कौन होते हैं स्पेशल ऑब्जर्वर, चुनाव में क्या होती है इनकी भूमिका; आयोग क्यों करता है तैनाती
Lok Sabha Election 2024 भारत निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र समेत छह राज्यों में स्पेशल ऑब्जर्वर की नियुक्ति की है। सात करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और बिहार में स्पेशल ऑब्जर्वर को तैनात किया गया है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश और ओडिशा में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव होने की वजह से इनकी तैनाती की गई है।
चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने दो श्रेणियों (जनरल और पुलिस) में स्पेशल ऑब्जर्वर की तैनाती की है। महाराष्ट्र समेत छह राज्यों में ये स्पेशल ऑब्जर्वर तैनात होंगे। ...तो आइये ऐसे में जानते हैं क्या होते हैं स्पेशल ऑब्जर्वर और क्यों की गई इनकी तैनाती और क्या होती है भूमिका...
स्पेशल ऑब्जर्वर की तैनाती (जनरल और पुलिस)
- आंध्र प्रदेश
- बिहार
- महाराष्ट्र
- ओडिशा
- उत्तर प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
विशेष व्यय पर्यवेक्षकों की तैनात
- आंध्र प्रदेश
- कर्नाटक
- ओडिशा
- तमिलनाडु
- उत्तर प्रदेश
कौन होते हैं स्पेशल ऑब्जर्वर
स्पेशल ऑब्जर्वर (विशेष पर्यवेक्षक) पूर्व सिविल सेवक होते हैं। इनका चुनाव प्रक्रियाओं और डोमेन विशेषज्ञता में मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड होता है। चुनाव प्रक्रियाओं के अनुभव वाले पूर्व सिविल सेवकों को कड़ी सतर्कता के साथ चुनावी प्रक्रिया की निगरानी का काम सौंपा जाता है।
क्यों तैनात किया जाता है?
स्पेशल ऑब्जर्वर की तैनाती चुनाव में निष्पक्षता और विश्वनीयता सुनिश्चित करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कायम करने की खातिर की जाती है। स्पेशल ऑब्जर्वर सुरक्षा बलों और वोटिंग मशीनों की निगरानी भी करते हैं।यह भी पढ़ें: बाबू मोशाय! एक वोट की कीमत तुम क्या जानो.. कर्नाटक और राजस्थान से पूछो; एक मत से पलट गया था पांसा
चुनाव में व्यय पर्यवेक्षकों की भी नियुक्ति की जाती है। ताकि कोई प्रत्याशी धन वितरण, अवैध शराब और मुफ्त वस्तुओं को न बांट सके। इन्हें व्यय निगरानी को मजबूत करने का काम सौंपा जाता है।
ये होती है भूमिका
- स्पेशल ऑब्जर्वर राज्य मुख्यालय में तैनात होंगे। जरूरत पड़ने पर स्पेशल ऑब्जर्वर अधिक संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र और जिलों का दौरा करेंगे। समन्वय की आवश्यकता होने पर भी वह क्षेत्र का दौरा कर सकते हैं।
- आवश्यकता होने पर राज्य में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों व जिलों में तैनात पर्यवेक्षकों से समय-समय पर अपेक्षित इनपुट मांग सकते हैं।
- निगरानी गतिविधियों में शामिल विभिन्न एजेंसियों के क्षेत्रीय प्रमुखों और नोडल अधिकारियों के साथ इनपुट मांगेंगे और समन्वय करेंगे।
- सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष ध्यान होगा और प्रलोभनों के प्रवाह को रोकने के लिए सीमा संवेदनशीलता पर काम करेंगे और जनता की शिकायतों के निवारण पर इनपुट मांगेंगे।
- दिशा निर्देशों को लागू करना, विभिन्न एजेंसियों से समन्वय, झूठे प्रचार के खिलाफ त्वरित प्रतिक्रिया और क्या करें और क्या न करें का अनुपालन सुनिश्चित करना।
- मतदान से 72 घंटे पहले सावधानीपूर्वक निगरानी सुनिश्चित करना। ताकि निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराया जा सके।
- स्पेशल ऑब्जर्वर अपने इनपुट और पिछले अनुभवों को साझा करने के लिए आयोग या क्षेत्रीय उप चुनाव आयुक्तों द्वारा आयोजित की जाने वाली डीईओएस/एसपीएस/कानून प्रवर्तन एजेंसियों की बैठकों में भी भाग लेंगे।