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Lok Sabha Election 2024: पंजे और लाल झंडे के सामने खड़ा एक कॉर्पोरेट चेहरा, क्या बदलेगा इस सीट का नतीजा?

Lok Sabha Election 2024 केरल में कांग्रेस और लेफ्ट के गढ़ तिरुवनंतपुरम में भाजपा के केन्द्रीय राज्यमंत्री चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। उनके लिए मुकाबला आसान नहीं है लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया है। वह दिन-रात अपने चुनावी अभियान को धार देने में जुटे हुए हैं। जानिए कैसा रहता है उनका प्रचार का एक दिन। पढ़ें रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 21 Apr 2024 02:17 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के शशि थरूर लगातार तीन बार से सांसद हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। तिरुवनंतपुरम की तेज गर्मी और भारी उमस के बीच कॉर्पोरेट जगत और राज्यसभा के सहारे लोकसभा के मैदान में जमीनी लड़ाई के लिए उतरे केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर कांग्रेस के पंजे और सीपीएम के लाल झंडे के सामने खड़े हैं।

कांग्रेस के 68 वर्षीय शशि थरूर की विद्वता और सीपीएम के पूर्व राज्य सचिव 79 वर्षीय पन्नयम रविंद्रन की विचारधारा के सामने कार्पोरेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले 59 वर्षीय चंद्रशेखर तिरुवनंतपुरम के लोगों और खासकर युवाओं के सामने खुद को जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

कद्दावर नेताओं से मुकाबला

शशि थरूर के लगातार तीन बार जीतने और उसके पहले 2004 में इसी सीट से पन्नयम रविंद्रन की जीत को चुनौती मानने के बजाय चंद्रशेखर खुद के लिए अवसर के रूप में देख रहे हैं। चंद्रेशखर कहते हैं कि “तिरुवनंतपुरम की जनता ने रविंद्रन और थरूर को जिताकर देख लिया। पिछले 20 सालों में इन्होंने क्षेत्र के विकास और समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया। मैं एक मौका मांग रहा हूं, जो इन दोंनों ने 20 साल में नहीं किया, वह करके दिखाऊंगा।”

राजीव चंद्रशेखर को पूरा दिन तिरुवनंतपुरम के विभिन्न मुहल्लों की गलियों में अपने वाहन पर खड़े हाथ हिलाते हुए, नमस्कार करते हुए देखा जा सकता है। सुबह आठ बजे कार्यकर्ताओं के साथ पूरे दिन के कार्यक्रम की अंतिम रुपरेखा तय करने के बाद चंद्रशेखर 9.15 बजे जनसंपर्क अभियान के लिए निकल पड़ते हैं, जो 10 बजे तक चलता है।

एनपीपी के साथ गठबंधन

इस बीच विशिष्ट समूहों के साथ मुलाकात भी करते हैं, ताकि सभी समुदायों और वर्गों तक अपनी बात पहुंचा सकें। शुक्रवार को एक बजे के बाद केवल 45 मिनट के लिए भोजन का अवकाश लेने के बाद चंद्रशेखर नेशनल प्रोग्रेसिव पार्टी (एनपीपी) के कार्यक्रम में पहुंचते हैं। एनपीपी राजग गठबंधन का हिस्सा है और इसका गठन पूर्व कांग्रेसियों ने पिछले साल किया था।

प्रचार अभियान के दौरान एनपीपी का झंडा-बनैर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। एनपीपी मुख्य रूप से ईसाई समुदाय के बीच काम करती है। ध्यान देने की बात है कि तिरुवनंतपुर में 13 फीसद ईसाई वोट हैं। इसके बाद चंद्रशेखर ने इंस्टीट्यूट आफ इलेट्रिकल एंड इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर्स (आइईईई) के प्रतिनिधियों के साथ मिलते हैं और तिरुवनंतपुरम के विकास के लिए अगले पांच सालों का रोडमैप भी पेश करते हैं। आइईईई इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रोनिक्स क्षेत्र में काम करने वाले दुनिया भर के इंजीनियरों का संगठन है।

रात तक जारी रहता है अभियान

दोपहर बाद तीन बजे से राजीव चंद्रशेखर का जनसंपर्क अभियान फिर शुरू हो गया, जो शाम छह बजे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के रोड-शो का हिस्सा बन गया। नड्डा का रोड-शो खत्म होने के बाद जनसंपर्क अभियान फिर शुरू हुआ जो रात 10 बजे तक जारी रहा। इसके बाद उन्होंने एक टीवी चैनल को विस्तृत साक्षात्कार दिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं के साथ बैठक अगले दिन के चुनाव प्रचार की रूपरेखा तैयार करते हैं।

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खास तरीके से अभियान

पहली बार चुनावी मैदान में आने के अनुभव के बारे में पूछने पर राजीव चंद्रशेखर कहते हैं कि भले ही वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इसके पहले कर्नाटक और तेलंगाना में पार्टी के कई नेताओं के लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। चंद्रशेखर का जनसंपर्क अभियान भी खास तरीके से डिजाइन किया गया है। सबसे आगे एक वाहन नगाड़े और ढोल बजाता हुआ चलता है। इससे उस इलाके में उनके आने की अग्रिम जानकारी मिल जाती है।

खुले वाहन में घूमते हुए चंद्रशेखर युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं और यहां तक बच्चों को भी अभिवादन करने से नहीं चूकते हैं। बीच-बीच में कुछ बच्चे कमल का फूल (भाजपा का चुनाव चिह्न) लेकर खड़े हैं, जो चंद्रशेखर को सौंप देते हैं। कुछ जगहों पर ज्यादा लोग खड़े होते हैं, तो वाहन रोककर चंद्रशेखर माइक संभाल लेते हें और तिरुवनंतपुरम, केरल और देश के विकास के लिए भाजपा और राजग को वोट देने की गुजारिश करते हैं।

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भाजपा का बढ़ता जनाधार

केरल में भले ही अभी तक कमल नहीं खिला हो, लेकिन तिरुवनंतपुरम में भाजपा 1989 से ही अपनी उपस्थिति दिखाने में सफल रही है। 2014 और 2019 में 31 फीसद से अधिक वोटों के साथ भाजपा दूसरे स्थान पर रही है, जबकि 2004 में भारी मतों जीतने वाली सीपीएम तीसरे स्थान पर खिसक गई है। 2014 में भाजपा के ओ राजगोपाल महज 15 हजार वोटों से हार गए थे। जबकि 2019 में भाजपा के कुम्मानम राजशेखरन एक लाख से भी कम वोटों से हारे थे।

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