Lok Sabha Election 2024: 'कर्तव्य भूले, सिर्फ अधिकार याद...', मांगों को लेकर धरना देने वाले किसान नेता आखिर क्यों मतदान से रहे दूर?
Lok Sabha Election 2024 सभी चरणों का मतदान अब खत्म हो गया है। वोटों की गिनती 4 जून को होगी। इस बीच किसान नेता मताधिकार से दूर रहे। उन्हें संविधान में दिए गए अधिकार तो याद रहा लेकिन उन्होंने अपना कर्तव्य नहीं निभाया। एक तरफ तो संवैधानिक अधिकार की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ उसी संवैधानिक अधिकार से दूरी बना ली।
गुरप्रीत धीमान, पटियाला। हरियाणा की सीमा से सटे पटियाला जिले का शंभू और संगरूर जिले का खनौरी बॉर्डर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान दिल्ली चलो मुहिम के तहत
इकट्ठा हुए। हरियाणा सीमा सील होने पर किसानों ने वहीं पर धरना देना शुरू कर दिया। आरोप लगाया कि संविधान हमें देश में कहीं भी जाने की आज्ञा देता है।हरियाणा सरकार ने केंद्र के कहने पर उन्हें जानबूझ कर रोक रही है। यह उनके संवैधानिक अधिकार पर हमला है। इसके बाद किसानों ने शंभू और खनौरी में ही धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और नेशनल हाईवे को भी जाम कर दिया। मनाने का प्रयास हुआ तो किसान नेताओं ने यही कहा कि संविधान उन्हें धरना-प्रदर्शन की आज्ञा देता है।
महाअभियान से क्यों दूर रहे किसान
धरना प्रदर्शन के चलते हालात ऐसे बने कि आज उक्त दोनों नेशनल हाईवे बंद हुए करीब 110 दिन हो गए हैं। ऐसे में इस रूट पर चलने वालों को दूसरे मार्ग से आना-जाना पड़ रहा है। अब जब एक जून को राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए सातवें और आखिरी चरण में मतदान हुआ तब भी इन किसानों ने इस महाअभियान से दूरी बनाए रखी।
वोट नहीं किए किसान नेता
इनके कई नेता मतदान करने ही नहीं गए। मोर्चे के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया। डल्लेवाल शंभू में जारी धरने पर ही बैठे रहे, लेकिन उनके परिवार ने मतदान में हिस्सा जरूर लिया।ऐसे में यह सवाल उठना तो स्वाभाविक ही है कि आखिर हर धरने-प्रदर्शन के दौरान संविधान को आगे रखने वाले किसानों ने संविधान की ओर से दिए गए मतदान के अधिकार से दूरी क्यों बनाए रखी।यह भी पढ़ें- Sikkim Arunachal Pradesh Vidhan Sabha Election Result Live: सिक्किम में सत्तारूढ़ SKM का एकतरफा प्रदर्शन, बाईचुंग भूटिया और पूर्व सीएम पवन चामलिंग पीछे
किसानों की ओर से इस तरह मतदान के अधिकार से दूर रहना कई सवाल खड़ा करता है। पहला यह है कि अगर संविधान ने उन्हें धरना प्रदर्शन का अधिकार दिया है तो यह अधिकार उन्हें किसने दिया कि वे लोगों को परेशान करने के लिए 110 दिन से नेशनल हाईवे को ही जाम रखें।