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Lok Sabha Election 2024: गडकरी बनाम ठाकरे में किसकी होगी जीत? जानें इस चर्चित सीट का पूरा चुनावी इतिहास

Nagpur Lok Sabha Seat पारंपरिक तौर पर नागपुर संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन पिछले दो चुनावों में जिस तरह से नितिन गडकरी ने यहां से बड़े अंतर से जीत दर्ज की है उससे यह भाजपा की मजबूत सीटों में गिनी जाने लगी है। जानिए क्या रहा है इस चर्चित सीट का इतिहास और इस बार दोनों दलों को किन मुद्दों से है उम्मीदें।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Mon, 15 Apr 2024 01:09 PM (IST)
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Lok Sabha Election: भाजपा ने नितिन गडकरी और कांग्रेस ने विकास ठाकरे को नागपुर से चुनावी मैदान में उतारा है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Nagpur Lok Sabha Seat: महाराष्ट्र की उपराजधानी और संतरों के शहर कहे जाने वाले नागपुर के पड़ोस की सीट रामटेक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली ने आसपास के क्षेत्र की राजनीति को गर्मा दिया है। नागपुर में पहले चरण में मुकाबला केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के विकास कार्यों और कांग्रेस के उम्मीदवार एवं नागपुर पश्चिम सीट से विधायक विकास ठाकरे के बीच है।

आजादी के बाद 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से 1996 तक कांग्रेस की यह अजेय सीट रही थी। एक बार निर्दलीय माधव श्रीहरि अणे एवं एक बार आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस ही इस सीट पर जीतती रही है। दो बार कांग्रेस सांसद रहे बनवारीलाल पुरोहित ने जब श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के प्रभाव में भाजपा का दामन थामा तभी भाजपा यहां से पहली बार 1996 में जीत सकी थी। इसके बाद फिर चार बार भाजपा की हार हुई, जो 2014 में नरेन्द्र मोदी लहर में ही रुक पाई।

2014 में शुरू हुआ जीत का सिलसिला

साल 2014 के चुनाव (Lok Sabha Election) में जब भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी को टिकट दिया गया तो जीत का सिलसिला फिर शुरू हुआ, क्योंकि महाराष्ट्र तब तक गडकरी की विकास दृष्टि से परिचित हो चुका था। गडकरी 2,84,848 मतों से जीतकर सांसद बने। उम्मीद पर खरे उतरे तो 2019 में दोबारा सांसद चुने गए।

नागपुर में जिन कार्यों की शुरुआत गडकरी ने 10 वर्ष पहले की थी, उनमें से कई पूरे हो चुके हैं। गडकरी के विकास कार्यों पर कांग्रेस प्रत्याशी विकास ठाकरे अंगुली उठाते हुए कहते हैं कि सीमेंट की सड़कों ने शहर का तापमान बढ़ा दिया है।

कांग्रेस को जातीय समीकरण से उम्मीद

कांग्रेस को विकास ठाकरे के जातीय समीकरण से भी उम्मीद है। वह कुनबी समाज से हैं। कुछ महीनों से चल रहे मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन के कारण राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में मराठों को प्रमाण-पत्र देकर कुनबी समाज का हिस्सा बना दिया है। यह कुनबी आरक्षण में सेंध है। यह बात कुनबी समाज को खटक रही है।

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भेदभाव के आरोप को भाजपा ने नकारा

कांग्रेस का तर्क यह भी है कि गडकरी और भाजपा द्वारा किए गए ज्यादातर काम अमीर एवं उच्च-मध्यम वर्ग के लिए हैं। इसका लाभ गरीबों-दलितों एवं मुस्लिमों को नहीं मिल रहा है। इसका उत्तर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय पाठक केंद्र सरकार की योजनाएं गिनाकर देते हैं। योजनाओं से इतर गडकरी ने अब तक हजारों लोगों के हृदय रोग एवं नेत्र रोग का आपरेशन मुफ्त करवाया है। लाभार्थी सभी वर्गों के हैं।

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हार-जीत में इनकी बड़ी भूमिका

हार-जीत में बड़ी भूमिका यहां के 4.5 लाख प्रवासी मतदाता निभाएंगे। यह वर्ग छोटे-मोटे रोजगार से लेकर बड़े उद्यम तक में सक्रिय है। कांग्रेस शासन में कभी शिवसेना तो कभी मनसे के कारण यह वर्ग सांसत में जीता आया है। केंद्र एवं राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद से निश्चिंत होकर धंधे में व्यस्त हैं।

ये तथ्य हैं गडकरी के पक्ष में

नागपुर लोस क्षेत्र की छह में चार विस सीटों का भाजपा के पास होना, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का गृहनगर होना और आरएसएस का मुख्यालय होना गडकरी के पक्ष में जाता है । इसलिए भाजपा नागपुर को महाराष्ट्र में अपनी सबसे मजबूत सीट मानकर चल रही है।

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