Narmadapuram Lok Sabha Seat: जब आसमान से बरसने लगे पर्चे, नतीजों ने कर दिया था हैरान; पढ़िए एक CM की हार का किस्सा
Narmadapuram Lok Sabha Chunav 2024 updatesदेश की सभी राजनीतिक पार्टियां लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी हैं। ऐसे में आपको भी अपनी लोकसभा सीट और अपने सांसद के बारे में जानना भी चाहिए ताकि इस बार किसको जिताना है यह तय करने में कोई दुविधा न आए। आज हम आपके लिए लाए हैं नर्मदापुरम लोकसभा सीट और यहां के सांसद के बारे में पूरी जानकारी...
प्रवीण मालवीय, भोपाल। Narmadapuram Lok Sabha Election 2024 latest news: साल 1998 की फरवरी की एक सर्द सुबह थी। बाबुओं और बाबाओं का शहर कहे जाने वाले होशंगाबाद (आज के नर्मदापुरम) में आम सुबह की तरह बाबू टिफिन लटकाए ऑफिस जा रहे थे, तो बच्चे स्कूल। अचानक आसमान से लहराते हुए पर्चे गिरने लगे। हैरान लोग ऊपर देखने लगे। उस वक्त आसमान रंग-बिरंगे नीचे गिरते हजारों पर्चों से अटा पड़ा था। ऊपर हेलीकॉप्टर था।
हेलीकॉप्टर से गिराए पर्चे फिर भी...
उन दिनों हेलीकॉप्टर देखने के लिए भीड़ जुट जाती थी, लेकिन उससे पर्चे गिराना अनूठी बात थी। लोगों ने हवा से भेजे गए पर्चे हाथोंहाथ लिए। कई दिनों तक पर्चे चर्चा का विषय बने रहे। पर्चों पर अर्जुन सिंह (तत्कालीन मुख्यमंत्री) को लोकसभा चुनाव में जिताने की अपील की गई थी।दरअसल, कांग्रेस ने अर्जुन सिंह को यहां से लगातार तीन बार से जीत रहे भाजपा के सरताज सिंह के सामने उतारा था। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह का प्रचार का तरीका इतना प्रभावी था कि जनता के बीच बाबूजी के नाम से लोकप्रिय सरताज सिंह की पुरानी जीप की आवाज दबी हुई सी मालूम होती थी। जब परिणाम आए तो राजनीति के जानकार चौंक गए। जनता ने अर्जुन सिंह के मुकाबले सरताज सिंह को चुना था।
कामथ जैसे दिग्गज कर चुके प्रतिनिधित्व
यह किस्सा होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र और यहां की राजनीति की दशा-दिशा समझने की इच्छा रखने वालों के लिए राजनीति की मोटी किताब का एक पन्ना भर है। नर्मदा कछार के इस क्षेत्र की राजनीति कभी सफल रही, तो कभी अबूझ और जटिल।देश के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां संसदीय इतिहास की शुरुआत भले ही 1957 में कांग्रेस के मगनलाल बागड़ी के चुने जाने से हुई हो, लेकिन एक उपचुनाव के बाद 1962 में ही यहां की जनता ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हरि विष्णु (एच वी) कामथ को चुन लिया।
संविधान सभा के सदस्य रह चुके एच वी कामथ वर्ष 1977 में फिर भारतीय लोकदल के टिकट पर यहां से चुने गए। एच वी कामथ सिविल सेवा के अधिकारी भी रह चुके थे और चोटी के विद्वान थे। उनकी विद्वता देखकर ही पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें संविधान सभा के लिए चुना। एच वी कामथ किसी को बख्शने वाले भी नहीं थे।उन्होंने न केवल संसद में कई बार महत्वपूर्ण संशोधन से लेकर अन्य प्रस्ताव लाकर अपना सिक्का जमाया , बल्कि स्वतंत्रता दिवस पर आधी रात के विशेष भाषण में भी वे राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद तक को टोकने से नहीं चूके थे। एच वी कामथ के संसदीय इतिहास पर विभिन्न भाषणों पर कई विद्यार्थी शोध तक कर चुके हैं।
