Election 2024: मतुआ की मुराद हुई पूरी, बंगाल में दिखेगा CAA का असर; लोकसभा की पांच सीटों पर निर्णायक भूमिका में है यह समुदाय
टीएमसी की मतुआ वोट बैंक पर शुरू से पैनी नजर है। 2019 के लोकसभा व 2021 के विधानसभा चुनाव में मतुआ समुदाय का लगभग आधा वोट भाजपा की ओर हो जाना टीएमसी को नागवार गुजर रहा है। हालांकि माना जाता है कि भाजपा ने जल्द सीएए लागू करने के वादे पर यह वोट हासिल किया था इसीलिए टीएमसी इसके बाद से ही यही राग अलाप रही थी।
इंद्रजीत सिंह, कोलकाता। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को टीएमसी मुस्लिमों के प्रति भेदभाव के रूप में प्रचारित कर विरोध कर रही है, पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बेचैनी की बड़ी वजह कुछ और भी है। दरअसल, भाजपा ने सीएए लागू कर उस मतुआ समुदाय की वर्षों पुरानी मांग पूरी कर दी है, जो बंगाल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
पांच लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाली करीब एक करोड़ आबादी वाले वोटबैंक पर भाजपा के बढ़ते प्रभाव से सतर्क टीएमसी ममता की डोर से बांधने का प्रयास कर रही थी। वह सफल होती उससे पहले सीएए लागू कर भाजपा ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया।
विभाजन का बाद आए बंगाल
भारत के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से बड़ी संख्या में मतुआ बंगाल आ गए थे। ये ऐसे शरणार्थी हैं, जिन्हें अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिल पाई है। सोमवार को केंद्र सरकार ने देशभर में सीएए लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी। इस कानून के लागू होने से बांग्लादेश से सालों पहले आकर बसे हिंदू शरणार्थी को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।
बंगाल में मतुआ शरणार्थी उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नदिया, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कूचबिहार और पूर्व व पश्चिम बर्द्धमान जिले में हैं। देश विभाजन के बाद हरिचंद - गुरुचंद ठाकुर के वंशज प्रमथा रंजन ठाकुर और उनकी पत्नी वीणापाणि देवी उर्फ बड़ो मां ने मतुआ महासंघ की छत्रछाया में राज्य में मतुआ समुदाय को एकजुट किया और उन्हें भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए कई आंदोलन किए।
इनकी मुख्य मांग नागरिकता थी, जो अब पूरी हो गई है। ये चाहते थे कि सीएए जल्द लागू हो जाए। हाल में बंगाल दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस समुदाय को आश्वासन दिया था कि जल्द ही सीएए लागू होगा। इस समुदाय से भाजपा सांसद व केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर भी लगातार सीएए की मांग करते आ रहे थे ।
पांच लोकसभा सीटों पर है प्रभाव
इस समुदाय का नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों की लगभग पांच लोकसभा सीटों और 70 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। हालांकि, बंगाल में एक समय मतुआ के ज्यादातर वोट माकपा की झोली में जाते थे। सत्ता में आने पर ये वोट तृणमूल कांग्रेस की ओर स्थानांतरित हो गए।
2019 में भाजपा ने की सेंधमारी
2019 के लोकसभा चुनाव में स्थिति बदल गई। भाजपा ने टीएमसी के इस वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की। लोकसभा चुनाव में भाजपा को मतुआ समुदाय का अच्छा-खासा समर्थन मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़ो मां के घर पहुंचकर उनके पांव भी छूए थे। भाजपा ने इस बार भी लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर को उत्तर 24 परगना जिले की उनकी पुरानी सीट बनगांव से उम्मीदवार बनाया है।
खोए वोट बैंक को पाने की जुगत में ममता
टीएमसी की मतुआ वोट बैंक पर शुरू से पैनी नजर है। 2019 के लोकसभा व 2021 के विधानसभा चुनाव में मतुआ समुदाय का लगभग आधा वोट भाजपा की ओर हो जाना टीएमसी को नागवार गुजर रहा है। हालांकि, माना जाता है कि भाजपा ने जल्द सीएए लागू करने के वादे पर यह वोट हासिल किया था, इसीलिए टीएमसी इसके बाद से ही यही राग अलाप रही थी कि सीएए के नाम पर भाजपा मतुआ समुदाय गुमराह कर रही है।
ममता बनर्जी ने हाल में कई सभाओं में कहा कि मतुआ समुदाय को वोट देने का अधिकार है। इनके पास नागरिकता है। ममता ने सोमवार को कहा कि वह किसी कीमत पर राज्य में सीएए लागू होने नहीं देंगी। मतुआ समुदाय से आने वाली ममताबाला ठाकुर को इस बार राज्यसभा भेजकर ममता अपने खोए वोट पाने की जुगत में हैं। 2019 के चुनाव में शांतनु ठाकुर ने उन्हें हराया था।
भाजपा नहीं खोना चाहती मतुआ समुदाय का वोट
भाजपा किसी कीमत पर मतुआ समुदाय का वोट खोना नहीं चाहती है। सीएए लागू होने से इस समुदाय में भाजपा की पैठ और मजबूत होने की संभावना है। उत्तर 24 परगना जिले में मतुआ समुदाय के गढ़ ठाकुरनगर में हाल ही में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने कहा था कि सीएए लागू नहीं होने तक मतुआ महासंघ की ओर से दिए गए परिचय-पत्र के साथ लोग देश में कहीं भी जा सकेंगे। सीएए लागू होने से यह समस्या भी नहीं रहेगी।
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