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Lok Sabha Election 2024: जब हेडमास्‍टर साहब के नाम आया एक मामूली लिफाफा, खोला तो निकला लोकसभा का टिकट

Lok Sabha Election 2024 चुनावी किस्‍सों की सीरीज में आज हम आपके लिए लाए हैं साल 1971 का एक बड़ा ही रोचक किस्‍सा। दरअसल अभी की तरह ही साल 1971 में भी चुनावी माहौल था। एक दिन मधुबनी जिले के घोघरडीहा के सुदैडीह राजकीय विद्यालय के हेडमास्टर रहे पंडित जगन्नाथ मिश्र के नाम एक लिफाफा आया जिसे खोला तो वह हैरान रह गए...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 01 Apr 2024 03:22 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: जब हेडमास्‍टर साहब के नाम आया एक मामूली लिफाफा

 ब्रज मोहन मिश्र, मधुबनी। आपके पास एक आम सा लिफाफा आए, जिसे आप कोई संदेश समझकर खोलेंगे, लेकिन उसमें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट हो तो कैसा होगा। अरे हैरान मत होइए, ऐसा 1971 के लोकसभा चुनाव में हुआ था।

मधुबनी जिले के घोघरडीहा के सुदैडीह राजकीय विद्यालय के हेडमास्टर रहे पंडित जगन्नाथ मिश्र  को डाक से लिफाफा मिला और उसे खोला तो लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस का टिकट था।

दरअसल, साल 1971 की बात है। लोकसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार जारी था। इसी बीच एक दिन हेडमास्टर रहे पंडित जगन्नाथ मिश्र को डाकिये ने दिल्ली से आया एक लिफाफा लाकर दिया। उसमें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस का टिकट था।

 पंडित जगन्नाथ मिश्र के छोटे बेटे सतीश मिश्र बताते हैं कि टिकट मधुबनी लोकसभा सीट से लड़ने के लिए दिया गया था। पंडितजी उस वक्त नौकरी में ही थे। इस तरह टिकट मिला तो चर्चा चारों ओर फैली। लोगों को लगा कि केंद्र के कद्दावर नेता ललित नारायण मिश्र के भाई डॉ. जगन्नाथ मिश्र को टिकट मिला है।  इसे लेकर लोगों में भ्रम हो गया।

इसकी जानकारी पार्टी हाईकमान को हुई। इसके बाद कांग्रेस ने प्रेस बयान जारी कर इसे स्पष्ट किया था। बताया गया कि एक नाम वाले दो लोग हैं। बाद में पंडित जगन्नाथ मिश्र और डॉ. जगन्नाथ मिश्र के नाम से अंतर किया जाने लगा था। कहा जाता है कि पंडित जगन्नाथ मिश्र को कांग्रेस के साथ पुरानी वफादारी और स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण टिकट मिला था।

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साल 1971 के चुनाव में वे जीत भी गए थे। साल 1977 में झंझारपुर सीट अस्तित्व में आया तो पंडित जगन्नाथ मिश्र वहीं से लड़े। मगर, कांग्रेस विरोध की लहर में वह भारतीय लोकदल के उम्मीदवार धनिक लाल मंडल से हार गए थे।

कांग्रेस के खिलाफ खड़ी हो गई थीं ललित बाबू की पत्नी

कांग्रेस के बड़े नेता ललित नारायण मिश्र की 1975 में हत्या के बाद उनके परिवार में कांग्रेस के प्रति नाराजगी बढ़ गई थी। साल 1980 में उनकी पत्नी कामेश्वरी देवी जनता पार्टी के टिकट पर झंझारपुर से चुनाव मैदान में उतरीं। कांग्रेस ने पंडित जगन्नाथ मिश्र पर फिर से दांव लगाया। मगर, ललित बाबू की पत्नी का कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ना उन्हें नुकसान कर गया।

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साल 1980 में इंदिरा गांधी की स्थिति मजबूत हुई थी। फिर भी झंझारपुर सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, जीत कामेश्वरी देवी को भी नहीं मिली, लेकिन उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी की हार में अहम भूमिका निभाई।

कामेश्वरी देवी को 18.47 प्रतिशत वोट मिले और कांग्रेस के पंडित जगन्नाथ मिश्र को 34.51। यहां से दूसरी बार भी जीत दर्ज किए धनिक लाल मंडल को 44.50 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद पंडित जगन्नाथ मिश्र मैदान में उतरे ही नहीं।

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