उत्तराखंड में हाशिये पर पहुंची थकी-हारी समाजवादी पार्टी; राज्य बनने से लेकर अब तक सिर्फ 2004 में जीती थी एक सीट
Lok Sabha Election 2024 उत्तराखंड में लगातार हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने मैदान छोड़ दिया है। राज्य का गठन होने से लेकर अब तक की बात करें तो सपा ने 2004 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले और इसके बाद किसी सीट पर नहीं जीती। वहीं राज्य गठन के बाद सपा को विधानसभा चुनावों में कभी भी सफलता नहीं मिल पाई।
विकास गुसाईं, देहरादून। उत्तराखंड में लगातार हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने मैदान छोड़ दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी पांच सीटों पर सपा ने बसपा को समर्थन दे दिया था। इस बार कांग्रेस को दे रही है। यह स्थिति उस दल की है, जो अलग उत्तराखंड बनने के बाद कांग्रेस एवं भाजपा के अलावा लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली एकमात्र पार्टी है।
सपा ने 2004 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर जीत दर्ज की थी। उत्तराखंड में सपा को जड़ें मजबूत होने की उम्मीद थी। अविभाजित उत्तर प्रदेश में सपा मजबूत स्थिति में थी। राज्य बनने से पहले इस क्षेत्र से सपा के टिकट पर कई नेता विधायक बने थे। इनमें मुन्ना सिंह चौहान, मंत्री प्रसाद नैथानी, अंबरीष कुमार और बर्फियालाल जुवांठा जैसे बड़े नाम हैं।
उत्तराखंड आंदोलन के दौरान इस क्षेत्र में सपा के विरुद्ध वातावरण बना, लेकिन हरिद्वार जिले में सपा की हनक राज्य बनने के बाद भी बरकरार रही।
प्रदेश में 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में सपा को किसी सीट पर जीत नहीं मिली, लेकिन उसके प्रत्याशी तीन क्षेत्रों में दूसरे और चार क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहे। सपा को 6.30 प्रतिशत वोट मिले थे।2004 के लोकसभा चुनाव में सपा ने हरिद्वार सीट पर जीत दर्ज कर विश्लेषकों को चौंका दिया। सपा के राजेंद्र कुमार बाडी ने 1.57 लाख मत प्राप्त कर बसपा के भगवानदास को पराजित किया। भाजपा के हरपाल साथी तीसरे स्थान पर रहे। प्रदेश में यह सपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा।
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पिछले दो चुनाव में सपा ने छोड़ा मैदान
बाद में कांग्रेस और भाजपा ने काफी मेहनत कर स्थिति सुधारी। सपा पिछड़ती चली गई। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हरीश रावत ने जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर भाजपा, तीसरे पर बसपा और सपा चौथे स्थान पर रही। सपा को मात्र 4.7 प्रतिशत मत मिले। इस चुनाव में सपा ने राज्य की दो सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। उसे कुल 3.7 प्रतिशत मत मिले। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने हरिद्वार, नैनीताल-उधम सिंह नगर एवं अल्मोड़ा में प्रत्याशी उतारे। तीनों पर हार हुई। दो झटकों का परिणाम रहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने पांचों सीटों पर बसपा को समर्थन दिया। इस बार भी उसने विपक्षी गठबंधन में दो सीटों पर दावा किया था। नहीं मिली तो सभी सीटों पर कांग्रेस को समर्थन दे दिया है।यह भी पढ़ें -चुनावी जंग में साहित्य के योद्धा: वे लेखक जिन्होंने सक्रिय राजनीति की और चुनाव भी लड़ा; फिर देश की बागडोर भी संभालीविधानसभा चुनाव में पार्टी को नहीं मिली कभी जीत
राज्य गठन के बाद सपा को विस चुनावों में कभी सफलता नहीं मिल पाई। इसका कारण उत्तराखंड आंदोलन के दौरान घटित रामपुर तिराहा कांड को माना जाता है। अविभाजित उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में दिल्ली कूच कर रहे निहत्थे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने रामपुर तिराहे पर फायरिंग की थी, जिसमें कई ने जान गंवाई थी। यह भी पढ़ें -उत्तर प्रदेश के वे पांच गैर भाजपाई CM जिनके बेटा-बेटी व बहू ने ली BJP में शरण, कांग्रेस से आए कई चौंकाने वाले नाम