जिसे लेकर इतनी बातें हो रही हैं, वहीं के लोग मतदान से पहले मौन हो गए हैं। और तो और, यहां चुनाव प्रचार का भी उतना शोर सुनाई नहीं पड़ रहा। राजनीतिक दलों के ज्यादा होर्डिंग्स-बैनर भी नहीं दिख रहे। स्थानीय लोगों से रास्ता पूछो तो बता देंगे, लेकिन चुनाव, राजनीति अथवा संदेशखाली के बारे में पूछने पर चुप्पी साध ले रहे हैं।
लोगों ने चुपचाप कर लिया निर्णय
बहुत पूछने पर इतना ही कह रहे-'बोलले असुबिधे आचे। (कुछ कहने पर परेशानी हो सकती है)। कुछ लोग किसी तरह बात करने को राजी हुए तो उनमें भी ज्यादातर ने फोटो खिंचवाने से मना कर दिया। मुंह पर भले चुप्पी हो, लेकिन संदेशखाली का माहौल यह आभास करा रहा है कि यहां के लोगों ने चुपचाप अपना निर्णय ले लिया है, जिसका पता चार जून को चलेगा।मेन लैंड धामाखाली से मोटर चालित नौका (स्थानीय भाषा में भुटभुटी) से नदी पार कर संदेशखाली के पास के द्वीप आमतोली जा रहे शुभंकर मंडल ने इशारों में कहा-इन नदियों को देख रहे हैं। इसमें ‘अंडर करंट’ दौड़ रहा है। मालूम हो कि संदेशखाली चारों तरफ से कलागछिया, छोटो कलागछिया, विद्याधरी, रायमंगल व छोटो तुषकाली बाड़ी जैसी नदियों से घिरा है।
घटना को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया
दूसरी तरफ धामाखाली फेरी घाट के पास फल बेचने वाले एक व्यक्ति ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर चुपके से कहा कि संदेशखाली की घटना आधा सच और आधा झूठ है। घटनाएं हुई तो हैं, लेकिन उन्हें काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। इसमें तृणमूल के बशीरहाट इलाके के बड़े नेता नहीं बल्कि स्थानीय छुटभैये शामिल हैं।
'संदेशखाली के लोगों ने सहा अत्याचार'
संदेशखाली फेरी घाट के पास जूते की दुकान लगाने वाले जगन्नाथ दे कहते हैं-‘यहां जो हुआ है, वह हमारे जैसे स्थानीय लोग ही जानते हैं। बाहर के लोग क्या बताएंगे। तृणमूल एक के बाद एक जारी हुए वीडियो का हवाला देकर संदेशखाली प्रकरण को ‘गढ़ी हुई घटना’ बताने का प्रयास कर रही है। ऐसा करके बाहर के लोगों को गुमराह किया जा सकता है। संदेशखाली का एक भी व्यक्ति इसपर विश्वास नहीं करेगा, क्योंकि उन्होंने अत्याचार सहा है और अपनी आंखों के सामने सारी चीजें होती देखी हैं।’
'टीएमसी के लोगों ने छीन ली जमीन'
स्थानीय वाशिंदा निरबला पात्र कहती हैं- ‘हम रेखा पात्र के साथ हैं। वह हमारे लिए लड़ रही है।’ वहीं बहादुर सर्दार नामक वृद्ध ने कहा-‘तृणमूल के लोगों ने मेरी जमीन छीन ली। बहुत कष्ट में जी रहा हूं। कई सालों से वोट भी नहीं दे पाया हूं।’ संदेशखाली फेरी घाट पर सत्तू बेचने वाले एक व्यक्ति ने कहा- ‘यह सब झूठ है। मैं इतने समय से यहां रह रहा हूं। इससे पहले कभी ऐसी किसी घटना के बारे में नहीं सुना।’
संदेशखाली लाएगा परिवर्तन
संदेशखाली के कालोनी पाड़ा में रहने वाले रेखा पात्र के जेठ प्रदीप पात्र ने कहा- ‘हमारे घर की बहू ने जो लड़ाई छेड़ी है, उसमें पूरा संदेशखाली उसके साथ है। संदेशखाली से इस बार बशीरहाट में परिवर्तन आएगा।’ प्रदीप ने आगे कहा-‘हमें हर रोज धमकियां मिल रही हैं। फिर भी हम डटे हुए हैं। रेखा का यहां रहना सुरक्षित नहीं हैं, इसलिए वह पति व तीनों बच्चों के साथ अभी बशीरहाट में रह रही है।’
मछली से राज
संदेशखाली में चारों ओर भेरी ही भेरी (मत्स्य पालन केंद्र) नजर आते हैं। ऐसा लगेगा मानों जलाशयों के बीच से छोटा का रास्ता तैयार किया गया हो। इस पर टोटो चलाकर संदेशखाली घुमाते स्थानीय युवक बापोन सिंह ने कहा-'इन भेरी में से अधिकांश पर तृणमूल नेता शाहजहां शेख, शिबू हाजरा व उत्तम सर्दार का कब्जा है।पहले संदेशखाली में धान की खेती बहुत होती थी। उनमें से ज्यादातर पर कब्जा करके भेरी में बदल दिया गया है, क्योंकि इसमें पैसा अधिक है। यहां विशेषकर झींगा, भेटकी व अन्य मछलियों का प्रजनन कराकर विभिन्न जगहों पर निर्यात किया जाता है।’
रोजाना आती हैं 100 से अधिक शिकायतें
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर संदेशखाली के लोगों की शिकायतें दर्ज करने के लिए धामाखाली फेरी घाट के पास सीबीआइ का जो कैंप ऑफिस खोला गया है, वहां रोजाना 100 से 125 शिकायतें आती हैं। सुबह 8.30 बजे से रात 8.30 बजे तक शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। कैंप आफिस के बाहर केंद्रीय बल के जवानों को तैनात किया गया है। लोग अपनी जमीन के कागजात के साथ वहां पहुंच रहे हैं।
संदेशखाली पर एक नजर
संदेशखाली बंगाल की बशीरहाट संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत चारों ओर से पानी से घिरा छोटा सा द्वीप है, जहां 245757 मतदाता हैं। इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 119775 है। संदेशखाली विधानसभा केंद्र भी है। यह दो संदेशखाली-1 व 2 ब्लॉक में बंटा है। प्रत्येक ब्लॉक के अंतर्गत आठ-आठ ग्राम पंचायतें हैं।बशीरहाट में आगामी एक जून को सातवें व अंतिम चरण में वोट पड़ेंगे। तृणमूल से इस बार यहां निवर्तमान सांसद नुसरत जहां के बदले हाजी नुरुल इस्लाम प्रत्याशी हैं जबकि भाजपा ने संदेशखाली आंदोलन का चेहरा बन चुकी रेखा पात्र को उतारा है, जबकि माकपा से पूर्व विधायक निरापद सरकार मैदान में हैं।
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