Lok Sabha Election 2024: बड़बोले नेताओं से पार्टियों ने बनाई दूरी! न टिकट मिला, न प्रचार में जगह
Lok Sabha Election 2024 हालिया घटनाक्रमों से पता चलता है कि विवादित बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले नेताओं को राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव के दौरान उतनी तरजीह नहीं दी। ऐसे नेताओं को न ही टिकट दिया गया और न ही चुनावी अभियान में जगह। प्रज्ञा ठाकुर वरुण गांधी समेत इसके कई उदाहरण मौजूद हैं। पढ़ें बयानवीरों पर ये खास रिपोर्ट-
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। राजनीति में आगे बढ़कर बयान देना चर्चा में तो लाता है, पर कभी-कभी उल्टा भी पड़ जाता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, सपा और राजद जैसे कई दलों ने बयानबाज नेताओं से दूरी बना रखी है। टिकट नहीं दिया और तरजीह भी नहीं दे रहे।
दो महीने पहले तक कई नेताओं को उनके आलाकमान की चुप्पी ने प्रोत्साहित किया, किंतु जब कुछ देने का समय आया तो मुंह फेर लिया। ऐसे दर्जनभर नेता आज चर्चा से दूर हैं। सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य, राजद के प्रो. चंद्रशेखर और भाजपा की प्रज्ञा ठाकुर जैसे नेता या तो पार्टियों के विश्राम कक्ष में हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य खूब बोलते थे। प्रतिक्रिया भी होती थी। आलाकमान की चुप्पी से उनका मनोबल बढ़ता गया, किंतु चुनाव करीब आते ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाव देना बंद कर दिया। उनके बयानों को निजी विचार बताया जाने लगा तो उन्हें दल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। अलग पार्टी बना ली।
INDI गठबंधन से टिकट की गुहार
हिंदू को धर्म नहीं, धोखा बताने वाले स्वामी को अब एक सीट के लिए INDI गठबंधन से गुहार लगानी पड़ रही है। उनके बिगड़े बोलों का खामियाजा उनकी बेटी एवं बदायूं की भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य को भी भुगतना पड़ा। हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत पर अरुचिकर टिप्पणी करने की गाज कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत पर गिरी है। कांग्रेस ने उन्हें महाराजगंज से टिकट देना जरूरी नहीं समझा।
भाजपा ने भी बनाई दूरी
भाजपा ने भी अपने कई बयानवीरों को विश्राम दिया है। कई ऐसे सांसदों से दूरी बना ली है, जिन्हें काम के आधार पर नहीं, बल्कि बयानों के चलते जाना जाता है। बिहार के मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद के बेतुके बोलों को भी भाजपा ने याद रखा और टिकट काटने में कोताही नहीं की। कोरोना के समय अजय ने देश के सारे मुसलमानों को आतंकी बताया था। मामला अदालत तक भी पहुंचा था।उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से वरुण गांधी के बेटिकट होने के पीछे भी ऐसे ही बिगड़े बोल को कारण बताया जा रहा। भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर पर भी दोबारा विचार नहीं किया गया। नाथुराम गोडसे को देशभक्त बताना भारी पड़ गया। दक्षिण दिल्ली के भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी भी बयानों के शिकार हो गए। बसपा सांसद दानिश अली के लिए उन्होंने संसद में ही अपशब्द बोले थे, तब खूब हंगामा हुआ था। असर अब हुआ।