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Lok Sabha Election 2024: पीएम मोदी ने 10 साल में 44 बार किया काशी का दौरा, बनारस के विकास पर क्या बोला मुस्लिम समाज?

Lok Sabha Election 2024 बनारस का मुस्लिम समाज भी तरक्की महसूस कर रहा है। 2014 के बाद से शहर की हालत काफी बदली हैं। वहीं मोदी सरकार की योजनाओं से काशी के मुस्लिम समाज के जीवनस्तर में बदलाव आ रहा है। अब मुस्लिम समाज भी धार्मिक मुद्दों से हटकर विकास और रोजगार के पैमाने पर सियासत को तौल रहा है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Wed, 29 May 2024 04:37 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: काशी में मुस्लिम महसूस कर रहे तरक्की।
हमीदुल्लाह सिद्दीकी, इन्किलाब, वाराणसी/लखनऊ। एक जून को अंतिम चरण में जब मतदान होगा तो इसमें वाराणसी लोकसभा सीट भी शामिल होगी। वाराणसी चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट है और वह तीसरी बार यहां से उम्मीदवार हैं, इसलिए इस पर पूरे देश की निगाहें हैं। देश में आध्यात्मिक और आस्था की धुरी कही जाने वाली काशी नगरी को विश्व में सबसे पुराना शहर होने की ख्याति भी प्राप्त है।

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काशी को गालिब ने कहा चिराग-ए-दैर

इस शहर के बारे में नजीर बनारसी ने लिखा था,’ हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं अक्सर, गंगा तेरे पानी से वजू कर के’। मिर्जा गालिब ने इस शहर को चिराग-ए-दैर (मंदिर का दीपक) कहा। बाबा तुलसी और मुंशी प्रेमचंद, पंडित बिरजू महाराज, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां और कई अन्य अनमोल रत्नों की गूंज यहां की फिजाओं में है।

बदलाव को महसूस कर रहा मुस्लिम समाज

बीते 10 वर्ष से काशी बदल रही है। यहां के बारे में कहा जाता है कि लोगों ने दो बार सीधे पीएम का चुनाव किया है। काशी का मुस्लिम समाज भी मोदी सरकार के विकास कार्यों व कल्याणकारी योजनाओं से न केवल परिचित है बल्कि उनसे इत्तिफाक रखते हुए जीवन में हो रहे सुखद बदलावों को महसूस भी कर रहा है।

विकास और रोजगार के पैमाने पर सियासत को तौल रहा मुस्लिम समाज

यह बात सच है कि यहां के मुस्लिमों के लिए कोई भी पार्टी या नेता सर्वमान्य नहीं रहा है। परिस्थितियां और समीकरण देखकर मुसलमान गैर-मुस्लिम नेताओं व पार्टियों पर भरोसा करता आया है। कुछ पार्टियों पर यह आरोप भी लगता रहा है कि वह मुसलमानों को भाजपा का डर दिखाकर उनका वोट हासिल करती हैं, लेकिन अब मुसलमान भी धार्मिक मुद्दों से हटकर विकास और रोजगार के पैमाने पर सियासत को तौल रहा है।

10 साल में मोदी ने किए 44 दौरे

बीते पखवाड़े नामांकन कराने से पहले पीएम मोदी ने 10 वर्ष में लगभग 44 बार काशी का दौरा किया और आस्था के साथ स्वास्थ्य, परिवहन और शिक्षा को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया। स्मार्ट सिटी परियोजना का काम तेजी से हो रहा है। इसके साथ ही पीएम आवास योजना, मुद्रा योजना, जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, अटल पेंशन योजना, स्टार्टअप इंडिया और कौशल विकास जैसी लगभग 135 से ज्यादा ऐसी योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से देश के अन्य समुदायों की तरह मुस्लिमों को भी तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

योजनाओं से किया एकीकृत

इसके अतिरिक्त सार्वजनिक सुविधाएं पानी, स्वास्थ्य देखभाल, बिजली, सार्वजनिक परिवहन और स्कूल आदि भी सभी नागरिकों को समान रूप से मुहैया कराई जाती हैं। समाज के निचले पायदान पर बैठे लोगों के जीवनस्तर को सुधारने व रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा पीएम विकास योजना की परिकल्पना के तहत पांच योजनाओं (सीखो और कमाओ, उस्ताद, हमारी धरोहर, नई रोशनी, नई मंजिल) को एकीकृत किया गया है।

