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Lok Sabha Election 2024: वामदलों के साथ क्या गलेगी कांग्रेस की दाल? 12 सीटें छोड़ने को तैयार, अगर ऐसा हुआ तो त्रिकोणीय होगा मुकाबला

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल गठजोड़ की कोशिश में जुटे हैं। तृणमूल और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर सहमति नहीं बनने पर अब निगाहें वाममोर्चे पर हैं। इस बीच वाममोर्चे ने भी 16 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। हालांकि अभी 26 सीटों पर एलान बाकी है। वाममोर्चा और कांग्रेस को गठबंधन होने की उम्मीद है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 19 Mar 2024 05:42 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस-वाममोर्चा साथ आए तो बंगाल में होगी त्रिकोणीय लड़ाई।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही पश्चिम बंगाल में चुनावी समीकरण बदलते जा रहे हैं। जब विपक्षी दलों का INDIA गठबंधन बना और राहुल गांधी, ममता बनर्जी व सीताराम येचुरी एक मंच पर आए तो लगा कि बंगाल में इस बार आमने-सामने की लड़ाई देखने को मिलेगी।

अनुमान लगाया जा रहा था कि भाजपा और कांग्रेस-तृणमूल-वाममोर्चा गठबंधन में सीधी टक्कर होगी लेकिन  वाममोर्चा की अगुआई करने वाली माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने दो-टूक कह दिया कि वे बंगाल में तृणमूल से हाथ नहीं मिलाएंगे। इसके बाद कांग्रेस-तृणमूल में गठबंधन की संभावनाएं पैदा हुईं।

गठबंधन में कांग्रेस ने दिखाई दिलचस्पी... मगर नहीं बनी बात

कांग्रेस हाईकमान ने गठबंधन में दिलचस्पी दिखाई। मगर बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी इसके विरोध में हैं। उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने साफ कह दिया कि वे कांग्रेस के लिए दो से अधिक सीटें नहीं छोड़ेंगी। नतीजतन इन दोनों दलों में भी बात नहीं बनी। ममता ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। वहीं गत 10 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विशाल रैली कर अपने 42 प्रत्याशियों को एक मंच पर खड़ा कर दिया।

क्या वाममोर्चा और कांग्रेस में होगा गठबंधन

तृणमूल से बात नहीं बनने पर कांग्रेस-वाममोर्चा में गठबंधन के आसार बने लेकिन कांग्रेस की 'आरंभिक उदासीनता' देख वाममोर्चा ने 16 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, हालांकि बाकी 26 सीटों को लेकर कांग्रेस के लिए दरवाजा खुला रखा। अब सूत्रों से खबर है कि आखिरकार वाममोर्चा-कांग्रेस में बात बनती दिख रही है। इससे आगामी लोकसभा चुनाव में बंगाल में त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकती है।

बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही: मोहम्मद सलीम

माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दैनिक जागरण से बातचीत में दावा किया कि कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है और अगले दो-तीन दिनों में निर्णय ले लिया जाएगा। बंगाल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी इसी तरह के संकेत दिए हैं। इस गठबंधन में फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) के भी शामिल होने की संभावना है।

बता दें कि इन तीनों दलों ने 2021 का बंगाल विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। पहली बार कांग्रेस और वाममोर्चा दोनों का खाता नहीं खुल पाया था। आइएसएफ के हाथ एक सीट लगी थी।

कांग्रेस के लिए 12 सीटें छोड़ने को तैयार वाममोर्चा

सूत्रों के अनुसार वाममोर्चा कांग्रेस के लिए 12 सीटें छोड़ने को तैयार है, जबकि कांग्रेस 14 सीटें चाहती है। कुछ सीटें तय हो चुकी हैं जबकि कुछ को लेकर पेंच फंसा है। इसी तरह आइएसएफ को दो सीटें दी जा सकती हैं। आइएसएफ के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दीकी तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की सीट डायमंड हार्बर से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। माकपा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि नौशाद के वहां चुनाव लड़ने पर पार्टी उनका समर्थन करेगी और अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी।

विपक्षी गठबंधन के एकजुट नहीं होने पर बंटेगा मुस्लिम वोट

बंगाल में तृणमूल, वाममोर्चा व कांग्रेस का अपना-अपना मुस्लिम वोट बैंक है। आइएसएफ भी मुस्लिम मतदाताओं का भारी समर्थन होने का दम भर रही है। ऐसे में तृणमूल और वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन के बीच मुस्लिम वोट बंटने के आसार हैं। इसका सबसे ज्यादा नुकसान तृणमूल को उठाना पड़ सकता है जबकि इससे भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। गौरतलब है कि बंगाल में 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है। 16-17 लोकसभा और 120 से अधिक विधानसभा सीटों पर इनकी भूमिका निर्णायक हैं।

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