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Rewa Lok Sabha Seat: नेहरू ने अपने रसोइए को दिया था टिकट, दृष्टिहीन सांसद भी चुना; बघेली बोली है रीवा का एंट्री पास

Rewa Lok Sabha Election 2024 latest news देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी हैं। ऐसे में आपके लिए भी अपनी लोकसभा सीट और अपने सांसद के बारे में जानना भी जरूरी है ताकि इस बार किसको जिताना है इसे लेकर कोई दुविधा न हो। आज हम आपके लिए लाए हैं रीवा लोकसभा सीट और यहां के सांसद की पूरी जानकारी...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 22 Feb 2024 06:09 PM (IST)
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Rewa Lok Sabha Election 2024 : रीवा लोकसभा सीट और यहां के सांसद की पूरी जानकारी।
श्याम मिश्रा, रीवा। Rewa Lok Sabha Election 2024 latest news: मध्य प्रदेश की रीवा लोकसभा सीट की खास बात यह रही है कि यहां नए नेताओं को भरपूर मौके मिले। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपने पर्सनल स्‍टाफ के एक व्‍यक्ति को मैदान में उतार दिया तो वो भी जीत गया था। प्रदेश में बसपा का पहला सांसद भी इसी सीट से चुना गया। 

इसी तरह रीवा संसदीय क्षेत्र ने ऐसे कई अन्य नेताओं को संसद तक पहुंचाया, जो न तो शक्तिशाली राजनीतिक पृष्ठभूमि से रहे और न ही किसी बड़े परिवार से आते थे। यही नहीं, रीवा ने दृष्टिहीन सांसद भी चुना। यहां के मतदाताओं ने कभी कांग्रेस का, तो कभी राम मनोहर लोहिया की विचारधारा से जुड़े नेताओं का साथ दिया।

वर्ष 1998 के चुनाव में पहली बार यह सीट भाजपा के खाते में आई। सनातन विचारधारा के कट्टर समर्थक जर्नादन मिश्रा वर्तमान सांसद हैं। वह 2014 के चुनाव में भी जीते थे। रीवा रियासत में सबसे पहले सफेद बाघ देखा गया था। इस क्षेत्र की एक पहचान यह भी है।

एक परिवार की होकर रह गई थी कांग्रेस

रीवा संसदीय सीट पर कांग्रेस का लंबे समय तक कब्जा रहा। अपवाद के रूप में जरूर अन्य दलों के नेता सांसद बने। वर्ष 1991 के चुनाव में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विंध्य का सफेद शेर के नाम से प्रसिद्ध श्रीनिवास तिवारी को कांग्रेस ने टिकट दिया। हालांकि, उन्हें बसपा के भीम सिंह पटेल के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

इसके बाद वर्ष 1999 में श्रीनिवास तिवारी के बेटे सुंदरलाल तिवारी ने चुनाव जीत कर एक बार फिर इस सीट पर कांग्रेस का प्रभुत्व स्थापित कर दिया।

इसके बाद कांग्रेस उनके ही परिवार के सदस्यों को टिकट देती रही। वर्ष 2004, 2009, 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने सुंदरलाल तिवारी को ही प्रत्याशी बनाया। चार बार एक चेहरे को टिकट देने कारण पार्टी में नाराजगी बढ़ती गई। रीवा में कांग्रेस की जड़ें कमजोर होती गईं।

सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद वर्ष 2019 के चुनाव में उनके पुत्र सिद्धार्थ तिवारी को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारकर सहानुभूति के वोट लेने की कोशिश की थी, लेकिन इस बार भी कांग्रेस को भाजपा से हार स्वीकार करनी पड़ी।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी थे, अब भाजपा से विधायक

