हरियाणा में बदलने लगी माननीयों की निष्ठा; अब तक ये नेता बदल चुके पाला, सबसे ज्यादा किस पार्टी से हुई विदाई?
हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं की निष्ठा बदलने लगी है। दल बदल का खेल शुरू हो चुका है। दल बदल का दंश सबसे ज्यादा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने झेला है। हाल ही में बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता ने पाला बदला है। इससे पहले उनके बेटे बृजेंद्र सिंह भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं जजपा नेता भी पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं।
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। आया राम गया राम की राजनीति के लिए मशहूर हरियाणा में एक बार फिर पाला बदल का ‘खेल’ परवान चढ़ने लगा है। लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ने के साथ माननीयों की आस्था-निष्ठा तेजी से बदल रही हैं। अभी तक पर्दे के पीछे खेलते रहे दिग्गज न केवल अब खुलकर चुनावी बिसात पर खुद को सेट करने में लगे हैं, बल्कि कई सांसद-विधायकों को भी परिस्थितियों के अनुसार पाला बदलने में कोई संकोच नहीं दिख रहा।
इन पर्टियों की ओर दल बदलुओं का रुख
दल बदलुओं की पहली पसंद भाजपा बनी हुई है तो दूसरे नंबर पर कांग्रेस है। ऐसे में भाजपा में एंट्री थोड़ी मुश्किल से हो रही है जो अपने खेमे में जांच परख कर उम्मीदवारों को शामिल कर रही है। इसके उलट कांग्रेस चारों ओर से घेराबंदी कर भाजपा को शिकस्त देने की रणनीति के तहत किसी भी बड़े नाम को शामिल करने से गुरेज नहीं कर रही।
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किसी ने 'कमल' तो किसी ने थामा 'हाथ'
यह बात अलग है कि जो लोग कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं, उनमें से कई नेता पहले भाजपा का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं। भाजपा की ओर से टिकट का आश्वासन न मिलता देख कुछ नेताओं ने कांग्रेस तो कुछ ने अन्य दलों का दामन थामा है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कई चेहरे पाला बदल कर अब भाजपाई हो चुके हैं तो किसी ने ‘कमल’ छोड़कर ‘हाथ’ थाम लिया है।
इन कांग्रेसियों ने छोड़ी पार्टी
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया और कांग्रेस को सभी 10 सीटों पर हार झेलनी पड़ी। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस के चार प्रत्याशियों फरीदाबाद से अवतार सिंह भड़ाना, सिरसा से डॉ. अशोक तंवर, हिसार से भव्य बिश्नोई और कुरुक्षेत्र से निर्मल सिंह ने पार्टी को अलविदा कह दिया। निर्मल सिंह की अब घर वापसी हो चुकी है, जो विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।
तंवर ने बदले खूब दल
अशोक तंवर प्रदेश के उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने सबसे अधिक दल बदले हैं। खुद का मोर्चा बनाने के अलावा तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में सक्रिय रहने के बाद तंवर अब सिरसा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हैं।
बीरेंद्र सिंह का भाजपा से मोहभंग
हिसार से भाजपा के सांसद रहे बृजेंद्र सिंह अब कांग्रेस के टिकट के प्रबल दावेदार हैं। पीएम मोदी की पहली पारी में केंद्रीय मंत्री रह चुके बीरेंद्र सिंह भी पत्नी प्रेमलता के साथ मंगलवार को फिर से कांग्रेस का पटका पहन लिया। 2019 में जजपा के टिकट पर कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले जयभगवान शर्मा ‘डीडी’ भी भाजपाई हो चुके हैं। कभी इनेलो के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा अब कांग्रेस के रंग में रंग चुके हैं।
इनेलो ने सबसे ज्यादा झेला दंश
पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले इनेलो ने सबसे ज्यादा दलबदल का दंश झेला। इनेलो के दोफाड़ होने के बाद विधायक नैना चौटाला, राजदीप फोगाट, पिरथी सिंह नंबरदार और अनूप धानक जजपा में चले गए तो विधायक नसीम अहमद पहले कांग्रेस और फिर भाजपा में शामिल हो गए। इसी तरह विधायक परमिंदर ढुल, नसीम अहमद, रणबीर गंगवा और जाकिर हुसैन भी भाजपा में चले गए।
अभय चौटाला के साथ दो विधायक वेद नारंग और ओम प्रकाश बरवा ही बचे। इनेलो के विधायक रह चुके प्रदीप चौधरी कांग्रेस में शामिल हो गए, जबकि वरिष्ठ इनेलो नेता रामपाल माजरा भाजपा में चले गए। माजरा अब फिर से इनेलो में आ चुके हैं।
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