ग्वालियर-चंबल में बसपा की मौजूदगी, फिर भी भाजपा-कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर; क्या होगा त्रिकोणीय मुकाबला
विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी ने अपने मूल कार्यकर्ता की अपेक्षा करके दोनों दलों के बागियों पर ज्यादा भरोसा जताया है। इस बार बसपा ने अंचल की चार सीटों में एक पर भाजपा व दो पर कांग्रेस के बागियों को टिकट दिया है। अंचल में बसपा की मौजूदगी के बाद भी भाजपा व कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर है।
जेएनएन, ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल में राजनीतिक बागियों को बसपा ने सदैव आश्रय दिया है। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी ने अपने मूल कार्यकर्ता की अपेक्षा करके दोनों दलों के बागियों पर ज्यादा भरोसा जताया है। इस बार बसपा ने अंचल की चार सीटों में एक पर भाजपा व दो पर कांग्रेस के बागियों को टिकट दिया है।
बसपा प्रत्याशी चुनाव में तीसरे और दूसरे स्थान पर तो रहते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में हाथी जीत की दहलीज तक नहीं पहुंच पाता है। अंचल में बसपा की मौजूदगी के बाद भी भाजपा व कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर है। फिलहाल की स्थिति में बसपा उम्मीदवार अंचल में किसी भी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में नहीं आ पाई है।
अंचल की तीनों सीटों पर बसपा की भूमिका
भिंड-दतिया- यह लोकसभा सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित है। भाजपा से मौजूदा सांसद संध्या राय चुनावी मैदान में हैं, कांग्रेस ने पहली सूची में पूरे आत्मविश्वास के साथ भांडेर विधायक फूलसिंह बरैया की उम्मीदवारी घोषित कर दी। जिनका राजनीतिक प्रार्दुभाव बसपा प्रमुख कांशीराम के माध्यम से हुआ है। ढाई दशक पहले तक बरैया का अंचल के अनुसूचित वर्ग में अच्छा प्रभाव माना जाता था। किंतु मायावती से उनकी राजनीतिक मेलजोल ज्यादा नहीं चला।बसपा से देवाशीष के आने के बाद भिंड में मुकाबला रोचक हो गया है
उन्होंने बसपा से नाता तोड़कर अपना दल बनाया और उसके बाद दिग्विजय सिंह की उंगली पकड़कर कांग्रेस में प्रवेश कर लिया। कांग्रेस से अजा वर्ग के युवा नेता देवाशीष भी दावेदारी कर रहे थे। कांग्रेस से टिकट कटने के बाद जरारिया बसपा से टिकट ले आए। उन्होंने 2019 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। बसपा से देवाशीष के आने के बाद भिंड में मुकाबला रोचक हो गया है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होगा। देवाशीष अप्रत्यक्ष रूप से वोट कटवा की भूमिका में रहेंगे।
मुरैना में भाजपा-कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर
मुरैना- इस लोकसभा सीट पर भी भाजपा व कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर है। बसपा ने भाजपा से नाराज होकर आए रमेश गर्ग को टिकट दिया है। यहां भी त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना कम ही नजर आ रही है। हालांकि चुनाव में गर्ग ने अपने कट्टर विरोधी रहे पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह के परिवार से हाथ मिला लिया है। रूस्तम सिंह भी भाजपा से पहले ही नाता तोड़ चुके हैं। मुरैना में भी बसपा उम्मीदवार की भूमिका भाजपा व कांग्रेस के बीच जीत-हार के अंतर को कम करने की होगी।ग्वालियर में त्रिकोणीय मुकाबले की कोई संभावना नहीं
ग्वालियर लोकसभा सीट- ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में बसपा ने उम्मीदवार अवश्य उतारा है। इस सीट पर हाथी कभी प्रभावी भूमिका नहीं रहा है। इस बार बसपा ने कांग्रेस से नाराज कल्याण सिंह को टिकट दिया। यहां भी भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि बसपा उम्मीदवार केवल चुनाव में उपस्थिति दर्ज करा पाएंगे। इसके साथ ही दोनों उम्मीदवारों के जीत-हार के अंतर को कुछ कम कर सकते हैं। त्रिकोणीय मुकाबले की कोई संभावना यहां भी नजर नहीं आ रही है।