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ममता ने बड़ी मिन्नतें करके लंदन में रहने वाले मालदा मूल के ही इतिहासकार व पूर्व पत्रकार शाहनवाज अली रैहान को मालदा दक्षिण सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। यह शाहनवाज का चुनावी राजनीति में प्रथम-प्रवेश है और सीधे-सीधे मालदा के पितामह माने जाने वाले एबीए गनी खान चौधरी के गढ़ में उनके ही वंशजों से मुकाबला है।
कुनबे का दबदबा, नई राजनीति
गौरतलब है कि, मालदा में 50 के दशक से अब तक गनी खान चौधरी व उनके कुनबे का ही दबदबा कायम रहा है। मगर, अब नई राजनीति करवट ले रही है। वर्ष 1951 से 1980 तक स्वयं गनी खान चौधरी कालियाचक उत्तर एवं सुजापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होते रहे।
वहीं, 1972 से 1977 तक वह पश्चिम बंगाल राज्य सरकार में सिंचाई मंत्री व बिजली मंत्री भी रहे। इस दौरान मालदा जिला की अन्य कई विधानसभा सीटों पर भी उनके ही कुनबे के लोगों की जीत होती रही, जो सिलसिला कुछ प्रभावित हो कर अभी भी जारी है।
केंद्र में मंत्री रहे गनी खान चौधरी
उधर, 1980 से 2004 तक लगातार आठ बार गनी खान चौधरी मालदा के सांसद निर्वाचित हुए। वह केवल सांसद ही नहीं बल्कि भारत सरकार में सांख्यिकी और योजना कार्यान्वयन मंत्री, रेल मंत्री, जल शक्ति एवं नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, और कोयला मंत्री भी रहे।
भाई चार बार से सांसद
14 अप्रैल 2006 को 78 वर्ष की उम्र में अपने निधन तक वह मालदा के सांसद रहे थे। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी उनके भाई अबू हाशेम खान चौधरी ही सांसद निर्वाचित हुए। वह भी बीते चार बार से लगातार सांसद निर्वाचित होते आ रहे हैं।
2019 में किले में लगी सेंध
मगर, बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में गनी खान चौधरी के गढ़ में सेंध लग गई। उनके अजेय किले के एक हिस्से मालदा उत्तर लोकसभा पर भाजपा की जय हो गई। उसी दिन से मालदा में नई राजनीति ने करवट लेनी शुरू कर दी।
मालदा दक्षिण सीट पर टीएमसी की नजर
मालदा उत्तर सीट भाजपा ले गई और अब मालदा दक्षिण सीट पर तृणमूल नजरें गड़ाए हैं। वहीं, भाजपा भी खूब ताल ठोके हुए है।
विदेश से उच्च शिक्षित उम्मीदवार आमने-सामने
मालदा दक्षिण सीट से तीन प्रमुख उम्मीदवारों में से दो विदेश से पढ़े हुए उम्मीदवार आमने-सामने हैं। इस सीट से जैसा कि पहले से ही स्पष्ट था कि उम्र व सेहत के चलते अबू हाशेम खान चौधरी के अवकाश प्राप्त हो जाने के मद्देनजर उनके पुत्र ईसा खान चौधरी ही कांग्रेसी उम्मीदवार होंगे सो तृणमूल कांग्रेस ने भी वैसी ही तैयारी की।
कनाडा में पढ़े ईसा खान चौधरी
मालदा मूल के ईसा खान चौधरी कनाडा से स्नातक हैं तो उनके जवाब में तृणमूल कांग्रेस ने भी मालदा मूल के ही और इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर व पूर्व पत्रकार शाहनवाज अली रैहान को मैदान में उतारा है।
लंदन में रहते हैं शाहनवाज अली
एकेडमिशियन व पूर्व पत्रकार शाहनवाज अली रैहान 42 वर्ष के हैं और अपनी डॉक्टर पत्नी व पुत्री के साथ लंदन में रहते हैं। वैसे, वह मूलरूप से मालदा जिला के कालियाचक दो नंबर ब्लाक के मोथाबाड़ी क्षेत्र के रहने वाले हैं।
भाजपा ने श्रीरूपा मित्रा चौधरी को उतारा
वहीं, तीसरी ओर मालदा के इंग्लिश बाजार की विधायक भाजपा की श्रीरूपा मित्रा चौधरी उर्फ निर्भया दीदी हैं। वह लगातार दूसरी बार इसी सीट से चुनावी मैदान में है। इससे पूर्व 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वह मालदा दक्षिण सीट से ही भाजपा की उम्मीदवार थीं। मगर तब, साढ़े आठ हजार से भी कम मतों के अंतर से उन्हें कांग्रेस के अबू हाशेम खान चौधरी से हार का सामना करना पड़ा था।
मालदा बंटा तो गनी खान कुनबा का प्रभाव भी घटा
वर्ष 2008 में नए परिसीमन के बाद मालदा लोकसभा क्षेत्र दो भागों में विभक्त हो गया। मालदा उत्तर एवं मालदा दक्षिण लोकसभा सीटें अस्तित्व में आईं। मालदा के बंटने के बाद क्रमश: गनी खान चौधरी कुनबे के प्रभाव में कमी आती देखी जा रही है।
जब गनी खान के कुनबे के हाथों से निकला गढ़
वर्ष 2009 और 2014 दोनों लोकसभा चुनाव में मालदा उत्तर सीट से गनी खान चौधरी की भांजी मौसम बेनजीर नूर सांसद निर्वाचित हुईं लेकिन अगली बार उनकी जीत का सिलसिला रुक गया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गनी खान चौधरी का यह गढ़ उनके कुनबे के हाथों से निकल गया।
भाजपा के खगेन मुर्मू यहां के सांसद निर्वाचित हुए। उस चुनाव में कांग्रेस की ओर से गनी खान चौधरी के भाई अबू हाशेम खान चौधरी के पुत्र ईसा खान चौधरी और तृणमूल कांग्रेस की ओर से गनी खान चौधरी की बहन रूबी नूर की पुत्री मौसम बेनजीर नूर आमने-सामने थे।आपस की लड़ाई में दोनों हारे और जीत तीसरे को मिल गई। भाजपा के खगेन मुर्मू 509,524 मत पा कर विजयी हुए। वहीं, तृणमूल कांग्रेस की मौसम नूर को 4,25,236 मत और कांग्रेस के ईसा खान चौधरी को 3,05,270 मत के साथ हार का सामना करना पड़ा।
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