रीवा संसदीय क्षेत्र अब भाजपा के गढ़ में तब्दील हो चुका है। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के जर्नादन मिश्रा ने कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी को पराजित किया था। सिद्धार्थ तिवारी कुछ माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से त्योंथर सीट से विधायक बने हैं। यहां की देवतालाब ऐसी विधानसभा सीट है, जहां पिछले 35 वर्षों से कांग्रेस नहीं जीती। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम इस सीट से विधायक हैं।

रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ल उप मुख्यमंत्री हैं। उनके प्रदेश में राजनीतिक रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह जितनी बार चुनाव जीते उतनी बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने।

बघेली बोलने वाले बनते रहे सांसद

विंध्य में बघेली बोली से मतदाताओं का मन जीतने का क्रम कई वर्षों से जारी है। यहां के जनप्रतिनिधि लंबे समय से बघेली बोली का प्रयोग कर चुनाव जीतते रहे हैं। रीवा सीट से सांसद बनने वाले सभी नेताओं की जीत में बघेली से प्रेम प्रदर्शन का भी योगदान रहा है।

नेहरू ने स्टाफ के व्यक्ति को दिया था टिकट

दूसरे लोकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनके स्टाफ में रसोइया रहे शिवदत्त उपाध्याय को रीवा लोकसभा सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया था। इस दौर में कांग्रेस का टिकट पा जाने वाला उम्मीदवार स्वयं को विजयी मान लेता था। वर्ष 1957 और अगले चुनाव वर्ष 1962 में भी शिवदत्त उपाध्याय जीते।

रीवा से लोकसभा में पहुंचे थे दृष्टिहीन सांसद यमुना प्रसाद

जनता पार्टी के तत्कालीन कद्दावर नेता व गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लेने और वहां मिली पुर्तगाल सेना की प्रताड़ना से दोनों आंखों की दृष्टि गंवा चुके पं. यमुना प्रसाद शास्त्री वर्ष 1977 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। वे वर्ष 1989 में भी सांसद रहे।

बसपा को रीवा ने दिया था पहला सांसद

वर्ष 1991 में रीवा लोकसभा सीट ने बसपा को भीमसिंह पटेल के रूप में पहला सांसद दिया था। रीवा लोकसभा क्षेत्र में बसपा के संस्थापक स्व. कांशीराम की सक्रियता 1989 में तेज हो गई थी, वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा ने भीमसेन पटेल को रीवा से टिकट दिया और वे चुनाव जीत गए । बाद में वर्ष 1996 एवं 2009 के चुनाव में भी बसपा प्रत्याशी की जीत हुई।

रीवा की ताकत

  • कुल मतदाता -27,82,375
  • पुरुष -14,49,516
  • महिला -13,32,834
  • थर्ड जेंडर -25

रीवा लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा?

रीवा, गुढ़, सेमरिया, सिरमौर, मनगवां, त्योंथर, मऊगंज और देवतालाब समेत आठ विधानसभा हैं। 

अब तक इन्होंने किया प्रतिनिधित्व

साल सांसद पार्टी
1952 राजभान सिंह कांग्रेस
1957 शिवदत्त उपाध्याय कांग्रेस
1962 शिवदत्त उपाध्याय कांग्रेस
1967 शंभूनाथ शुक्ल कांग्रेस
1971 मार्तंड सिंह जूदेव निर्दलीय
1977 यमुना प्रसाद शास्त्री जनता पार्टी
1980 मार्तंड सिंह जूदेव निर्दलीय
1984 मार्तंड सिंह जूदेव कांग्रेस
1989 यमुना प्रसाद शास्त्री जनता पार्टी
1991 भीम सिंह पटेल बसपा
1996 बुद्धसेन पटेल बसपा
1998 चंद्रमणि त्रिपाठी भाजपा
1999 सुंदरलाल तिवारी कांग्रेस
2004 चंद्रमणि त्रिपाठी भाजपा
2009 देवराज पटेल बसपा
2014 जनार्दन मिश्रा भाजपा
2019 जनार्दन मिश्रा भाजपा
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