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Kaiserganj Seat: कायम रहेगा या खत्म होगा ब्रजभूषण का दबदबा! कैसा है कैसरगंज का चुनावी माहौल और क्या कहते हैं लोग?

Lok Sabha Election 2024 ब्रजभूषण शरण सिंह की वजह से उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट की पूरे देश में चर्चा है। हालांकि वे चुनाव मैदान में नहीं हैं। मगर भाजपा ने उनके बेटे करण भूषण सिंह को टिकट दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने भगतराम मिश्र और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने नरेंद्र पांडेय पर दांव खेला है। कैसरगंज में ब्रजभूषण सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 14 May 2024 07:11 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: कैसरगंज का सियासी माहौल।
रमन मिश्र, गोंडा। नंदिनी नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में दर्जनों पहलवान विपक्षी के साथ रोज-आजमाइश में जुटे हैं। रेफरी की सीटी बजते ही पहलवान श्रद्धा बाहर आकर पसीना पोछने लगती हैं। चुनाव में क्या मुद्दे हैं? सवाल सुनते ही शृद्धा बोलती हैं, मजबूत राष्ट्र और सुरक्षा व्यवस्था।

महिला पहलवानों के आरोपों पर आपका क्या कहना है? शृद्धा के बोलने के पहले ही प्रतापगढ़ की पहलवान आरती कहती हैं कि जब ब्रजभूषण शरण खुद कह रहे हैं कि आरोप सत्य पाए गए तो वह फांसी लगा लेंगे तो बाकी का काम कानून को करने देना चाहिए।

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इस अखाड़े में करीब 50 पहलवान कुश्ती के दांवपेच सीख रहे हैं, इनमें महिला व पुरुष पहलवान भी शामिल हैं। यह प्रकरण अभी आरोपों तक ही ही सीमित है, हम यहां अभ्यास कर रहे हैं और ऐसा नहीं है कि आरोपों के बाद यहां से कोई चला गया हो, या पहलवानों की संख्या कम हुई हो।

दांव पर लगी ब्रजभूषण की प्रतिष्ठा

बातचीत से तो यही प्रतीत होता है कि महिला पहलवानों के जिन आरोपों के कारण कैसरगंज सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह का टिकट कटा, उनका असर यहां राजनीतिक माहौल पर नहीं है। उनके बेटे करन भूषण सिंह मैदान में हैं, यह उनका पहला चुनाव है, जाहिर सी बात है कि मैदान में करन हैं, लेकिन प्रतिष्ठा ब्रजभूषण की ही दांव पर लगी है।

क्या कहते हैं पहलवान?

विपक्ष इसे जरूर मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन यहां कुश्ती अखाड़े में पसीना बहा रहे पहलवान इसे कानूनी और राजनीतिक बता रहे हैं। उनका कहना है कि उधर पहलवानों का धरना चला रहा था और इधर निकाय चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में ब्रजभूषण ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

लोग बोले- चुनाव में नहीं पड़ेगा फर्क

विश्नोहरपुर के लोगों ने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह पर धरनाजीवी पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप बेबुनियाद हैं, इससे चुनाव में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। श्रद्धा सिंह जूनियर कैडेट और अंडर 15 में कुश्ती प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं। वह पांच वर्ष से नंदिनीनगर महाविद्यालय में कुश्ती का प्रशिक्षण ले रही हैं और इस बार के चुनाव में पहली बार मतदान करेंगी।

बिजनौर की पहलवान श्रद्धा चौधरी ने कहा कि सांसद ने कुश्ती को आगे बढ़ाया है। आगरा की पहलवान सुधा बघेल ने कहा कि प्रशिक्षण केंद्र में जितनी सुविधाएं कैसरगंज सांसद ने उपलब्ध कराई है, अन्य किसी केंद्र में नही है। कैसरगंज के पहलवान प्रखर ने कहा कि हम सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं।

कैसा है कैसरगंज का माहौल?