बनारस के विकास से आम और गरीब मुसलमानों को भी मिल रहा लाभ

नव्य भव्य बाबा काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद पर्यटकों की संख्या शहर में बढ़ी है। हजरत अली समिति के सचिव फरमान हैदर कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सच है कि बनारस को विकास की सख्त जरूरत थी। दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए बेहतर सड़कें और यातायात व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता थी, जो अब बहुत बेहतर है।

पर्यटकों की बढ़ी संख्या से कारोबार में वृद्धि हुई है। बिजली कटौती कम होने से बनारसी साड़ियां बनाने वाले बुनकरों और कारीगरों को सहूलियत हुई है। सर सैयद सोसायटी के महासचिव हाजी इश्तियाक अहमद भी मानते हैं कि बनारस के विकास से आम व गरीब मुसलमानों को लाभ मिला है। पिछले कई वर्षों से दंगे का दंश नहीं झेलना पड़ा है।

बनारस मानक शहर बन गयाः अंसारी

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. कासिम अंसारी का कहना है कि जिन्होंने 2014 से पहले बनारस देखा है, उन्हें अब जरूर देखना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में इस शहर का चहुंमुखी विकास अभूतपूर्व है। बहुत ही कम समय में बनारस एक मानक शहर बन गया है। बनारस का हर वर्ग यहां के विकास से खुश है। खूबसूरत चौड़ी सड़कें, प्रदूषण में कमी, बेहतरीन परिवहन सुविधाएं, फ्लाईओवर, रेलवे और बस स्टेशनों का विस्तार, बाजारों की खूबसूरती ने सभी को प्रभावित किया है।

स्वच्छता ने बदली छवि

डॉ. अंसारी कहते हैं कि स्वच्छता ने पूरे बनारस की छवि बदल दी है। इससे यहां के लोगों के सामाजिक व्यवहार और सोच में सकारात्मक बदलाव आया है। जिसका मुख्य कारण है कि निर्वाचित होने के बाद मोदी ने बनारस को नजरअंदाज नहीं किया। उन्होंने विश्व के महान नेताओं को बनारस आने का निमंत्रण दिया, जिसका सीधा असर हुआ कि शहर तेजी से चमका और सिलसिला जारी है। अनेक विकास परियोजनाएं चल रही हैं, बनारस का विकास अनुकरणीय है और बनारस फिर सुर्खियों में है।

मुसलमान विकास का हिस्सा: शकील

राष्ट्रीय फुटबाल टीम में खेल चुके उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन शकील अहमद का कहना है कि यह शहर मुस्लिमों के लिए भी श्रद्धा और रोजगार का केंद्र है। विकास और योजनाओं का लाभ यहां के मुसलमानों को भी हुआ है, लेकिन पिछले तीन वर्ष से बुनकरों का करोबार बेहाल है। मुसलमान सामूहिक विकास का हिस्सा है, लेकिन उसकी अपनी कुछ सामुदायिक समस्याएं भी हैं, जिन पर सरकारों को अलग से ध्यान देना चाहिए।

पर्यटक बढ़े तो बढ़ी आमदनी: मोईनुद्दीन

कल्याणकारी योजनाओ के बारे में पूछने पर बनारस बुनकर बिरादराना तंजीम (बाईसी कमेटी) के अध्यक्ष मोईनुद्दीन बताते हैं कि विकास का लाभ मुसलमानों को भी मिला है। वाराणसी में पर्यटकों की आमद बढ़ने से नाई, दर्जी, मोटर मैकेनिक, होटल व अन्य व्यवसाय कर रहे मुस्लिम तबके की आमदनी भी बढ़ी है। वह कहते हैं कि बनारस की असली पहचान बनारसी साड़ी का कारोबार है, लेकिन अब सूरत की साड़ी बनारसी साड़ी के नाम से बेची जा रही है, जिससे स्थानीय कारोबारियों को नुकसान हो रहा है।

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