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Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की इन 22 सीटों पर कभी नहीं जीती सपा, इस चुनाव में भी है अग्निपरीक्षा

Lok Sabha Election 2024 यूपी में लोकसभा की 22 सीटें ऐसी हैं जो सपा के लिए अभेद्य दुर्ग साबित हुई हैं। इनमें से 17 सीटें ऐसी हैं जिनमें इस बार भी सपा मैदान में है जबकि चार सीटों पर कांग्रेस व एक पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार लड़ रहे हैं। पुराने परिणाम व इस बार इन सीटों पर सपा का हाल बताती विशेष संवाददाता शोभित श्रीवास्तव की रिपोर्ट ...

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Fri, 26 Apr 2024 02:12 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: इन 22 सीटों कभी नहीं जीती सपा।
जागरण, लखनऊ। लखनऊ लोकसभा सीट को लेकर सपा ने तरह-तरह के प्रयोग किए, लेकिन उसकी साइकिल यहां की दौड़ में कभी आगे नहीं निकल पाई। वर्ष 1996 में सपा ने यहां से फिल्म स्टार राज बब्बर को उतारा तो 1998 में फिल्म उमराव जान के निर्माता व निर्देशक मुजफ्फर अली को साइकिल का हैंडल थमाया, लेकिन ये दोनों ही भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के आगे टिक न सके।

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2004 के चुनाव में सपा ने लखनऊ की जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधु गुप्ता को टिकट दिया तो वह भी कोई कमाल नहीं दिखा सकीं। 2019 के चुनाव में सपा ने फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा, लेकिन वह भी साइकिल को रफ्तार नहीं दे सकीं। इस बार सपा ने लखनऊ मध्य के विधायक रविदास मेहरोत्रा को टिकट दिया है, उनका मुकाबला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से है।

पश्चिम यूपी की मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, पूर्वांचल की वाराणसी, भदोही, कुशीनगर में भी साइकिल हमेशा पंक्चर हुई है। अवध की अंबेडकरनगर, रुहेलखंड की बरेली, ब्रज की मथुरा हो या फिर फतेहपुर सीकरी सीट। इन सभी में सपा आज तक जीत नहीं दर्ज कर पाई है।

हालांकि, 2008 के परिसीमन से पहले खलीलाबाद (अब संतकबीरनगर) व बलरामपुर (अब श्रावस्ती) में सपा जीत चुकी है। इस बार गठबंधन में गाजियाबाद, मथुरा, कानपुर व वाराणसी कांग्रेस के पास हैं। भदोही सीट तृणमूल कांग्रेस के पास है।

यहां नहीं मिली जीत

मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फतेहपुर सीकरी, बरेली, पीलीभीत, धौरहरा, लखनऊ, सुलतानपुर, कानपुर, अकबरपुर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, बस्ती, संत कबीरनगर, कुशीनगर, वाराणसी व भदोही। इनमें कई सीटें परिसीमन के बाद की हैं।

गाजियाबाद लोकसभा सीट

गाजियाबाद में तो सपा को पिछले चुनाव में प्रदेश की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। यहां पर भाजपा के जनरल विजय कुमार सिंह ने सपा के सुरेश बंसल को 5,01,500 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। वर्ष 2014 के चुनाव में सपा यहां चौथे स्थान पर थी। इस बार कांग्रेस की प्रत्याशी डाली शर्मा भाजपा के अतुल गर्ग का मुकाबला करेंगी।

टेढ़ी खीर रही ये लोकसभा सीट

मेरठ सीट भी सपा को बहुत परेशान करती रही है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में यहां बसपा लड़ी थी। 2014 व 2009 के चुनाव में सपा के शाहिद मंजूर तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार यहां सपा की सुनीता वर्मा का भाजपा के अरुण गोविल (टीवी सीरियल रामायण के राम) से मुकाबला है। बागपत सीट भी सपा के लिए हमेशा टेढ़ी खीर रही है। 2019 में यहां से सपा-बसपा व रालोद गठबंधन के तहत रालोद मुखिया जयन्त चौधरी ने चुनाव लड़ा था।

गौतमबुद्ध नगर सीट भी चुनौती

2014 में सपा के गुलाम मोहम्मद भाजपा के डॉ. सत्य पाल सिंह से दो लाख मतों से हारे थे। गौतमबुद्ध नगर सीट भी सपा के लिए बड़ी चुनौती रही है। यहां पर पिछले चुनाव में बसपा लड़ी थी, जबकि 2014 के चुनाव में सपा के नरेन्द्र भाटी, भाजपा के डॉ. महेश शर्मा से 2.80 लाख मतों से हारे थे। इस बार यहां पर सपा के डॉ. महेन्द्र नागर भाजपा के डॉ. महेश शर्मा के सामने हैं।

