तृणमूल कांग्रेस में बगावत! क्या भारी पड़ेगी ममता को इन नेताओं की नाराजगी? यूसुफ पठान की भी बढ़ सकती है चिंता
टिकट बंटवारे के बाद पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कई नेताओं ने बगावती तेवर अपनाना शुरू कर दिया है। नेताओं की आपसी कलह से टीएमसी नेतृत्व की चिंता बढ़ गई है। वहीं नाराज दो सांसदों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। उत्तर 24 परगना हुगली मुर्शिदाबाद पूर्व मेदिनीपुर में टीएमसी नेताओं में नाराजगी बढ़ गई है।
इंद्रजीत सिंह, कोलकाता। पश्चिम बंगाल की 42 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के बाद से ही तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बागी तेवर अपना लिए हैं। टिकट नहीं मिलने से नाराज सांसद अर्जुन सिंह व दिव्येंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने के साथ विधायक हुमायूं कबीर, राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन, तृणमूल नेता कुणाल घोष, राज्य महासचिव सायंतिका बनर्जी के विरोधी तेवरों ने पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है।
इन नेताओं के विरोध के कारण कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना, हुगली, मुर्शिदाबाद, पूर्व मेदिनीपुर आदि जिलों में कई सीटों पर तृणमूल को नुकसान हो सकता है।
इस सीट पर क्या अर्जुन सिंह बिगाड़ेंगे समीकरण
दरअसल, सांसद अर्जुन सिंह उत्तर 24 परगना के हिंदी भाषी संसदीय क्षेत्र बैरकपुर से चुनाव लड़ना चाह रहे थे, लेकिन ममता ने उन्हें टिकट नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के कुछ ही दिन बाद सिंह ने फिर से भाजपा का दामन थाम लिया।सिंह का कहना है कि तृणमूल ने उन्हें टिकट नहीं देकर उनकी उपेक्षा की है। वे अब बैरकपुर से तृणमूल के उम्मीदवार पार्थ भौमिक के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, जो मंत्री भी हैं।सिंह का क्षेत्र में खासा दबदबा है। 2019 में अर्जुन सिंह तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने बैरकपुर से तृणमूल के तत्कालीन उम्मीदवार दिनेश त्रिवेदी को हराया था। हालांकि दो साल बाद वह तृणमूल में लौट गए थे। इसके अलावा नेताओं के आपसी कलह ने भी टीएमसी नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है।
कैसे नैया पार करेंगे सुदीप?
कुणाल घोष ने उत्तर कोलकाता के हैवीवेट उम्मीदवार सुदीप बंद्योपाध्याय के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कुणाल ने हाल में राज्य प्रवक्ता व राज्य महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, सुदीप के साथ वरिष्ठ नेता तापस राय की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है।पार्टी में तवज्जो नहीं मिलने के कारण ही पिछले दिनों तापस राय विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। जिले में तापस की मजबूत पकड़ है। कुणाल ने भी तापस के पक्ष में हवा बनाते हुए आवाज उठाई थी। अब देखना है कि सुदीप मौजूदा हालात में किस तरह अपना नैया पार करेंगे।