Lok Sabha Election 2024: विकास कार्य अधूरे, योजनाओं का नहीं मिला लाभ, क्या कहती है कोरबा की जमीनी हकीकत
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2019 में छत्तीसगढ़ की अधिकतर सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं लेकिन कोरबा की जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी पर भरोसा जताया था। पार्टी ने एक बार फिर उन्हें मैदान पर उतारा है। लेकिन क्या जनता का भरोसा अपने सासंद पर कायम है या उन्हें निराशा हाथ लगी है? जानिए कोरबा सांसद का रिपोर्ट कार्ड।
देवेंद्र गुप्ता, कोरबा। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की 11 में से 2 ही सीटों पर जीत दर्ज की थी। जिनमें बस्तर से दीपक बैज और कोरबा से ज्योत्सना महंत कांग्रेस के टिकट से सांसद बने थे। कोरबा में कांग्रेस ने एक बार फिर ज्योत्सना महंत पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा है। कोरबा लोकसभा सीट पर अब तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा है।
लोकसभा चुनाव 2009 में भी कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में मात्र कोरबा सीट से ही जीत दर्ज की थी। बाकी 10 सीटें भाजपा की झोली में गई थीं। तब डा. चरण महंत दास यहां से कांग्रेस के टिकट से सांसद बने थे। हालांकि 2014 में बीजेपी के बंशीलाल महतो ने यहां जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 में कांग्रेस की यहां फिर से वापसी हुई और डा. महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा की सांसद बनीं। आइए जानते हैं कोरबा सांसद के रूप में कैसा रहा उनका रिकॉर्ड।
बता दें कि कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कोरबा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, कोरिया और मनेंद्रगढ़ जिले शामिल हैं। वहीं इसके अंतर्गत 8 विधानभाएं आती हैं- 'कोरबा, रामपुर, पाली-तानाखार, कटघोरा, मरवाही, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर और भरतपुर-सोनहत'। इनमें छह विधानसभा में भाजपा, एक में कांग्रेस और एक में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) का कब्जा है।
कोरबा के विकास के लिए सांसद ज्योत्सना महंत ने कार्य तो कई प्रस्तावित कराए, लेकिन पड़ताल करने पर पता चला कि लोगों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उचित ढंग से नहीं मिला। वह भी तब, जब राज्य में उनकी ही कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। उन्होंने सांसद आदर्श ग्राम योजना में 3 गांव गोद लिए थे, जिनके विकास के लिए उन्होंने अपनी सालाना 5 करोड़ रूपए की सांसद निधि से 2 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की, लेकिन गांवों की तस्वीर में कोई खास बदलाव नहीं हुआ।
जल स्तर और पानी का संकट
ज्योत्सना महंत ने जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, कटघोरा ब्लाक के अंतर्गत ग्राम ढुरैना को गोद लिया है। गांव में पेयजल एक बड़ी समस्या है। गांव के पास कोयला का खदान क्षेत्र है, जिस वजह से जल स्तर में भारी गिरावट आई है। गर्मी में यह समस्या और भी विकट हो जाती है, लेकिन जनता को इसका समाधान अब तक नहीं मिला है। इसके अलावा सांसद की ओर से स्वीकृत किए गए कई विकास कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं।नहीं मिली समस्याओं से निजात
सांसद ने पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के जल्के गांव को भी गोद लिया था, लेकिन यहां भी अब तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। गांव के सरपंच मंगल सिंह कहते हैं, "बस्ती से मुख्य रोड तक मार्ग के लिए सांसद निधि से कंक्रीटीकरण की मांग की गई थी पर मनरेगा से केवल मुरूम डाल दिया गया। तालाब को गहरा करने के लिए सांसद निधि से 14.80 लाख रुपए आवंटित हुए हैं। पहले चरण में 6 लाख की राशि मिली है, जिससे काम जारी है। वहीं गांव के मिडिल स्कूल की भी हालत जर्जर हो चुकी है।"
कोरबा ब्लाक के ग्राम भैसमा भी आदर्श ग्राम में चुना गया था, लेकिन यहां के लोगों को भी इसका अधिक लाभ नहीं मिला। यहां सांसद निधि से सिदार मोहल्ला में 10 मीटर सीसी रोड का निर्माण कराया गया। इसके अलावा कई अन्य कार्य भी प्रस्तावित तो किए गए, लेकिन उन पर काम शुरू नहीं हो पाया है।