शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय संगठन के सामने मजबूत दीवार की तरह हमेशा डटे रहे। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अपने साथ दिल्ली ले जाते हैं, तो वहां भी शिवराज सिंह अपना सियासी कद कम होने नहीं देंगे।

यह भी पढ़ें: चुनाव आयोग सख्त: कहा- सर्वे के नाम पर वोटरों का रजिस्ट्रेशन बंद करें राजनीतिक दल, सभी प्रत्याशियों को भी दिया निर्देश