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Lok Sabha Election: दो चरणों में हुए कम मतदान ने बढ़ाई पार्टियों की चिंता, अब बूथ स्तर पर सक्रिय किए जा रहे कार्यकर्ता

मध्य प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा बड़े अंतर से जीती पर उसे कुछ विधानसभा क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में 39 तो 2019 के चुनाव में भाजपा को 22 सीटों पर नुकसान हुआ था। इन सीटों पर पार्टी को कम मत मिले थे। इसके लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीटों पर अधिक जोर दिया जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 03 May 2024 06:00 AM (IST)
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दो चरणों में हुए कम मतदान ने बढ़ाई पार्टियों की चिंता
राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा बड़े अंतर से जीती पर उसे कुछ विधानसभा क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में 39 तो 2019 के चुनाव में भाजपा को 22 सीटों पर नुकसान हुआ था। इन सीटों पर पार्टी को कम मत मिले थे। इस बार पार्टी की रणनीति प्रत्येक मतदान केंद्र पर 370 वोट अपने पक्ष में बढ़ाकर सभी विधानसभा सीटों जीत प्राप्त करने की है।

सुरक्षित सीटों पर अधिक जोर दिया जा रहा है

इसके लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीटों पर अधिक जोर दिया जा रहा है। यद्यपि, पहले और दूसरे चरण में हुए कम मतदान ने उसकी चिंता बढ़ा दी है, इसलिए समीक्षा कर पन्ना, अर्द्ध पन्ना प्रभारियों के साथ सभी मोर्चा संगठनों को बूथवार सक्रिय किया गया है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 67.75 प्रतिशत तो दूसरे चरण के 58.59 प्रतिशत मतदान रहा है, जो पार्टी की उम्मीद से काफी कम है।

भाजपा ने बूथ प्रभारियों को किया सक्रिय

ऐसे में अब भाजपा ने तीसरे और चौथे चरण में होने वाले मतदान को लेकर बूथवार समीक्षा की और अधिक से अधिक मतदान कराने के लिए बूथ प्रभारियों को और अधिक सक्रिय किया है। पार्टी का लक्ष्य सभी 29 सीटों पर कमल का फूल खिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झोली में डालना है। इसके लिए प्रत्येक बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा गया है।