Lok Sabha Election 2024: क्या गोड्डा में जीत का चौका मार पाएंगे निशिकांत? कांग्रेस ने बदला अपना गेंदबाज, जानिए यहां का समीकरण
Lok Sabha Election 2024 झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट पर तीन बार संसदीय चुनाव जीत चुके निशिकांत दुबे चौथी बार मैदान में हैं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ दीपिका पांडेय को टिकट दिया। मगर बाद में उनकी जगह प्रदीप यादव को उतार दिया। प्रदीप 2019 में भी निशिकांत के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प है।
प्रदीप सिंह, जागरण, देवघर। झारखंड के गोड्डा की राजनीतिक पिच पर लगातार तीन मुकाबला जीत चुके भाजपा के निशिकांत दुबे इस बार चौका मारने की उम्मीद के साथ चुनावी मैदान में हैं। इस अनुभवी राजनीतिक खिलाड़ी को रोकने के लिए कांग्रेस ने पहले दीपिका पांडेय को टिकट दिया, पर अंतिम समय में प्रत्याशी बदलते हुए यहां से लगातार लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रदीप यादव को मैदान में उतार दिया। राजनीति के साथ-साथ बतौर क्रिकेटर भी प्रदीप यादव बेहतर खिलाड़ी रहे हैं। वह निशिकांत की गिल्ली उड़ाकर उन्हें आउट करने के
प्रयास में जुटे हैं।
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2019 में भी निशिकांत के सामने चुनाव लड़ चुके प्रदीप
उधर, निशिकांत दुबे कील-कांटे निकालना बखूबी जानते हैं। अपनी बातों को बिना लाग लपेट रखना और प्रतिद्वंद्वियों को उसी की भाषा में जवाब देना उन्हें खूब आता है। इसी खासियत के बूते उनका कद राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा है। कांग्रेस के प्रत्याशी व विधायक प्रदीप यादव 2001 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर एक बार गोड्डा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
वह 2019 के लोस चुनाव में भी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के उम्मीदवार के तौर पर निशिकांत के सामने थे। 2019 में गोड्डा की पोड़ैयाहाट विधानसभा से झाविमो के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
कहां-किसने लगा रहा है जोर
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दुमका में सभा हुई, जबकि 30 मई को राहुल गांधी की सभा होने वाली है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आकर भी भाजपा की टीमें तीनों इलाके में कैंप कर रही हैं। दूसरी ओर कांग्रेस गोड्डा में तथा झामुमो दुमका और राजमहल में जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है। गोड्डा लोस सीट के अंतर्गत छह विस सीटें मधुपुर, देवघर, जरमुंडी, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा आती हैं। इनमें तीन कांग्रेस, दो भाजपा और एक झामुमो के पास हैं।
क्या है यहां का जातीय समीकरण?
गोड्डा लोस सीट पर पिछड़ी जातियों और मुस्लिम समुदाय की बहुलता है। आदिवासी, अनुसूचित जाति और सवर्ण मतदाताओं की गोलबंदी भी जीत-हार में भूमिका निभाती है। भाजपा को यहां पिछड़ी जातियों और सवर्ण मतदाताओं का साथ मिलता रहा है। उधर, कांग्रेस को मुस्लिम और आदिवासी वोट के साथ पिछड़े समाज की कुछ जातियों की गोलबंदी पर भरोसा है।
सब क्लीयर... कोय टक्कर नैय छै
बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर के लोगों का मिजाज भी बनारस जैसा ही है। गोड्डा संसदीय सीट का सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के लिहाज से यहां का राजनीतिक तापमान बढ़ा है तो इसकी वजह भी है। महत्वपूर्ण प्रत्याशी इसी को केंद्र में रखकर अभियान चला रहे हैं। टावर चौक से लेकर बस स्टैंड और घंटाघर के पास थोड़ी देर खड़े हो जाने पर मूड का आभास हो जाता है। जीत-हार के अंतर पर भी बात हो रही है।
स्थानीय सुरेश झा कहते हैं - सर, यहां सब क्लीयर है, कोय टक्कर नैय छै (श्रीमान, यहां सब साफ है। कोई टक्कर नहीं है)। बातचीत में थोड़ा खुलने पर स्पष्ट करते हैं कि उनका आशय निशिकांत दुबे से है। छोटेलाल हेम्ब्रम पास के ही एक गांव में रहते हैं। चुनावी मूड के बारे में पूछने पर थोड़ा झिझकते हैं। इलाके में हुआ काम गिनाते हैं। वह बताते हैं कि पक्का घर मिला है सबको। देवघर में एम्स और हवाई अड्डा बना है। गोड्डा को ट्रेन मिली है।
अदाणी का पावर प्लांट और सीमेंट फैक्ट्री भी खुली है। हमलोग काम देखते हैं। साथ में खड़े मानिक मरांडी का कहना है कि सबकुछ देखकर वोट देंगे। आदिवासियों का भला कौन करेगा, यह देखेंगे।
काम करता हूं, लोगों का स्नेह मिलता है: निशिकांत दुबे
भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे कहते हैं कि यहां के लोगों के लिए काम करता हूं। लोगों का खूब स्नेह मिलता है। सभी लोगों का भरपूर स्नेह और समर्थन मिल रहा है। विकास गांव-गांव तक पहुंचा है और गोड्डा लोकसभा क्षेत्र समेत नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पूरा देश प्रगति कर रहा है।
क्षेत्र में नहीं रहते दुबे, कुछ नहीं किया: प्रदीप यादव
कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव कहते हैं कि सांसद निशिकांत दुबे क्षेत्र में रहते ही नहीं हैं। वह अपना एक काम तो दिखाएं। लोगों से तो कोई रिश्ता नहीं है। दूसरों के काम को ये अपना बताकर गिनाते हैं। प्रदीप दावा करते हैं कि उन्हें क्षेत्र के लोगों का अपार समर्थन मिल रहा है।
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