Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2024: पंजाब की इस सीट पर धर्मसंकट में मतदाता, सभी आम जनता के नेता; किसको चुनें और किसको छोड़ें

Lok Sabha Election 2024 पंजाब की पटियाला लोकसभा सीट पर मतदाता धर्मसंकट में फंसे हैं। यहां सभी दलों ने आम जनता से जुड़े नेताओं को सियासी रण में उतारा है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि किसको मतदाताओं का साथ मिलता है। भाजपा से परनीत कौर आप से डॉ बलबीर सिंह कांग्रेस से डॉ. धर्मवीर गांधी और शिअद से एनके शर्मा चुनाव मैदान में हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 28 May 2024 11:53 AM (IST)
Hero Image
लोकसभा चुनाव 2024: परनीत कौर, डॉ. धर्मवीर गांधी, डॉ. बलबीर सिंह और एनके शर्मा।
जागरण, पटियाला। कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाती पटियाला लोकसभा सीट के लोगों को इस बार चुनाव में यह समझ में नहीं आ रहा है कि किसको चुनें और किसको छोड़ें। इसका कारण यह है कि मैदान में उतरे आप, भाजपा, कांग्रेस और शिअद प्रत्याशियों की छवि आम आदमी के काम आने वाले नेता की है। इस पर पटियाला से राज्य ब्यूरो प्रमुख इन्द्रप्रीत सिंह की विशेष रिपोर्ट...

यह भी पढ़ें: दिलचस्प है पंजाब की इस सीट का समीकरण, 26 साल बाद अकाली दल ने उतारा प्रत्याशी; अहम है 'हाथी' की भूमिका

घन्नौर विधानसभा का गांव आकड़ी पिछले दिनों काफी चर्चा में आ गया। गांव के सुरिंदर सिंह की अचानक मौत हो गई थी। वह कांग्रेस से भाजपा में आई प्रत्याशी परनीत कौर का विरोध करने किसानों के साथ पास के गांव में ही गया था।

आकड़ी को जाती जिस सड़क पर सिर्फ अमावस्या और संक्रांति के दिन ही भीड़ होती है, वहां अचानक से मीडिया, भाजपा विरोधी नेताओं और किसान संगठनों की गाड़ियां दनदनाने लगीं। इस सड़क पर प्रसिद्ध ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री नीम साहिब बना है, जो आकड़ गांव में पड़ता है।

सड़क के गड्ढे किसी को नहीं दिख रहे

गुरुद्वारा साहिब को पार करते ही बाईं ओर मुड़ने पर गांव आकड़ी आता है, जहां सुरिंदर सिंह की मौत हुई थी। तीन दिन की मशक्कत के बाद किसानों का विरोध शांत हुआ। विरोधी पार्टियों को भाजपा को कोसने के लिए प्लेट में रखा मुद्दा मिल गया, लेकिन आकड़ी गांव की ओर जाती शंकरपुर और आकड़ के बीच की सड़क पर 50 फुट से ज्यादा बड़े और 10 फुट गहरे गड्ढे को कोई नहीं देख रहा। यह न तो किसी सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंडे में है और न ही विपक्षी पार्टियों के...आखिर पांच से 10 गांवों को जोड़ने वाली इस सड़क के बीच पिछले लगभग एक वर्ष से पड़े इस गड्ढे के मुद्दे को उठाकर कौन से वोट पड़ने हैं।

कोई नहीं उठा रहा सड़क का मुद्दा

यह पिछले साल जुलाई में हुई बरसात में सड़क बह जाने के कारण बन गया, लेकिन इन गांव वालों की तकलीफ समझने की किसी को जरूरत नहीं है। गुरुद्वारा साहिब में कारसेवा वाले बाबा अमरीक सिंह ने इस गड्ढे के साथ कच्ची सड़क बना दी है जो एक बरसात में फिर खत्म हो सकती है, लेकिन तब तक काम चल रहा है। पटियाला संसदीय सीट पर न जाने ऐसी कितनी सड़कें हैं, लेकिन इस मुद्दे को कोई नहीं उठा रहा।

परनीत कौर क्यों हैं चुप?

