Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2024: मुस्लिम उम्मीदवारों से मुंह मोड़ता विपक्ष! क्या सोची समझी रणनीति या फिर ध्रुवीकरण का डर?

Lok Sabha Election 2024 उत्तर प्रदेश में सपा बसपा और कांग्रेस जैसे मुख्य विपक्षी दलों के लिए मुस्लिम वर्ग बड़ा मतदाता रहा है। लेकिन 2014 से इन पार्टियों में मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या घटती जा रही है। 2024 में भी अब तक की स्थिति उदासीन ही रही है। जानिए इसके पीछे के क्या हैं कारण। पढ़ें रिपोर्ट. . . .

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Wed, 03 Apr 2024 11:55 AM (IST)
Hero Image
Lok Sabha Election 2024: 2014 से अब तक लगातार मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या में कमी आई है।
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। लगभग 40 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले जिस मुरादाबाद ने अब तक 11 बार मुस्लिम नेताओं को चुनकर संसद भेजा, वहां से इस बार सपा ने सांसद डा. एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को गठबंधन प्रत्याशी बनाया है। इतनी ही मुस्लिम आबादी वाले बिजनौर से कोई मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं है। यही हाल मुजफ्फरनगर, मेरठ और बागपत सहित कई उन सीटों का भी है।

इन क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में बैठे मुस्लिम मतदाताओं के मन में निराशा या प्रश्न हो सकते हैं, लेकिन मुस्लिम मतों के सहारे राजनीतिक आधार मजबूत करने के लिए प्रयासरत रहने वाले उत्तर प्रदेश के प्रमुख दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस से जुड़े मुस्लिम नेताओं की 2014 से घटती जा रही समाज के उम्मीदवारों की संख्या पर नजर है और वह इसके पीछे के कारणों को समझ भी रहे हैं।

मुस्लिम वर्ग को लेकर विपक्ष की रणनीति

वह मान रहे हैं कि भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण की आशंका से सतर्क इन विपक्षी दलों की रणनीति में यह विश्वास भी है कि आखिर 'बेचारा' मुस्लिम जाएगा कहां? उत्तर प्रदेश में पहले चरण में जिन आठ सीटों पर मतदान होने जा रहा है, उनमें अधिकतर सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। कई सीटें दूसरे और अन्य चरणों में भी हैं।

बात उन सीटों की हो रही है, जहां मुस्लिमों ने अनुसूचित जाति वर्ग के साथ तालमेल बैठाया तो बसपा मजबूत हुई और यादवों से हाथ मिलाया तो सपा की नैया पार लगा दी। कभी यह वर्ग कांग्रेस पर भी खूब प्यार लुटाता रहा। मगर, इसके बावजूद जिस तरह से सपा, बसपा और कांग्रेस 2024 की बाजी सजाते दिख रहे हैं, उससे रणनीति का संकेत मिल रहा है कि यह दल मुस्लिम चेहरों को आगे रखकर चुनावी मैदान में उतरने से संकोच कर रहे हैं।

सपा-बसपा दोनों ने मोड़ा मुंह

उदाहरण के तौर पर मुजफ्फरनगर से भाजपा के संजीव बालियान मैदान में हैं तो करीब पांच लाख मुस्लिम आबादी के बावजूद सपा ने हरेंद्र मलिक और बसपा ने दारा सिंह प्रजापति को टिकट दे दिया। चार से पांच लाख मुस्लिम मतदाताओं वाली बिजनौर सीट से रालोद ने चंदन चौहान को गठबंधन प्रत्याशी बनाया सपा ने दीपक सैनी और बसपा ने चौ. वीरेंद्र सिंह को उतार दिया।

पीलीभीत से सिर्फ एआईएमआईएम ने मुस्लिम को टिकट दिया तो कैराना में बसपा ने श्रीपाल सिंह को प्रत्याशी बना दिया। सपा ने जरूर इकरा हसन को उम्मीदवार बनाया है। मेरठ से भी विपक्षी खेमे से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है। कुल मिलाकर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर कुल 80 में से 62 सीटों पर लड़ रही सपा अब तक 48 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।

चुनाव से जुड़ी हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करें

सपा ने अब तक उतारे चार मुस्लिम प्रत्याशी

इनमें मुस्लिमों के प्रभाव वाली लगभग सभी सीटें शामिल हैं। इन पर अब तक सपा ने सिर्फ चार मुस्लिम नेताओं को टिकट दिए हैं। कांग्रेस को लड़ने के लिए 17 सीटें मिली हैं, जिनमें से वह 13 घोषित कर चुकी है। उसने सिर्फ दो मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। शेष अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज और मथुरा पर अल्पसंख्यकों का दावा ही नहीं है।

बसपा धीरे-धीरे टिकट बांट रही है, जिसमें से सिर्फ सात मुस्लिम अभी तक टिकट पा सके हैं। आगे मायावती क्या दांव चलती हैं, इन पर सभी की नजरें होंगी, लेकिन मुस्लिमों के प्रभाव वाली सीटों पर दिखी कंजूसी इशारा करती है कि उसका आंकड़ा भी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ सकेगा।

ये भी पढ़ें- देश में लोकसभा की एक ऐसी सीट, जिस पर 72 साल से जीत को तरस रही कांग्रेस; फेल हो गईं सभी रणनीति

समीकरण देखकर उम्मीदवारी

लोकसभा चुनाव 2014 से बदलते जा रहे पैटर्न को लेकर समाजवादी छात्रसभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. इमरान सहमत हैं। वह कहते हैं कि यह भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों की रणनीति है। समीकरण देखकर ही प्रत्याशी उतारे जा रहे हैं। मगर, कांग्रेस के एक कद्दावर मुस्लिम नेता नाम न छापने की शर्त पर अपना दर्द साझा करते हैं।

वह कहते हैं कि सपा, बसपा और कांग्रेस जैसे दल अब इस आशंका से डरने लगे हैं कि मुस्लिमों को ज्यादा टिकट देने से भाजपा इसे मुस्लिम तुष्टिकरण के रूप में प्रचारित कर ध्रुवीकरण न करा दे। इस पर मुस्लिम मतदाताओं के रुख के प्रश्न पर वह कहते हैं कि यह तीनों ही दल जान चुके हैं कि प्रतिनिधित्व न भी दिया जाए तो उनके लिए वोटबैंक बन चुका मुस्लिम जाएगा कहां?

यूं घटी मुस्लिमों की दावेदारी

2014 लोकसभा चुनाव

  • सपा- 14
  • बसपा- 19
  • कांग्रेस- 11
  • कुल- 44
2019 लोकसभा चुनाव

  • सपा- 4
  • बसपा- 6
  • कांग्रेस- 8
  • कुल- 18
2024 लोकसभा चुनाव (अब तक)

  • सपा- 4
  • बसपा- 7
  • कांग्रेस- 2
  • कुल- 13
ये भी पढ़ें- सावधान! इफ्तार दावत और भंडारों पर चुनाव आयोग की निगाह, कहा- रोक नहीं, प्रत्‍याशी के खर्च में जुड़ सकता है पैसा