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Lok Sabha Election 2024: बिहार की राजनीति में परिवारवाद का नया संस्करण; परिवार एक, पार्टियां अनेक

Lok Sabha Election 2024 बिहार की राजनीति में परिवारवाद हमेशा से हावी रहा है लेकिन अब इसका नया संस्करण देखने को मिल रहा है जिसमें परिवार के एक सदस्य अपने दल में बने रहते हैं और दूसरे को किसी और पार्टी से उम्मीदवारी मिल जाती है। हालांकि छिटपुट तौर पर पहले भी इस तरह की परिस्थितियां बनी हैं लेकिन इस बार इसमें विविधता आई है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 07 Apr 2024 12:59 PM (IST)
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लवली आनंद, वीणा देवी, शांभवी चौधरी (बाएं से दाएं)
राज्य ब्यूरो, पटना। लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में परिवारवाद का नया संस्करण लांच हो गया है। इसमें परिवार के एक सदस्य अपने दल में बने रहते हैं और दूसरे को किसी और पार्टी से उम्मीदवारी मिल जाती है। हालांकि, छिटपुट तौर पर इस तरह का परिवारवाद पहले भी रहा है, लेकिन इसबार इसमें विविधता आई है।

रोचक यह है कि नया प्रयोग राजग के घटक दलों ने शुरू किया है। कह सकते हैं कि यह सब परिवार प्रथम के नए सिद्धांत के तहत चल रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब वीणा देवी वैशाली से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं, उनके पति दिनेश कुमार सिंह जदयू के विधान पार्षद थे। यह जोड़ी आज भी इसी अवस्था में है।

दूसरे दलों के टिकट से मैदान में

कुछ और परिवारों के लोग दूसरे दलों के टिकट पर मैदान में आ गए हैं। रमेश सिंह कुशवाहा राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष थे। उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी कुशवाहा को जदयू ने सिवान से उम्मीदवार बनाया। रमेश कुशवाहा सपरिवार जदयू में शामिल हो गए। वैसे, 2015-20 के बीच रमेश जदयू के विधायक थे। बेटिकट होने पर अलग

हो गए थे। अब पत्नी को टिकट मिला तो जदयू में शामिल हो गए।

लवली आनंद पूर्व सांसद हैं। वह बिहार पीपुल्स पार्टी के टिकट पर 1994 में सांसद बनी थीं। बाद में जदयू की विधायक भी बनीं। 2005 में वह जदयू से अलग हो गईं। इस समय शिवहर से जदयू की उम्मीदवार हैं। लवली कांग्रेस-राजद होते हुए जदयू में शामिल हुईं। उनके पुत्र चेतन आनंद राजद के विधायक हैं। वह पाला बदलकर सत्ता पक्ष में आ तो गए हैं, लेकिन तकनीकी रूप में चेतन आज भी राजद के ही सदस्य हैं।

शांभवी चौधरी लोजपा की उम्मीदवार

बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ. अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी समस्तीपुर से लोजपा की उम्मीदवार हैं। वैसे शांभवी विवाहित हैं। वह प्रख्यात समाजसेवी और पूर्व आइपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की पुत्रवधू हैं।

सांसद चौधरी महबूब अली कैसर परिवार प्रथम के सिद्धांत को कायम रखने में थोड़ा पिछड़ गए हैं। कांग्रेस से लोजपा में आए कैसर 2014 एवं 2019 में लोजपा के टिकट पर खगड़िया से सांसद बने थे। उनके पुत्र युसुफ सलाउद्दीन 2020 में राजद के विधायक बने। वह अभी राजद में बने हुए हैं।

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उधर, लोजपा ने महबूब अली को बेटिकट कर दिया है। संभव है वह किसी नए दल से मैदान में उतरें। राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव 2014-19 में राजद के सांसद थे। उनकी पत्नी रंजीता रंजन इसी अवधि में कांग्रेस की सासंद थीं। अभी दोनों कांग्रेस में हैं।

एक दलीय राजनीति में परिवार प्रथम

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पर पहले भी परिवार प्रथम का आरोप लगता रहा है। लोजपा में विभाजन के बाद लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने रक्त संबंधियों से नाता तोड़ लिया, लेकिन बहनोई डॉ. अरुण भारती को जमुई से अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया।

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वहीं, राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपनी दूसरी पुत्री डॉ. रोहिणी आचार्य को छपरा से उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। उनकी बड़ी बेटी डा. मीसा भारती पाटलिपुत्र लोस क्षेत्र से उम्मीदवार बन रही हैं। बता दें कि मीसा यहां से तीसरी बार मैदान में हैं।

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