Lok Sabha Election 2024: क्या हैट्रिक लगा पाएंगे केंद्रीय मंत्री आरके सिंह? सामने है सुदामा प्रसाद की चुनौती, जानिए आरा सीट का पूरा समीकरण
Lok Sabha Election 2024 बिहार की आरा लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है। केंद्रीय मंत्री आरके सिंह तीसरी बार यहां से चुनाव मैदान में हैं। आईएनडीआईए से भाकपा माले प्रत्याशी सुदामा प्रसाद से हैं। आरके सिंह को जहां अपने कामों और पीएम मोदी के नाम पर भरोसा है तो वहीं सुदामा प्रसाद को जातीय समीकरण का सहारा है।
कंचन किशोर, जागरण, आरा। बिहार का आरा संसदीय क्षेत्र पूरे देश में जोश और जुनून के लिए जाना जाता है। राज्य से फौज और अर्द्धसैनिक बलों में जाने वाले सबसे ज्यादा युवा यहीं से होते हैं। वीरता और जोश का यह मिश्रण लोकसभा चुनाव में भी दिख रहा है। यहां से भाजपा प्रत्याश केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह (राजकुमार सिंह) जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं। उनका सीधा मुकाबला आईएनडीआईए से भाकपा माले प्रत्याशी सुदामा प्रसाद से है।
सुदामा प्रसाद की नजर जातीय समीकरण पर
माले से पिछले चुनाव में प्रत्याशी राजू यादव थे, लेकिन इस बार जातीय समीकरण को मजबूत करने के लिए पार्टी ने वैश्य वर्ग के विधायक सुदामा प्रसाद पर दांव लगाया है। एक ओर आरके सिंह विकास और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम के सहारे जीत के प्रति आश्वस्त हैं, दूसरी ओर सुदामा प्रसाद की नजर जातीय समीकरण को अपने पक्ष में करने पर है।
2014 में पहली बार सांसद बने थे आरके सिंह
2014 में मोदी लहर के सहारे पहली बार आरा में भगवा लहराया था। आरके सिंह केंद्रीय गृह सचिव से सेवानिवृत्त होने के बाद सांसद बने। वरिष्ठ नौकरशाह वाली ठसक उनके काम में भी दिखती है। वैचारिक रूप से कांग्रेसी वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर बलराज ठाकुर कहते हैं, आरके सिंह ने न तो जात-पात किया और न ही किसी की व्यक्तिगत पैरवी की। उनकी छवि क्षेत्र में विकास कराने की रही, जिसका लाभ उन्हें मिल रहा है।यह भी पढ़ें: बिहार के इस गांव में 19 साल बाद होगा मतदान! जानिए वजह और ग्रामीणों ने क्या कहा
दूध कारोबारी अखिलेश यादव कहते हैं कि विकास का लाभ कुछ लोगों को हो रहा है, छोटे कारोबारियों का व्यवसाय खत्म हो रहा है। मिल्की मोहल्ला के असलम खान कहते हैं-यह कैसा विकास, जहां युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, सरकारी पदों में कटौती की जा रही है। स्पष्ट है, ‘माय’ ( मुस्लिम-यादव) समीकरण आरा में विकास के तौर-तरीके को सिरे से खारिज करता है, लेकिन अन्य वर्ग अलग राय रखते हैं।
आरा से आरके सिंह चलवाई ट्रेन
क्लब रोड के अमर जायसवाल पटना में एक कंपनी में काम करते हैं और रोज आरा से ट्रेन से आते-जाते हैं। कहते हैं-पहले बक्सर से जो पैसेंजर ट्रेन आती थी, वही आरा वासियों के लिए ड्यूटी ट्रेन कहलाती थी। लोग भेड़-बकरियों की तरह जाते थे। आरके सिंह ने सुबह आरा से पटना के लिए ट्रेन खुलवा दी। इसे लोगों ने नाम भी दे दिया है, आरके सिंह स्पेशल पैसेंजर।