Election 2024: राजा-रानियों की कर्मभूमि में कंगना की परीक्षा, अबतक 5 राजघरानों के सदस्य कर चुके हैं मंडी का प्रतिनिधित्व
भाजपा ने पहली बार मंडी से किसी महिला एवं सेलिब्रिटी को चुनाव मैदान में उतारा है। कंगना का मुकाबला वर्तमान कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह से होना लगभग तय है। इस सीट पर ठाकुरों के अलावा ब्राह्मणों का दबदबा रहा है। अनुसूचित जाति को एक बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है । उस समय यहां से दो सदस्य चुने जाते थे।
हंसराज सैनी, मंडी। राजा-रानियों की कर्मभूमि रहे मंडी संसदीय क्षेत्र को अभिनेत्री कंगना रनौत ने हाट सीट बना दिया है। वैसे तो राजा-रानियों की वजह से हिमाचल प्रदेश की यह सीट हर चुनाव में चर्चा का विषय रही है, मगर अब अभिनेत्री कंगना रनौत के भाजपा प्रत्याशी बनने से यह और चर्चा में आ गई है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के हालिया बिगड़े बोलों से भी मंडी देशभर में चर्चित हो गई है। मंडी, सुकेत, कुल्लू, कपूरथला और रामपुर बुशहर जैसे पांच राजघरानों के सदस्य इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अब भी पुरानी रामपुर बुशहर रियासत की राजमाता प्रतिभा सिंह यहां की सांसद हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं।
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सेलिब्रिटी पर पहली बार जताया भरोसा
भाजपा ने पहली बार मंडी से किसी महिला एवं सेलिब्रिटी को चुनाव मैदान में उतारा है। कंगना का मुकाबला वर्तमान कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह से होना लगभग तय है। इस सीट पर ठाकुरों के अलावा ब्राह्मणों का दबदबा रहा है। अनुसूचित जाति को एक बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है । उस समय यहां से दो सदस्य चुने जाते थे।
1957 के बाद अनुसूचित जाति के किसी नेता को यहां से टिकट नहीं मिला है। 1951 का पहला चुनाव कपूरथला की राजकुमारी अमृतकौर ने जीता था। वह केंद्र में राज्यमंत्री बनी थीं। 1957 के चुनाव में तत्कालीन मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन सांसद चुने गए थे। 1962 व 1967 के चुनाव में सुकेत रियासत के राजा ललित सेन यहां से निर्वाचित हुए थे।
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1971 में यहां रामपुर बुशहर के राजपरिवार की एंट्री हुई थी। वीरभद्र सिंह ने इस क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना था। 1971 में वह यहां से निर्वाचित हुए थे। 1977 में जनता पार्टी के गंगा सिंह ठाकुर सदस्य बने थे। 1980 में वीरभद्र सिंह ने पिछली हार का बदला ले चुनाव जीता था। 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से ब्राह्मण को पहली बार मैदान में उतारा था।पंडित सुखराम पहली बार चुनाव जीत संसद में पहुंचे थे। वह राजीव मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) भी बने थे। 1989 में भाजपा ने यहां कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह को टिकट दिया था। उन्होंने पंडित सुखराम को पराजित किया था । 1991 में मध्यावधि चुनाव हुए। सुखराम फिर जीते। वह नरसिंह राव सरकार में राज्यमंत्री बने थे। 1998 और 1999 के चुनाव में भाजपा के महेश्वर सिंह विजयी रहे।
2004 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारा था। 2009 में वीरभद्र सिंह, 2013 के उपचुनाव और 2014 के आम चुनाव में प्रतिभा सिंह प्रत्याशी रहीं । 2014 में भाजपा ने यहां रामस्वरूप शर्मा के रूप में ब्राह्मण चेहरा उतारा । वह प्रतिभा सिंह को हरा विजयी हुए थे। 2019 में दो ब्राह्मणों के बीच हुए मुकाबले में बाजी रामस्वरूप शर्मा के हाथ लगी। 2021 का उपचुनाव प्रतिभा सिंह ने जीता।
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