Lok Sabha Election 2024: 'बड्डी उदास छलैय नेताजी, चेहरा पर अफसोस साफ देखैत रहै', खिसकती जमीन देख विचलित हो उठे माननीय
Lok Sabha Election 2024 गंगा पुत्र नेताजी अचानक नजर के सामने वर्षों से तैयार उनकी उर्वर जमीन पर लहलहाती फसल दूसरे नेता को काटते देख विचलित हो उठे। नए घर में प्रवेश के बाद गंगा पुत्र समझे जाने वाले कद्दावर नेता पहली बार अपने एक करीबी मुखिया के यहां शादी समारोह में भाग लेने पहुंचे थे। जमीन इलाका लोग सब उन्हें दिलोजान से चाहते थे। सबने उन्हें घेर लिया।
कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। कई बार छोटे-बड़े सदन पहुंचने वाले गंगा पुत्र नेताजी अचानक नजर के सामने वर्षों से तैयार उनकी उर्वर जमीन पर लहलहाती फसल दूसरे नेता को काटते देख विचलित हो उठे। नए घर में प्रवेश के बाद गंगा पुत्र समझे जाने वाले कद्दावर नेता पहली बार अपने एक करीबी मुखिया के यहां शादी समारोह में भाग लेने पहुंचे थे।
जमीन, इलाका, लोग सब उन्हें दिलोजान से चाहते थे। सबने उन्हें घेर लिया। मुखिया जी बेचारे काठ हो रहे थे, क्या करते, उस गांव से गंगा किनारे तक के वोटरों पर इस नेताजी का एकछत्र राज था, लेकिन नए घर में अचानक प्रवेश कर गए थे। दल की प्रतिबद्धता के कारण उनके समर्थन में उनकी उर्वर जमीन वाले इन वोटरों का मुंह स्वाभाविक तौर पर घटक दल के दूसरे नेताजी के समर्थन में बदलने लगा था।
अब मुखियाजी कभी नेताजी के चेहरे को तो कभी गांव के लोगों को देख रहे थे। विधानसभा से लोकसभा का चुनाव हो इस नेताजी के समर्थन में जान की बाजी लगाने को बेताब रहते थे इलाके के लोग। लेकिन नए गृह प्रवेश करते ही फिजां ही बदल गई। दूसरे घटक के नेताजी भी शादी समारोह में पहुंच गए थे। विपरीत ध्रुव के रहते हुए भी दूसरे घटक वाले नेताजी के साथ ग्रामीण गोलबंदी दिखाने लगे।
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गंगा पुत्र माने जाने वाले नेताजी के चेहरे पर अफसोस के भाव नजर आ रहे थे। जिसकी बानगी मुखियाजी ने अपनी जुबानी अपने एक रिश्तेदारी वाले नेताजी को अपनी स्थानीय भाषा में कुछ इस अंदाज में सुनाया... बड्डी उदास छलैय नेताजी, चेहरा पर अफसोस साफ देखैत रहै... हुनका सामना म हुनको लोग दल के मर्यादा जोगै खातिर दोसर नेताजी के साथ गोलबंद होय गेलैय।
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मुखियाजी हालांकि जबतक नेताजी रहें, उनके साथ ही बने रहें। उन्हें भी अफसोस हो रहा था नये गृह प्रवेश करने वाले नेताजी के चेहरे के उतार-चढ़ाव को देखते हुए।यह भी पढ़ें -Lok Sabha Election 2024: कोटा में कांटे की टक्कर, बिरला के सामने पुराने स्वयंसेवक गुंजल; जनता किसे पहनाएगी ताज?