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Lok Sabha Election 2024: वोटिंग के लिए कितना जरूरी Voter ID कार्ड? मतदाता पहचान पत्र बनने की ये है कहानी

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित किताब लीप आफ फेथ के अनुसार लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 1958 में फोटो पहचान पत्र जारी करने का प्रविधान किया गया था। भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन के छोटे भाई और तत्कालीन कानून मंत्री अशोक कुमार सेन ने 27 नवंबर 1958 को विधेयक संसद के निचले सदन में पेश किया। 30 दिसंबर 1958 को यह विधेयक कानून बन गया।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Fri, 15 Mar 2024 07:50 AM (IST)
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मतदाता पहचान पत्र की शुरुआत 1993 में हुई थी।(फोटो सोर्स: जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Lok Sabha Election 2024। आज लगभग सबके पास मतदाता पहचान पत्र है। ये मतदान के अलावा दूसरी जगहों पर भी पहचान पत्र और एड्रेस प्रूफ के तौर पर काम आता है।

चुनाव में फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र की शुरुआत 1993 में हुई, लेकिन इसे जारी करने का सुझाव पहली बार 1957 में दिया गया था। ये अलग बात है कि कई तरह की मुश्किलों और भारी खर्च के कारण इसे मतदाताओं तक पहुंचाने में तीन दशक से अधिक समय लगा।

ऐसे आया पहचान पत्र का विचार

चुनाव आयोग ने 1962 लोकसभा चुनाव पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि 1957 के आम चुनाव के बाद घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र के सभी मतदाताओं को पहचान पत्र जारी करने का सुझाव दिया गया था। माना गया था कि इससे चुनाव के समय मतदाता की पहचान करने में मदद मिलेगी। बाद में इस पर पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया।

असफल रहा पायलट प्रोजेक्ट

मतदाताओं के लिए फोटो पहचान पत्र जारी करने का पायलट प्रोजेक्ट 1960 में चलाया गया। मौका था कलकत्ता (दक्षिण पश्चिम) लोकसभा के उपचुनाव का। हालांकि, यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हुआ। बड़ी संख्या में महिला मतदाताओं ने पुरुष या महिला छायाकारों से फोटो खिंचवाने से मना कर दिया। बहुत से मतदाता मिले ही नहीं। ऐसे में 10 माह में सिर्फ 2.10 लाख पहचान पत्र ही जारी किए जा सके।

विधेयक में किया गया प्रावधान

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित किताब 'लीप आफ फेथ' के अनुसार लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक, 1958 में फोटो पहचान पत्र जारी करने का प्रविधान किया गया था। भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन के छोटे भाई और तत्कालीन कानून मंत्री अशोक कुमार सेन ने 27 नवंबर, 1958 को विधेयक संसद के निचले सदन में पेश किया। 30 दिसंबर, 1958 को यह विधेयक कानून बन गया।

मतदाता पहचान पत्र का इलेक्ट्रानिक वर्जन

चुनाव आयोग ने 2021 में मतदाता पहचान पत्र का इलेक्ट्रानिक वर्जन (e-EPIC) लांच किया। यह मतदाता पहचान पत्र का सुरक्षित पीडीएफ वर्जन है। इसे संपादित नहीं किया जा सकता है। इसे मोबाइल पर डाउनलोड करके स्टोर कर सकते हैं।

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