जरवल रोड के पहलवान इरफान कहते हैं प्रत्याशी कोई भी हो, लेकिन कैसरगंज का चुनावी माहौल राममय है। कैसरगंज लोकसभा सीट का चुनावी पारा यूं तो सांसद बृजभूषण की उम्मीदवारी को लेकर गहराए रहस्य के साथ ही गर्म था। अब जबकि उनके बेटे करण भूषण को भाजपा से टिकट मिल गया है तो बहुत कुछ साफ हो गया है।

सज चुका चुनावी मैदान

राजनीतिक जानकार कह रहे हैं- भले ही बेटा मैदान में है, मगर लड़ तो बृजभूषण ही रहे हैं। चुनावी तैयारी में वह पहले ही कितने आगे निकल चुके हैं, इससे अंदाज लगा लीजिए कि टिकट फाइनल होने से पहले तक बृजभूषण 165 सभाएं कर चुके थे। दूसरी ओर अन्य दल भाजपा के फैसले का इंतजार करते रह गए। बहरहाल, अब यहां चुनावी मैदान सज चुका है।

सपा से भगतराम मिश्र मैदान में हैं। वह जातीय समीकरण और सत्ता के विरोध के सहारे मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश में हैं तो कैडर वोट के सहारे बसपा के नरेंद्र पांडेय भी लड़ाई में आने की आस लगाए हैं।

कइसन चुनाव भइया?

बालपुर बाजार में सब्जी की दुकान पर महिलाएं खड़ी हैं। चुनाव का माहौल पूछने पर जवाब मिला- कइसन चुनाव भइया?, कोई वोटवा मांगय आवय तब कुछ जान मिलय, वैसे अयोध्या जी मा मंदिर बन गवा ई बहुत अच्छा भवा।' बीच में ही बात काटते हुए माथे पर टीका लगाए बुजुर्ग बोले- 'चुनाव कउनव नाही हय, अबकी तव मैदान साफ हय।' उनका इशारा शायद टिकट वितरण में देरी और भाजपा के उम्मीदवार को लेकर था।

बेसहारा पशुओं की उभरी टीस

संवाद आगे बढ़ा तो बेसहारा पशुओं को लेकर टीस उभरी जरूर, लेकिन कानून व्यवस्था व राम मंदिर निर्माण के चर्चे में सब गुम हो जाता है। यह इलाका कटराबाजार विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से भाजपा के बावन सिंह लगातार तीन बार से विधायक हैं।

रोजगार भी है मुद्दा

आगे बढ़ने पर तिराहे पर टैक्सी वाहनों का जमावड़ा है। चुनावी सवालों पर लोग खुलकर बोलने में संकोच करते हैं। निशुल्क राशन, किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला गैस योजना से संतुष्ट हैं, लेकिन रोजगार की व्यवस्था न होने से लोग व्यथित हैं।

क्या भाजपा-सपा में है लड़ाई?

भैरमपुर में छात्र सत्यम का सधा सा जवाब है-रोजगार की व्यवस्था करने वाली सरकार को ही मतदान करूंगा। पहाड़ापुर में भैंस चरा रहे रामकुमार बोले- यहां भाजपा की लड़ाई सपा से है। बसपा से कौन चुनाव लड़ रहा है, इसकी जानकारी नहीं है।

बुजुर्ग राम जियावन हों या फिर युवा मनीष, सतीश व शिवम, सभी का मानना है कि सपा व बसपा का संगठन कमजोर है, जिससे भाजपा को मजबूती मिली है।

1952 से 2019 तक कुल 17 चुनावों में कैसरगंज सीट ने बसपा को छोड़ हर दल को मौका दिया है। समाजवादी झंडा यहां पर सर्वाधिक पांच बार लहरा चुका है। सपा के टिकट पर चार बार पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा और एक बार बृजभूषण शरण सिंह ने जीत दर्ज की थी।

2014 से बृजभूषण यहां कमल खिलाए हुए हैं। इससे पहले 1989 में रुद्रसेन चौधरी और 1991 में लक्ष्मी नारायण मणि त्रिपाठी यहां भाजपा को जीत दिला चुके हैं। कांग्रेस तीन बार ही जीत सकी है।

कैसरगंज लोकसभा सीट

  • कुल मतदाता-1898276
  • पुरुष मतदाता-1006252
  • महिला मतदाता-891651
  • थर्ड जेंडर मतदाता-70

दबदबा खत्म होगा

कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रमोद मिश्र का कहना है कि पहलवानों के गंभीर आरोपों के चलते ही भाजपा ने ब्रजभूषण शरण सिंह का टिकट काटा है, लेकिन उनके बेटे को भी यहां से हार का सामना करना पड़ेगा, जो दबदबा होने का दावा कर रहे थे इस बार चुनाव में वह खत्म हो जाएगा। 

कैसरगंज सांसद पर लगे आरोपों का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायपालिका पर मुझे भरोसा है। सांसद पर पहलवानों के लगाए गए आरोपों का चुनाव पर कोई असर नहीं है। कैसरगंज व गोंडा लोकसभा सीट पार्टी प्रत्याशी बड़े अंतर से जीतेंगे। - अमर किशोर कश्यप, जिलाध्यक्ष भाजपा गोंडा।

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