किसानों के विरोध का सामना कर रहीं परनीत कौर इसलिए नहीं उठा रहीं, क्योंकि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के मंत्री डॉ. बलबीर सिंह, जो पटियाला से उनके खिलाफ खड़े हैं, इस गड्ढे को न भर पाने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं, जिसने पिछले तीन वर्ष से देहाती विकास फंड का छह हजार करोड़ रुपये रोका है।

लड़ाई को आम आदमी बनाम राजशाही बनाने की कोशिश?

कांग्रेस के डॉ. धर्मवीर गांधी के लिए फिलहाल यह छोटी समस्या है। उन्हें संविधान बचाने की फिक्र ज्यादा है, जो भाजपा सरकार के फिर से सत्ता में आने से खतरे में पड़ सकता है। यहां लड़ाई महल की महारानी परनीत कौर और आम लोगों के डॉ. धर्मवीर गांधी के बीच सीधी दिखाई पड़ रही है। रजवाड़ा परिवार से होने के बावजूद परनीत कौर की पहचान आम लोगों की नेता के रूप में है। वैसे तो जब से डॉ. गांधी चुनावी मैदान में उतरे हैं, उन्होंने इस लड़ाई को आम आदमी बनाम रजवाड़ाशाही बनाने की कोशिश की है।

पिछला चुनाव हार गए थे धर्मवीर गांधी

डॉ. गांधी 2014 के संसदीय चुनाव में आप की ओर से लड़कर सांसद बन गए थे, लेकिन अपने आजाद ख्यालों की वजह से पार्टी के साथ ज्यादा चल नहीं पाए। वर्ष 2019 में दिल के रोगों के माहिर डॉ. गांधी आजाद तौर पर चुनाव लड़े तो हार गए, लेकिन उन्हें 1.61 लाख वोट मिले..। यह डॉ. गांधी की अपनी कमाई है।

पटियाला के रिटायर्ड बैंक कर्मी जोगिंदर सिंह तलवार का कहना है कि वह मरीजों की आर्थिक स्थिति देखकर फीस लेते हैं। अगर मरीज कमजोर आर्थिकता के कारण पैसे देने में असमर्थ है तो वह अपनी ओर से पैसे दे देते हैं। इस बार गांधी कांग्रेस में शामिल हो गए। उनकी यह अपनी कमाई भी उनके काम आ रही है। एक और डॉक्टर आप से चुनावी मैदान में हैं।

आप से मंत्री बलबीर सिंह मैदान में

डॉ. बलबीर सिंह, वह कभी डॉ. गांधी के सहयोगी रहे हैं, इस समय पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री हैं। पिछले दो वर्षों में आप सरकार ने जिन मोहल्ला क्लीनिकों पर काम किया है, उसका आप के सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी सीटों पर गुणगान कर रहे हैं। वही नहीं, आम मरीजों को भी इन क्लीनिकों से काफी राहत मिली है लेकिन डॉ. बलबीर सिंह उतनी शिद्दत से यह चुनाव लड़ते दिखाई नहीं पड़ रहे हैं।

शिअद ने एनके शर्मा पर खेला दांव

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अगर सबसे कम किसी सीट पर प्रचार किया है तो वह पटियाला ही है। आम लोगों के एक और नेता एनके शर्मा भी हैं, जो इस बार शिरोमणि अकाली दल जैसी पंथक पार्टी का हिंदू चेहरा हैं। वह डेराबस्सी से पार्टी के विधायक रह चुके हैं। उनकी पहचान भी आम लोगों के काम आने वाले नेता के रूप में ही है। इसलिए इस बार पटियाला वासियों को समझ नहीं आ रहा है कि किसको चुने हैं और किसको छोड़ें।

यह भी पढ़ें: पंजाब में कांग्रेस के सामने चुनौतियां, वड़िंग व पूर्व CM चन्नी अपनी सीटों पर फंसे, सिद्धू और बाजवा प्रचार से गायब