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Lok Sabha Election 2024: चर्चा में महाराष्ट्र की ये लोकसभा सीट, इस बार यहां गायब 'धनुष बाण', सियासी समीकरण ने बढ़ाई दलों की धड़कनें

Lok Sabha Election 2024 इस चुनाव में महराष्ट्र की परभणी लोकसभा सीट की भी चर्चा है। दरअसल इस बार चुनाव में यहां धनुष बाण नहीं देखने को मिलेगा। शिवसेना (यूबीटी) ने इस बार दो बार के सांसद संजय जाधव को टिकट दिया है। उनका नया चुनाव चिह्न ‘मशाल’ है। भाजपानीत महायुति के सीट समझौते में परभणी सीट शिवेसना (शिंदे) के हाथ नहीं आई है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Wed, 24 Apr 2024 09:17 AM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: महाराष्ट्र की परभणी लोकसभा सीट।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र के परभणी लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिमों की आबादी अच्छी-खासी है। इस क्षेत्र में अविभाजित शिवसेना 1989 से ही ‘खान या बान’ (धनुष-बाण का बाण) का नारा देकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सहारे यहां से लोकसभा चुनाव जीतती आई है। इस बीच सिर्फ एक बार 1998 में कांग्रेस यहां से जीत सकी थी। 

मगर अब विभाजन के बाद शिवसेना (यूबीटी) के हाथ से उसका चुनाव चिह्न निकलकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास जा चुका है। साथ ही, महाविकास आघाड़ी का हिस्सा बनने के बाद उद्धव ठाकरे की हिंदुत्वनिष्ठ विचारधारा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। ऐसे में परभणी के बहुसंख्यक मतदाता इस बार किसके साथ खड़े होंगे, ये सवाल बना हुआ है।

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परभणी जिला महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र का हिस्सा है। आजादी से पहले पूरा मराठवाड़ा हैदराबाद के निजाम की रियासत की हिस्सा था। परभणी में 24 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है। यही कारण है कि 1985 के बाद जब शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने हिंदुत्व की राजनीति शुरू की, तो मुंबई के बाहर मराठवाड़ा में ही अपना विस्तार करना शुरू किया।

शिवसेना से अशोकराव देशमुख पहली बार जीते

शिवसेना ने भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे में मराठवाड़ा की ही ज्यादा सीटें लीं। उनमें परभणी की भी एक सीट थी, जहां से 1989 में पहली बार शिवसेना के अशोकराव देशमुख चुनकर आए। हालांकि उस समय तक शिवसेना को उसका चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ नहीं मिला था, इसलिए अशोकराव देशमुख निर्दलीय ही चुनकर आए थे। लेकिन जब शिवसेना को उसका चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ मिल गया, तो उसने परभणी में ‘खान या बान’ का नारा देना शुरू कर दिया।

अब बदल चुके समीकरण

परभणी की हिंदू आबादी शिवसेना के पक्ष में मतदान करती रही और 1998 का एक चुनाव छोड़कर वह लगातार यहां से जीतती भी रही। शिवसेना (यूबीटी) ने इस बार भी अपने दो बार के सांसद संजय जाधव को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन अब समीकरण बदल चुके हैं। अब शिवसेना में विभाजन के बाद शिवसेना (यूबीटी) के हाथ से उसका चुनाव चिह्न धनुष-बाण निकल चुका है।

अब तो शिवसेना (यूबीटी) के परभणी कार्यालय में मुस्लिम कार्यकर्ता भी अच्छी संख्या में दिखाई देते हैं। तो सवाल खड़ा होने लगा है कि अब तक उसके साथ रहा हिंदू मतदाता इस बार शिवसेना (यूबीटी) का नया चुनाव चिह्न ‘मशाल’ उठाकर चलेगा क्या ?

महादेव जानकर भी चुनाव मैदान में

दूसरी ओर इस बार भाजपानीत महायुति के सीट समझौते में परभणी की सीट शिवेसना (शिंदे) के हाथ से निकलकर राष्ट्रीय समाज पक्ष के अध्यक्ष महादेव जानकर के पास चली गई है। इसलिए परभणी में चुनाव चिह्न धनुष-बाण है ही नहीं। धनगर समाज के नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री महादेव जानकर ही यहां से महायुति के उम्मीदवार हैं। उनका चुनाव चिह्न सीटी है।

बारामती से लड़ा था पिछला चुनाव

महादेव जानकर को महाराष्ट्र भाजपा के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे का करीबी माना जाता हैं। 2014 में वह बारामती से चुनाव लड़कर शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले को अच्छी टक्कर दे चुके हैं। परभणी में उनके धनगर समाज सहित ओबीसी वर्ग की अच्छी आबादी भी है।

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प्रकाश आंबेडकर ने पंजाबराव डख को उतारा

पिछले चुनाव में प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के मुस्लिम उम्मीदवार आलमगीर मोहम्मद खान को भी यहां से करीब डेढ़ लाख वोट मिले थे। इस बार आलमगीर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, तो प्रकाश आंबेडकर ने अपनी पार्टी का उम्मीदवार मौसम विज्ञानी पंजाबराव डख को बनाया है। डख महाराष्ट्र के किसानों को मोबाइल पर मौसम की जानकारी देने के लिए जाने जाते हैं।

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