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किश्ती से चुनाव प्रचार, शिकारों पर होगी रैली...और तैरते दिखेंगे मतदान केंद; घाटी में कैसी चल रही है महासमर की तैयारी?

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान 19 अप्रैल को है। जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद यह पहला चुनाव है। इस दौरान डल की ठंडी लहरों पर कुछ ही दिनों में चुनावी गर्माहट महसूस होगी क्योंकि राजनीतिक पार्टियां डल में रहने वाले लोगों को आकर्षित करने के लिए झील में किश्ती से चुनाव प्रचार व शिकारा रैलियों की तैयारी में हैं।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 11 Apr 2024 11:00 AM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024:झील में किश्ती से चुनाव प्रचार व शिकारा रैलियों की तैयारी
 रजिया नूर, श्रीनगर। डल झील फिलहाल खामोश है...लेकिन यह चुप्पी ज्यादा देर नहीं रहेगी। डल की ठंडी लहरों पर कुछ ही दिनों में चुनावी गर्माहट महसूस होगी, क्योंकि राजनीतिक पार्टियां डल में रहने वाले लोगों को आकर्षित करने के लिए झील में किश्ती से चुनाव प्रचार व शिकारा रैलियों की तैयारी में हैं।

प्रशासन भी डल में नुक्कड़ नाटक व सांस्कृतिक कार्यक्रम से वोटरों को जागरूक करेगा। श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह डल झील 18 किलोमीटर क्षेत्र में फैली है और इसमें करीब 50,000 मतदाता हैं। ये मतदाता डल के विभिन्न हिस्सों में हाउस बोटों में स्थापित 30 मतदान केंद्रों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यानी चुनाव प्रचार से लेकर नेताओं के दौरे और मतदान तक सब कुछ डल झील की लहरों पर ही होगा।

श्रीनगर में जबरवान की पहाड़ियों की तलहट्टी में स्थित डल झील अपने बेपनाह हुस्न के लिए जितनी प्रसिद्ध है, उतनी ही सियासी गतिविधियों का भी केंद्र रही है। लोकसभा के चुनाव हों या विधानसभा, झील में चुनावी गतिविधियां चरम पर रहती हैं। झील में मीर बैहरी, आबी कॉरपोरा, चंदपोरा सहित कई छोटे-बड़े मोहल्ले हैं।

डल झील को चार वार्डों सोनवार, खानयार, हजरतबल तथा हब्बा कदल में बांटा गया है। हर बार की तरह इसबार भी लोकसभा चुनाव को लेकर यहां जल्द चुनावी गतिविधियां शुरू होने वाली हैं। श्रीनगर-गांदरबल संसदीय सीट पर 13 मई को मतदान होना है। इसके लिए 18 अप्रैल को नामांकन शुरू होगा। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अप्रैल है।

इन पार्टियों अभी तक नहीं खोले पत्ते

हालांकि, श्रीनगर सीट पर अभी नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) पीडीपी व भाजपा ने अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। केवल जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने ही अपना प्रत्याशी घोषित किया है, लेकिन कश्मीर में महसूस किए जा रहे बदलाव के बीच जहां भाजपा डल वासियों को रिझाने में जुट गई है, वहीं नेकां, पीडीपी व अन्य क्षेत्रीय दल अपने समीकरण बिठाने में जुटे हैं।

राजनीतिक दल डलवासियों के लिए कर रहे तरह-तरह के वादे

भाजपा के श्रीनगर जिलाध्यक्ष अशोक भट ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास को लेकर हम संकलपबद्ध हैं और इसका लाभ डल के लोगों को भी मिलना चाहिए। डल में रहने वाले लोगों का पुनर्वास ही केवल मुद्दा नहीं है, इन लोगों को सरकारी नौकरियों और विभिन्न सरकारी योजनाओं में बराबर का हिस्सा भी एक बड़ा मुद्दा है। हम समझते हैं कि यहां के लोग हमेशा नजरअंदाज हुए हैं।

इनमें में 95 प्रतिशत लोग केवल पर्यटन उद्योग पर ही निर्भर हैं, जबकि पांच प्रतिशत से भी कम सरकारी नौकरी में हैं। किसी भी सरकार ने इनकी सुध नहीं ली, पर हम इनका साथ देंगे। आने वाले दिनों में डल के भीतर हमारा चुनावी अभियान जोर पकड़ेगा।

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लोगों का पुनर्वास सबसे बड़ी समस्या

नेकां की वरिष्ठ नेता शमीमा फिरदौस ने कहा कि हांजी (डलवासी) हमारे समाज का एक बहुत प्रमुख हिस्सा हैं। यह हमारे पर्यटन उद्योग की रीढ़ की हड्डी हैं। हमारे सरकारी खजाने में जमा होने वाले राजस्व में इनका बहुत बड़ा योगदान है। इन लोगों का पुनर्वास सबसे बड़ी समस्या है, जिस पर हम काम करना चाहते हैं।

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हालांकि, हमारे शासन में इनके पुनर्वास के लिए श्रीनगर के बेमिना में एक आवासीय कालोनी भी बनाई गई थी, जिसमें हमने अधिकांश डल वासियों को प्लाट उपलब्ध कराए, लेकिन अब भी बहुत काम बाकी है। उन्होंने भी कहा कि आने वाले दिनों में हम शिकारा रैलियों से अपनी पार्टी की नीतियों लोगों तक पहुचाएंगे।

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