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Lok Sabha Election 2024: कभी होटलों में कमरे नहीं मिलते थे और अब..., जानिए पांच साल में कितना बदल गया बंगाल

Lok Sabha Election 2024 छह चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। अगले और आखिरी चरण का मतदान एक जून को होगा। इस चुनाव में बंगाल का सियासी रंग काफी बदल गया है। लोग अब बिना डर के वोट देने बाहर निकल रहे हैं। जिस बंगाल में विपक्षी पार्टियों के झंडे उठाने से लोग डरते थे वहीं चहुंओर जय श्री राम के नारे गूंज रहे हैं।

By Sushil Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 30 May 2024 06:48 PM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024: बंगाल के सियासी रंग में बदलाव, वोट करने से नहीं डर रहे लोग।

जयकृष्ण वाजपेयी, कोलकाता: अभी अधिक समय नहीं हुए हैं। बंगाल में पांच वर्ष पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता कहा करते थे- चुनाव प्रचार के लिए उनकी पार्टी को पंडाल बनाने, कुर्सी, लाउडस्पीकर देने के लिए डेकोरेटर, वेंडर तैयार नहीं हो रहे हैं।

यहां तक कि होटलों और गेस्टहाउस तक में कमरे किराये पर नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि, तृणमूल कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता धमका रहे हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था कि जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पश्चिम मेदिनीपुर जिले में सभा हुई थी और उनके लिए पंडाल और मंच तैयार करने को कोलकाता से डेकोरेटर को ले जाया गया था।

पंडाल का एक हिस्सा धराशायी हो गया था। इसके बाद से बंगाल भाजपा नेतृत्व को अन्य राज्यों से सभा के लिए मंच व पंडाल तैयार करने के लिए डेकोरेटर व कारीगर बुलाने पड़ रहे थे। दीवार लेखन तो दूर लोग भाजपा का झंडा लगाने से भी डरते थे।

2019 के बाद से बदली स्थिति

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 लोकसभा सीटें मिलते ही स्थिति तेजी से बदलने लगी। 2021 के विधानसभा चुनाव में तो पूरा रंग भी बदल गया था। कभी कांग्रेस के राज में वामपंथियों को झंडा लगाने से भय होता था तो वामपंथियों के राज में पहले कांग्रेस और फिर तृणमूल के साथ वही सलूक होता था।

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नहीं देने देते वोट

वामपंथियों के राज में तो माकपा को वोट नहीं मिलने पर हाथ तक काट लेने की घटना हुई थी। तृणमूल नेता भी हाथ काटने की धमकी देते रहे हैं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस जब सत्ता में आई तो लोगों को लगा था कि अब स्थिति बदलेगी।

पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और आज भी कई ग्रामीण इलाकों में लोग कहते हैं कि पिछले कई वर्षों से उन्हें वोट नहीं देने दिया जा रहा है।

गूंज रहे जय श्री राम के नारे

ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिर कोई कार्यकर्ता कैसे विपक्षी दल का झंडा उठाएगा। परंतु, अब बंगाल में सियासी रंग काफी बदल गया है। लोग भाजपा के झंडा ही नहीं लगा रहे हैं, बल्कि अब तो चहुंओर जय श्रीराम, भारत माता की जय के नारे बुलंद कर रहे हैं।

बिना भय के लोग लगाने दे रहे झंडे

लोग बिना भय के अपने घरों पर दीवार लेखन व पोस्टर-बैनर लगाने की अनुमति दे रहे हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह की सभा के लिए अपनी जमीन देने पर पूर्व मेदिनीपुर जिले के कांथी के सुशील दास नामक एक किसान को जेल में डाला दिया गया था।

झूठे मामले में फंसाया गया था, लेकिन आज वही फिर से कह रहे हैं कि मैं बार-बार पीएम मोदी और शाह की सभा के लिए जमीन दूंगा और जेल भी जाना पड़े तो हर्ज नहीं है।

दिख रहा बैनर और पोस्टर लेखन

हर गली मुहल्ले में भाजपा के झंडे और प्रत्याशियों को पोस्टर बैनर और दीवार लेखन दिख रहा है। जिससे यह साबित होता कभी कांग्रेस फिर वामपंथी और इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के वर्चस्व वाले बंगाल का सियासी रंग काफी बदल चुका है।

भले ही चुनाव के नतीजे चाहे कुछ भी हो लेकिन जय श्रीराम, वंदे मातरम् और भारत माता की जय के गूंजते रहेंगे यह तय है। आने वाले चुनाव में इसका असर साफ देखने को मिल सकता है, चाहे विधानसभा चुनाव ही क्यों ना हो।

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