Lok Sabha Election 2024: सूरत से कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द, वकील ने भाजपा पर लगाया ये आरोप
लोकसभा चुनाव 2024 सूरत से कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द कर दिया गया है। दरअसल उनके तीनों प्रस्तावकों ने फार्म में अपने हस्ताक्षर से इनकार कर दिया था। उधर कांग्रेस ने कहा कि वह इस मामले में हाईकोर्ट का रुख करेगी। नीलेश कुंभाणी के वकील ने कहा कि तीनों प्रस्तावक संपर्क में नहीं हैं। उन्होंने अपहरण की आशंका भी जताई है।
जेएनएन, अहमदाबाद। सूरत संसदीय सीट से कांग्रेस प्रतयाशी नीलेश कुंभाणी का फार्म चुनाव आयोग ने लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम – 1951 के तहत रद्द कर दिया। भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल के वकील की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में बताये गए तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर फर्जी होने की शिकायत की गई थी। कांग्रेस ने सूरत कलेक्टर व पुलिस आयुक्त पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में याचिका लगाने की बात कही है।
आदेश में क्या कहा गया?
सूरत जिले के पीठासीन अधिकारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी के नामांकन पत्र में बताए गए तीनों प्रस्तावक रमेश भाई पोलरा, जगदीश भाई सावलिया और ध्रुविन धीरूभाई धामेलिया ने उनके समक्ष हाजिर होकर शपथ पत्र देकर बताया है कि नामांकन में अंकित हस्ताक्षर उनके नहीं है।यह भी पढ़ें: 12 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण में मतदान, यहां देखें- किस राज्य में कहां-कहां होगी वोटिंग
कांग्रेस ने जताई प्रस्तावकों के अपहरण की आशंका
भाजपा प्रत्याशी के वकील चित्रजीत उपाध्याय ने पीठासीन अधिकारी के समक्ष इस पर आपत्ति जताई थी। उच्चतम न्यायालय के शालिग्राम श्रीवास्तव बनाम नरेशसिंह पटेल केस में दिसंबर 2002 को दिय गए एक फैसले का भी यहां हवाला दिया। कांग्रेस प्रत्याशी के वकील बी एम मांगुकिया का आरोप है कि तीनों प्रस्तावक उनके संपर्क में नहीं हैं, उनके अपहरण की भी आशंका कांग्रेस ने जताई है।
वकील ने लगाया ये आरोप
वकील मांगूकिया का आरोप है कि कांग्रेस की ओर जिला के पीठासीन अधिकारी और पुलिस आयुक्त को इसकी शिकायत की गई लेकिन उस पर कोई जांच नहीं करके कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर दिया गया। यह लोकतंत्र की हत्या है तथा भाजपा ने नीलेश कुंभाणी को मिल रहे जनसमर्थन से घबराकर उनका नामांकन ही खारिज करा दिया।उनका दावा है कि गत चुनाव में भी ऐसा ही एक मामला आया था लेकिन प्रत्याशी के पक्ष में निर्णय किया गया था। कांग्रेस इस मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण के तहत अपील कर प्रस्तावकों के बयानों की जांच करा सकती है।