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जब 'काका' के 'शत्रु' बन गए सिन्हा, जिंदगी भर रहा पछतावा मगर नहीं माने थे राजेश खन्ना; पढ़ें दिलचस्प चुनावी किस्सा

चुनावी किस्से में आज बात राजेश खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा की दोस्ती में दरार बने 1992 लोकसभा उपचुनाव की। नई दिल्ली लोकसभा सीट लालकृष्ण आडवाणी के छोड़ने के बाद खाली थी। इस सीट से चुनाव मैदान में थे राजेश खन्ना। उनके खिलाफ भाजपा की टिकट पर दोस्त शत्रुघ्न सिन्हा लड़ रहे थे। इस चुनाव की वजह से दोनों की दोस्ती में दरार पड़ गई थी।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 26 Mar 2024 10:42 AM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: राजेश खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा। (फाइल फोटो)
अजय राय, नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा जगत पर वर्षों तक राज करने वाले सुपरस्टार राजेश खन्ना उर्फ काका को प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वर्ष 1991 में नई दिल्ली संसदीय सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाकर सबको चकित कर दिया था। सुपरस्टार के सामने भाजपा के तत्कालीन फायर ब्रांड नेता लालकृष्ण आडवाणी खड़े थे। कांटे के मुकाबले में महज 15,00 वोट की हार से काका की दावेदारी का क्लाईमेक्स हो गया।

काका के सामने थे दोस्त शत्रुघ्न सिन्हा

आडवाणी ने तब नई दिल्ली के साथ ही गांधी नगर सीट से भी चुनाव लड़ा था और दोनों में जीत हासिल हुई थी। जिस पर उन्होंने नई दिल्ली सीट छोड़ दी थी। फिर 1992 के लोस उपचुनाव में काका दोबारा नई दिल्ली लौटे। अब सामने सिने जगत के दिग्गज अभिनेता और उनके दोस्त शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा के टिकट पर थे। इस बार राजेश खन्ना ने सुपरहिट जीत दर्ज की थी।

काका ने तोड़ दी थी दोस्ती

सिन्हा को चुनाव में सामने देख काका को गुस्सा आ गया था और अपने दोस्त को हमेशा के लिए शत्रु मान लिया था। अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने 1984 में भाजपा ज्वाइन की थी और पार्टी ने उनको स्टार प्रचारक बनाया था। भाजपा ने उपचुनाव में काका के सामने शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव मैदान में भी उतार दिया। काका को यह नागवार गुजरा और दोस्ती टूट गई।

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कई बार समझाने का प्रयास किया लेकिन...

एक साक्षात्कार में शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा था कि मुझे अपने दोस्त के सामने चुनाव लड़ने का पछतावा हुआ था। राजेश को कई बाद समझाने का भी प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने।

सड़कों पर दिखी थी राजेश खन्ना की दीवानगी

भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार माने जाने वाले राजेश खन्ना 1990 में फिल्मों से किनारा कर चुके थे, तब उन्होंने राजनीति में किस्मत आजमाई। जब दिल्ली की सड़कों पर काका निकले तो लोगों में उनके प्रति जबरदस्त दीवानगी दिखी थी। पहली बार में हार के बाद भी लोगों का उनके प्रति प्यार देख राजेश खन्ना ने दोबारा पूरा दमखम लगाया था।

अगला चुनाव 50 हजार से अधिक मतों से हारे खन्ना

उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को 25 हजार से अधिक मतों से हरा राजेश खन्ना लोस पहुंचे थे व 1996 तक सांसद रहे। किंतु 11वें लोस चुनाव के लिए 1996 में करिश्मा न दिखा सके। सामने नौकरशाह रहे जगमोहन थे। नई दिल्ली के मतदाताओं पर जगमोहन का जादू चला और उन्होंने काका को 50 हजार से अधिक मतों से हराया। इस हार के बाद राजेश खन्ना का राजनीतिक से मोहभंग हो गया।

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