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शरद यादव की जन्मस्थली
नरसिंहपुर से लेकर नर्मदापुरम तक नर्मदा नदी के बहाव के साथ फैले होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र में अपवाद छोड़ दें तो उद्योगों जैसा कुछ नहीं है। कस्बों और गांवों में फैले इस संसदीय सीट की बड़ी आबादी मां नर्मदा के आंचल में खेती-किसानी करती है।स्वर्गीय माखनलाल चतुर्वेदी, भवानी प्रसाद मिश्र और हरिशंकर परसाई जैसे साहित्य की विभूतियों से लेकर ओशो जैसे विचारकों को पुष्पित-पल्लवित करने वाली मिट्टी राजनीति के लिए भी उपजाऊ है। माखननगर के आंख मऊ गांव में जन्मे शरद यादव ने यहीं से पढ़ाई की और आगे चलकर देश की राजनीति में अपना स्थान बनाया। नरसिंहपुर से नीतिराज चौधरी कांग्रेस से सांसद बने तो गाडरवारा से निकले रामेश्वर नीखरा भी सांसद चुने गए। उनकी गिनती प्रदेश के बड़े नेताओं में तो थी ही, वे कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।इसी नरसिंहपुर से ठाकुर निरंजन सिंह जैसे भी नेता निकले, जो पहली विधानसभा मध्य प्रांत सीपी बरार की विधानसभा में पं. रविशंकर शुक्ल के सामने विपक्ष के नेता थे। वे बाद में दो बार राज्यसभा सदस्य भी रहे।जातिगत आधार पर कभी नहीं बंटे मत
होशंगाबाद-नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र की एक बड़ी विशेषता यह भी रही है कि यहां का वोट बैंक कभी जातीय आधार पर नहीं बंटा। जब रामेश्वर नीखरा यहां से चुने जाते थे, तब उनके अग्रहरि बनिया समाज के मतदाता बेहद कम थे। रामेश्वर नीखरा वर्ष 1980 और 1984 में जीते।इसी तरह पूरे इलाके में सिख बाहुल्य एक वार्ड तक नहीं होने के बावजूद सरताज सिंह ने लगातार चार बार जीत दर्ज की। वे अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। जैन परिवार कम होने के बावजूद श्वेतांबर जैन सुंदरलाल पटवा ने राजकुमार पटेल को पटखनी देकर जीत हासिल की। बात केवल जातिवाद की नहीं है, बल्कि मतदाताओं की समझ की भी है।भाजपा का गढ़ बनने के बाद वर्ष 2009 में जब भाजपा ने उदयपुरा के रामपाल सिंह को मैदान में उतारा तो जनता ने कांग्रेस से सांसद के रूप में इसी क्षेत्र के निवासी राव उदय प्रताप को चुना। बाद में राव उदय प्रताप सिंह भाजपा में शामिल हुए और दो बार से लगातार जीत हासिल की।होशंगाबाद में कितनी विधानसभा?
होशंगाबाद, सिवनी-मालवा, सोहागपुर, पिपरिया, गाडरवारा, नरसिंहपुर, तेंदूखेड़ा और उदयपुरा समेत आठ विधानसभा शामिल हैं।होशंगाबाद की ताकत
- कुल मतदाता- 17,88,556
- पुरुष मतदाता- 9, 23,854
- महिला मतदाता- 8,64, 650
- थर्ड जेंडर- 52
इन नेताओं ने किया प्रतिनिधित्व
साल | सांसद | पार्टी |
1957 | मगनलाल बागड़ी | कांग्रेस |
1962 | हरि विष्णु कामथ | प्रजा सोशलिस्ट पार्टी |
1967 | चौधरी नीतिराज सिंह | कांग्रेस |
1971 | चौधरी नीतिराज सिंह | कांग्रेस |
1977 | हरि विष्णु कामथ | भारतीय लोकदल |
1980 | रामेश्वर नीखरा | कांग्रेस |
1984 | रामेश्वर नीखरा | कांग्रेस |
1989 | सरताज सिंह | भाजपा |
1991 | सरताज सिंह | भाजपा |
1996 | सरताज सिंह | भाजपा |
1998 | सरताज सिंह | भाजपा |
1999 | सुंदरलाल पटवा | भाजपा |
2004 | सरताज सिंह | भाजपा |
2009 | राव उदय प्रताप सिंह | कांग्रेस |
2014 | राव उदय प्रताप सिंह | भाजपा |
2019 | राव उदय प्रताप सिंह | भाजपा |