शाही सियासत: कायम है राजपरिवारों का सियासी प्रेम; जानिए विधायक से सीएम बने राजघराने के दिग्गजों को ...
Lok Sabha Election 2024 राजस्थान की राजनीति में पूर्व राजपरिवारों का महत्व अब भी। अपने-अपने क्षेत्र में इन परिवारों की सियासी धमक भी है। कई राजपरिवार सीधे तौर पर राजनीति में नहीं हैं लेकिन सियासी गलियारों में इनका रुतबा कम नहीं है। आज बात राजस्थान के ऐसे ही पूर्व राजपरिवारों की जिनका राजनीति में दखल है। इन परिवारों के लोग सांसद विधायक और मंत्री तक रह चुके हैं।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। आजादी के बाद देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान के पूर्व राजपरिवारों की सत्ता लोकतांत्रिक सरकारों के हाथों में है लेकिन अब भी करीब एक दर्जन पूर्व राजपरिवार ऐसे हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
प्रदेश की सत्ता में इनकी पकड़ कायम है। कई पूर्व राजपरिवार तो ऐसे हैं, जिनके हिसाब से पार्टियां टिकट तय करती हैं। हालांकि इन पूर्व राजपरिवारों के सदस्य खुद चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन मतदाताओं में अब भी इनका प्रभाव है।
वहीं कुछ पूर्व राजपरिवारों के सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं। बड़ा सच यह भी है कि इनकी आस्था समय के साथ बदलती रही है। आजादी के बाद प्रदेश के अधिकांश पूर्व राजपरिवारों ने पहले स्वतंत्र पार्टी को समर्थन दिया तो बाद में भाजपा और कांग्रेस के साथ होते गए।
गायत्री देवी ने मजबूत की थी स्वतंत्र पार्टी की जड़ें
पूर्व राजपरिवारों की आस्था समय के साथ बदलती रही है। जयपुर की पूर्व दिवंगत राजमाता गायत्री देवी स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर 1962, 1967 और 1971 में सांसद बनी। हालांकि 1971 के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ स्वतंत्र पार्टी की जड़ें मजबूत करने में गायत्री देवी की बड़ी भूमिका रही।
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डिप्टी सीएम दीया कुमारी भी राज परिवार से
गायत्री देवी के पुत्र दिवंगत भवानी सिंह ने 1989 में जयपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा पर जीत नहीं पाए। भवानी सिंह पुत्री दीया कुमारी वर्तमान में प्रदेश की उपमुख्यमंत्री हैं। इससे पहले वे एक बार सवाईमाधोपुर से विधायक और राजसमंद से सांसद रह चुकी हैं।