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लगातार टूटती गई 139 साल पुरानी कांग्रेस, शरद पवार से ममता बनर्जी तक जानिए किन दिग्गजों ने तोड़ा नाता और बना ली अपनी पार्टी?

Lok Sabha Election 2024 कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने की गति आज जरूर तेज हो गई है लेकिन इसका सिलसिला हमेशा से जारी रहा है। सबसे पुराना राजनीतिक दल होने के नाते वर्तमान में देश के अधिकतर बड़े एवं छोटे दल कांग्रेस से अलग होकर निकले हैं। जानिए कुछ दिग्गज नेताओं के बारे में जिन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई राजनीतिक जमीन बनाई।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 17 May 2024 03:38 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस पार्टी का गठन 1885 में हुआ था।
चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल का तमगा लिए कांग्रेस पार्टी का इतिहास स्वर्णिम रहा है। पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस से लेकर देश के तमाम बड़े नेताओं से कांग्रेस पार्टी सुशोभित होती रही है। हालांकि, समय जैसे जैसे आगे बढ़ता रहा, कांग्रेस की स्थिति पहले से खराब होती चली गई। आज कांग्रेस अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है।

देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के बावजूद आज लोकसभा में 543 में से कांग्रेस के मात्र 51 सांसद हैं। 2014 में तो पार्टी मात्र 44 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी। इसके अलावा लगातार पार्टी से नेताओं का पलायन जारी है। वर्तमान लोकसभा चुनाव के बीच में भी कई नेता कांग्रेस छोड़ बीजेपी या दूसरी पार्टियों में शामिल हुए हैं।

हालांकि कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला हमेशा से जारी रहा है। लेकिन पिछले कुछ दशक में कांग्रेस से कई दिग्गज नेताओं ने अलग होकर अपनी पार्टी बना ली। इनमें कुछ ने बगावत की, तो कुछ ने राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया। जानिए ऐसे ही कुछ कद्दावर नेताओं के बारे में, जिन्होंने पार्टी बनाई और वे अभी भी अस्तित्व में हैं।

चौधरी चरण सिंह

देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस पार्टी से ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। वह गाजियाबाद टाउन कांग्रेस कमेटी के संस्थापक सदस्य के अलावा मेरठ जिला कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष, महासचिव और अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। हालांकि, 1967 के आम चुनाव के बाद उन्होंने 16 समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी और जन कांग्रेस नामक नया दल बनाया था।

बाद में वह जनता दल में शामिल हुए और मोरारजी देसाई के बाद देश के अगले प्रधानंमंत्री भी बने। आगे चलकर उनके निधन के बाद उनके बेटे चौधरी अजीत सिंह ने जनता पार्टी से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया। वर्तमान में उनके बेटे और चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी इसके अध्यक्ष हैं।

शरद पवार

महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार खुद चार बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और कई बार किंगमेकर की भूमिका निभाई है। युवा कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत करने वाले शरद पवार ने पार्टी में अलग पहचान बनाई। राजनीतिक दांव पेच में माहिर पवार ने 1978 में कांग्रेस (यू) से अलग होकर जनता पार्टी के सहयोग से महाराष्ट्र में सरकार बनाई थी और मात्र 38 की आयु में महाराष्ट्र के सबसे युवा सीएम बने थे।

आगे चलकर वह वापस कांग्रेस (इंदिरा गुट) में शामिल हुए और राज्य से लेकर केंद्र की राजनीति में दबदबा बनाए रखा। 1999 में उन्होंने विदेशी मूल के मुद्दे को लेकर सोनिया गांधी का विरोध किया, जिसके बाद उन्हें छह सालों के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया। इसके बाद उन्होंने पीए संगमा व तारिक अनवर के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी राकांपा का गठन किया। हालांकि, टकराव के बावजूद 1999 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन किया और सरकार बनाई, जिसमें कांग्रेस के विलासराव देशमुख सीएम बने। यूपीए सरकार में वह कृषि मंत्री भी रहे।

ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी तृणमूल कांग्रेस के गठन से पहले 26 साल तक कांग्रेस में रही थीं, लेकिन कई मुद्दों पर गतिरोध के चलते 1 जनवरी 1998 को उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाई। वह केंद्र में दो बार रेलवे समेत कई अन्य विभागों की मंत्री रह चुकी हैं। साल 2011 में उनके नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में लगातार 34 साल तक शासन करने वाली कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी की लेफ्ट फ्रंट सरकार को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

जगनमोहन रेड्डी

आंध्र प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने भी कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी। उनके पिता वाईएसआर रेड्डी आंध्र कांग्रेस के कद्दावर नेता थे एवं 2004 में कांग्रेस सरकार में राज्य के मुख्यमंत्री भी थे। 2009 में एक हेलीकॉप्टर क्रैश में पिता की मौत हो जाने के बाद जगनमोहन ने उनकी राजनीतिक विरासत संभालने और आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा कांग्रेस नेतृत्व के सामने जाहिर की, लेकिन पार्टी ने उनकी बात नहीं मानी और रौसैय्या को मुख्यमंत्री बनाया।

बाद में कांग्रेस नेतृत्व और जगनमोहन के बीच मतभेद बढ़ता गया और उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर वाईएसआर कांग्रेस नाम से नई पार्टी बना ली। इसके बाद राज्य में कांग्रेस का जनाधार लगातार कम होता गया और वाईएसआर कांग्रेस मजबूत होती गई। 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल करते हुए 175 में से 151 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया और सरकार बनाई।

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बीजू पटनायक

ओडिशा के वर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक ने भी कांग्रेस से अपनी सियासी पारी शुरू की थी। वह ओडिशा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। बाद में वह कांग्रेस छोड़ जनता दल में शामिल हुए और मोरारजी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। इसके बाद वह जनता दल की ओर से ओडिशा के मुख्यमंत्री भी बने। इस बीच उन्होंने और भी कई पार्टियां बनाईं और तोड़ीं।

1997 में बीजू पटनायक की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके बेटे नवीन पटनायक ने उनकी प्रेरणा से बीजू जनता दल का गठन किया। गठन के बाद पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर 2000 में ओडिशा विधानसभा चुनाव लड़ा और सत्ता में आई। तब से लेकर अब तक वह लगातार पांच बार ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में चुने जा चुके हैं।

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अजीत जोगी

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं, लेकिन 2014 में एक टेप कांड में नाम सामने आने के बाद उन्होंने कांग्रेस से अलग होने का फैसला कर लिया था। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) नाम से अलग पार्टी बनाई थी। उनके निधन के बाद उनके बेटे अमित जोगी पार्टी संभाल रहे हैं।

मुफ्ती मोहम्मद सईद

जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, JKPDP के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद भी कांग्रेस के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस पार्टी से अपनी राजनीति की शुरूआत की थी। बाद में पार्टी के कांग्रेस से विलय पर वह भी कांग्रेस से जुड़े। वह जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया। आज पीडीपी को उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती संभाल रही हैं।

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