Election 2024: राजनीतिक विमर्श में सक्रिय भागीदार बने NRI, भाजपा ने सबसे पहले समझा महत्व
पीएम मोदी का अनुसरण कांग्रेस नेता भी करने लगे हैं। राहुल ने वर्ष 2018 में पहली बार ब्रिटेन और जर्मनी की यात्रा की जहां उनकी भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बैठकें हुई। इसके बाद 2019 के आम चुनाव से पहले यूएई की यात्रा की जहां एक क्रिकेट स्टेडियम में उनसे मिलने के लिए 30 हजार लोगों की भीड़ थी । 2022 में उन्होंने अमेरिका में भी कई बैठकें की।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। 54 वर्षीय दीपक पटेल अमेरिका के न्यूजर्सी में होटल कारोबारी हैं। दो वर्षों बाद वह सपरिवार मार्च के अंत में अपने गृह नगर अहमदाबाद पहुंचेंगे। यहां उनकी योजना दो महीने रहने की है। इस यात्रा का एक बड़ा मकसद आम चुनाव 2024 में हिस्सा लेना है दीपक पटेल पहली बार ऐसा नहीं कर रहे। वर्ष 2019 के आम चुनाव में भी वोटिंग के लिए वह आए थे। उनके जैसे सैकड़ों अनिवासी भारतीय अब भारत के आम चुनाव में अपने वोट का इस्तेमाल करने आने लगे हैं।
बता दें कि विदेश में रहने वाले लोग अपने घर व समाज में खास महत्व रखते हैं। इस तथ्य को भाजपा ने सबसे पहले समझा। इसी के तहत प्रधानमंत्री मोदी जब भी किसी देश में जाते हैं तो वहां एनआरआइ समुदाय से जरूर मिलते हैं।यह भी पढ़ें: भाजपा के उभार से कैसे बदला देश का राजनीतिक परिदृश्य, एक दशक तक विपक्ष में रहने के बाद आया प्रभुत्व का दौर
2019 से ज्यादा 2024 में सक्रियता
वर्ष 2019 में हजारों अमेरिकी प्रवासी भारतीय गुजरात आए थे। यहां उन्होंने अपने पसंदीदा राजनीतिक दलों के पक्ष में जमकर प्रचार किया। इसमें से ज्यादातर पीएम मोदी के प्रशंसक थे पीएम मोदी ने वर्ष 2014 से एनआरआइ से मुलाकातों का जो सिलसिला शुरू किया था, उसका साफ असर अब दिख रहा है।ओवरसीज फ्रेंड्स आफ बीजेपी ने कहा है कि वर्ष 2024 के आम चुनाव को लेकर उसकी सक्रियता वर्ष 2019 से भी ज्यादा होगी। संगठन ने 25 लाख फोन काल करने और तीन हजार सदस्यों की बड़ी टीम भारत भेजने का फैसला किया है जो यहां घूम- घूम कर चुनाव प्रचार करेगी।
मोदी के विदेश में भी घरेलू रैलियों जैसे तेवर
प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2014 के पहले भी विदेश दौरे पर जाते रहे हैं और इन दौरों पर उनकी उस देश में रहने वाले भारतीयों से मुलाकातें भी होती रही हैं। मगर इन मुलाकातों का अंतराल कम था और इसमें मुख्य तौर पर भारतीय दूतावासों में कार्यरत लोगों के स्वजन या कुछ दूसरे गणमान्य व्यक्ति ही शामिल होते थे, लेकिन अब जब मोदी विदेश दौरे पर जाते हैं तो वहां प्रवासी भारतीयों से मुलाकात के लिए विशालकाय स्टेडियम की बुकिंग होती है। ह्यूसटन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में 50 हजार की भीड़ थी।
इन आयोजनों में पीएम मोदी के तेवर वही होते हैं जो घरेलू राजनीतिक रैलियों में होते हैं अपनी सरकार की उपब्धियों को गिनाया जाता है और विपक्ष पर जमकर निशाना लगाया जाता है। पहली बार ऐसा हुआ है कि भाजपा ने अपने राजनीतिक विमर्श में एनआरआइ, विदेश में काम करने वाले भारतीय नागरिकों, छात्रों को सक्रिय तौर पर शामिल किया है।यह भी पढ़ें: भगवान की शरण में पहुंची सनातन को नकारने वाली DMK, सनातन की बढ़ती लोकप्रियता का तमिलनाडु में दिख रहा प्रभाव