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शाही सियासत: कायम है राजपरिवारों का सियासी प्रेम; जानिए विधायक से सीएम बने राजघराने के दिग्गजों को ...

Lok Sabha Election 2024 राजस्थान की राजनीति में पूर्व राजपरिवारों का महत्व अब भी। अपने-अपने क्षेत्र में इन परिवारों की सियासी धमक भी है। कई राजपरिवार सीधे तौर पर राजनीति में नहीं हैं लेकिन सियासी गलियारों में इनका रुतबा कम नहीं है। आज बात राजस्थान के ऐसे ही पूर्व राजपरिवारों की जिनका राजनीति में दखल है। इन परिवारों के लोग सांसद विधायक और मंत्री तक रह चुके हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 01 Apr 2024 01:26 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: राजस्थान में अब भी कायम है पूर्व राजपरिवारों का सियासी प्रेम।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। आजादी के बाद देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान के पूर्व राजपरिवारों की सत्ता लोकतांत्रिक सरकारों के हाथों में है लेकिन अब भी करीब एक दर्जन पूर्व राजपरिवार ऐसे हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

प्रदेश की सत्ता में इनकी पकड़ कायम है। कई पूर्व राजपरिवार तो ऐसे हैं, जिनके हिसाब से पार्टियां टिकट तय करती हैं। हालांकि इन पूर्व राजपरिवारों के सदस्य खुद चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन मतदाताओं में अब भी इनका प्रभाव है।

वहीं कुछ पूर्व राजपरिवारों के सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं। बड़ा सच यह भी है कि इनकी आस्था समय के साथ बदलती रही है। आजादी के बाद प्रदेश के अधिकांश पूर्व राजपरिवारों ने पहले स्वतंत्र पार्टी को समर्थन दिया तो बाद में भाजपा और कांग्रेस के साथ होते गए।

गायत्री देवी ने मजबूत की थी स्वतंत्र पार्टी की जड़ें

पूर्व राजपरिवारों की आस्था समय के साथ बदलती रही है। जयपुर की पूर्व दिवंगत राजमाता गायत्री देवी स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर 1962, 1967 और 1971 में सांसद बनी। हालांकि 1971 के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ स्वतंत्र पार्टी की जड़ें मजबूत करने में गायत्री देवी की बड़ी भूमिका रही।

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डिप्टी सीएम दीया कुमारी भी राज परिवार से

गायत्री देवी के पुत्र दिवंगत भवानी सिंह ने 1989 में जयपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा पर जीत नहीं पाए। भवानी सिंह पुत्री दीया कुमारी वर्तमान में प्रदेश की उपमुख्यमंत्री हैं। इससे पहले वे एक बार सवाईमाधोपुर से विधायक और राजसमंद से सांसद रह चुकी हैं।

धौलपुर राजपरिवार से वसुंधरा का नाता

धौलपुर पूर्व राजपरिवार की सदस्य वसुंधरा राजे दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। वर्तमान में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा झालावाड़ से पांच बार सांसद निर्वाचित हुई। खुद प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हुई तो पुत्र दुष्यंत सिंह को लोकसभा का चुनाव लड़वाया। चार बार सांसद रहे दुष्यंत पांचवी बार भी मैदान में हैं।

सियासत में कोटा राजपरिवार

अलवर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य महेंद्र कुमारी भाजपा के टिकट पर एक बार सांसद रहीं, लेकिन उनके पुत्र जितेंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल होकर दो बार सांसद बने। अभी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं।

कोटा पूर्व राजपरिवार के सदस्य बृजराज सिंह दो बार भाजपा के टिकट पर सांसद रहे। उनके बेटे इज्येराज सिंह भी एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। वर्तमान में उनकी पत्नी कल्पना देवी भाजपा की विधायक हैं।

पांच बार सांसद रहे करणी सिंह

बीकानेर पूर्व राजपरिवार के करणी सिंह पांच बार सांसद रहे, वर्तमान में उनकी पौत्री सिद्धी कुमारी विधायक हैं। भरतपुर पूर्व राजपरिवार के विश्वेंद्र सिंह पहले भाजपा में रहे और फिर कांग्रेस से विधायक बन कर अशोक गहलोत सरकार में मंत्री थे।

विश्वेंद्र सिंह की पत्नी दिव्या सिंह भाजपा से सांसद रही हैं। विश्वेंद्र सिंह के दिवंगत चाचा मानसिंह निर्दलीय विधायक रहे और उनकी चचेरी बहन कृष्णेंद्र कौर भाजपा से विधायक व वसुंधरा सरकार में मंत्री रही हैं।

राजनीति में ये राजपरिवार भी

जोधपुर पूर्व राजपरिवार की सदस्य चंद्रेश कुमारी कांग्रेस से सांसद रही हैं। डूंगरपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य हर्षवर्धन सिंह भाजपा से राज्यसभा सांसद थे। उदयपुर पूर्व राजपरिवार के महाराणा महेंद्र सिंह पहले सांसद रहे तो वर्तमान में उनके पुत्र विश्वराज सिंह विधायक हैं।

खींवसर पूर्व राजपरिवार के सदस्य गजेंद्र सिंह प्रदेश की भाजपा सरकार में चिकित्सा मंत्री हैं। इससे पहले डूंगरपुर,बांसवाड़ा और सीकर के पूर्व राजपरिवारों ने भी समय-समय पर पार्टियों के प्रति अपनी आस्था बदली है।

इनका भी है महत्व

जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह राजनीति में सक्रिय नहीं हैं लेकिन लोकसभा व विधानसभा चुनाव में उनकी निर्णायक भूमिका रहती है। पार्टियां टिकट तय करते समय उनकी सलाह को महत्व देती हैं। वहीं मतदाता भी उनके प्रति आस्था रखते हैं।

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