बरेली पर निगाहें

बरेली सीट पर भी सपा कभी जीत नहीं पाई है। यहां पर पिछले चुनाव में सपा के भगवत शरण गंगवार भाजपा के संतोष कुमार गंगवार से 1.67 लाख मतों से हारे थे। इस बार सपा ने पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला भाजपा के छत्रपाल गंगवार से है।

अलग है कानपुर का गणित

कानपुर सीट भी ऐसी है जिसमें आज तक साइकिल नहीं दौड़ सकी है। यहां पर पिछले चुनाव में सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल मात्र तीन प्रतिशत वोट पाकर चौथे स्थान पर थे। उनकी जमानत जब्त हो गई थी। 2014 के चुनाव में भी सपा तीसरे स्थान पर रही थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में कानपुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली पांच में से तीन सीट शीशामऊ, आर्यनगर व कानपुर कैंट जीतने वाली सपा इस बार यहां चुनाव नहीं लड़ रही है। यह सीट कांग्रेस के खाते में है।

भोले के सामने राजाराम पाल

अकबरपुर सीट भी सपा कभी जीत नहीं पाई है। पिछले चुनाव में यह सीट बसपा के खाते में थी, जबकि 2014 के चुनाव में यहां सपा के लाल सिंह तोमर तीसरे स्थान पर आए थे। इस बार सपा के राजाराम पाल का मुकाबला भाजपा के दो बार के सांसद देवेंद्र सिंह भोले से है।

वाराणसी में पीएम मोदी के सामने अजय राय

प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी सपा के लिए हमेशा मुश्किलों भरा रहा है। पिछले चुनाव में सपा की शालिनी यादव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 4.79 लाख मतों से हारी थीं। इससे पहले के किसी भी चुनाव में सपा कभी भी दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सकी थी। इस बार यहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय प्रधानमंत्री मोदी का मुकाबला करेंगे।

बस्ती सीट भी रही मुश्किलों भरी

बस्ती सीट भी सपा के लिए हमेशा मुश्किलों भरी रही है। यहां पर इस बार सपा ने राम प्रसाद चौधरी को उतारा है। इनका मुकाबला भाजपा के दो बार के सांसद हरीश द्विवेदी से है। पिछले चुनाव में राम प्रसाद चौधरी बसपा से चुनाव लड़े थे और 30 हजार वोटों से हारे थे। इस लोस क्षेत्र में आने वाली पांच विस सीटों में कप्तानगंज, रुधौली व बस्ती में सपा के विधायक हैं।

रितेश पांडेय का लाल वर्मा से मुकाबला

अंबेडकरनगर में भी सपा जीत नहीं पाई है। इस क्षेत्र में आने वाली पांचों विधानसभा सीटें गोसाईगंज, कटेहरी, टांडा, जलालपुर व अंबेडकरनगर सपा के पास हैं। हालांकि, इनमें से गोसाईगंज के सपा विधायक अभय सिंह ने पिछले दिनों राज्यसभा के चुनाव में क्रास वोटिंग कर भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। सपा ने यहां से अपने कटेहरी के विधायक लालजी वर्मा को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला बसपा से भाजपा में आए सांसद रितेश पांडेय से है।

धौरहरा-अलीगढ़ में भी जीत बाकी

धौरहरा सीट पर भी सपा कभी जीत नहीं पाई है। यहां पर सपा ने पूर्व एमएलसी आनंद भदौरिया को टिकट दिया है। भाजपा से दो बार की सांसद रेखा वर्मा तीसरी बार भी मैदान में हैं। पिछला चुनाव यहां पर गठबंधन में बसपा ने लड़ा था, जबकि 2014 के चुनाव में सपा ने आनंद भदौरिया को ही यहां से लड़ाया था। वह तीसरे नंबर पर रहे थे।

अलीगढ़ से इस बार सपा ने बिजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा के सतीश कुमार गौतम से है। बिजेन्द्र सिंह वर्ष 2004 में कांग्रेस के टिकट से यहां सांसद रह चुके हैं। यह सीट भी आज तक सपा जीत नहीं पाई है।

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