Lok Sabha Election 2024: हरियाणा की इन छह सीटों पर कौन जीतेगा और किसे मिलेगी मात; इसका फैसला करते हैं ये दो राज्य, जानें क्या है मामला
Lok Sabha Election 2024 हरियाणा की छह लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां उत्तर प्रदेश और बिहार समर्थक प्रत्याशी को ही जीत मिलती है। यह मतदाता किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवार की हार जीत में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। ऐसे में इन मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। जानिए क्या है पूरा मामला...
अनुराग अग्रवाल,चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति में उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले लोगों का भी पूरा दखल रहता है। प्रदेश की छह लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां उत्तर प्रदेश और बिहार के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। यह मतदाता किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवार की हार जीत में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। ऐसे में इन मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रयास तेज कर दिए हैं।
भाजपा जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हरियाणा लेकर आ रही है, वहीं बिहार के प्रसिद्ध कलाकारों के माध्यम से वहां के लोगों को साधने की कोशिश हो रही है। प्रदेश में बिहार और उत्तर प्रदेश मूल के रहने वाले प्रवासी मतदाताओं की संख्या 16 लाख 50 हजार के आसपास बताई जा रही है। करीब चार हजार प्रवासी हरियाणा में पेंशन तक ले रहे हैं।
वे लोकसभा सीटें, जहां प्रवासी मतदाता करते हैं फैसला
बिहार और उत्तर प्रदेश के यह मतदाता हरियाणा में न केवल सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की नौकरियां करते हैं, बल्कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों में भी कार्यरत हैं। गुरुग्राम और फरीदाबाद के बाद पानीपत, सोनीपत, यमुनानगर, रोहतक, अंबाला और करनाल के औद्योगिक संस्थानों में पूर्वांचल के लोगों की बहुत अधिक संख्या है। ऑटो इंडस्ट्री हब के रूप में विख्यात फरीदाबाद की आबादी 22 लाख से अधिक है।इसकी छह विधानसभाओं तिगांव, बड़खल, एनआईटी फरीदाबाद, बल्लभगढ़ और फरीदाबाद में करीब तीन लाख पूर्वांचली वोटर हैं। यहां स्लम एरिया में रहने वाले 50 हजार परिवारों में ज्यादातर के वोट बने हुए हैं। इसी तरह आईटी हब गुरुग्राम में 60 हजार से अधिक वोटर होने का अनुमान है।पूरे संसदीय क्षेत्र में 30 से 35 प्रतिशत आबादी पूर्वांचल की है। अकेले आईटी सेक्टर में दो लाख लोग काम करते हैं। इनमें से 80 हजार लोग बिहार और उत्तर प्रदेश से हैं। हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट पर सोनीपत के राई विधानसभा क्षेत्र में 30 हजार पूर्वांचली वोटर बताए जा रहे हैं। हैंडलूम नगरी पानीपत की बाहरी कॉलोनियों में 70 से 80 फीसदी आबादी पूर्वांचलियों की है।
पानीपत शहरी सीट पर 18 से 20 हजार और ग्रामीण सीट पर 40 से 45 हजार पूर्वांचली मतदाता हर चुनाव में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते आए हैं। यमुनानगर में प्लाइवुड इंडस्ट्री व रेलवे वर्कशॉप में पूर्वांचली वोटरों की संख्या बहुत अधिक है। अंबाला कैंट क्षेत्र में करीब 10 से 15 हजार मतदाता पूर्वांचली बताए जाते हैं, जो रेलवे में भी नौकरी करते हैं। फरीदाबाद की एनआईटी विधानसभा सीट पर 2009 में चुनाव जीतने वाले शिवचरण लाल शर्मा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री एसी चौधरी को पराजित किया था।
इसके पीछे कारण यही था कि उन्हें पूर्वांचली होने का लाभ मिला और बाहरी सभी वोट उनके पक्ष में ही पड़े थे। यह स्थिति लोकसभावार बहुत अधिक है। साल 2009 में पानीपत ग्रामीण विधानसभा सीट से ओपी जैन ने 1996 में पूर्वांचल के 35 से 40 हजार वोटरों के सहारे चुनाव जीता था। दूसरे प्रदेश के वोटरों ने ही ओपी जैन को विजयी बनाया था। वर्ष 2014 में राई सीट पर रोचक चुनावी मुकाबले में पूर्वांचल के लगभग 14 हजार वोटरों के सहारे कांग्रेस प्रत्याशी जयतीर्थ दहिया ने जीत का सेहरा पहना था।
स्मृति ईरानी से चुनाव प्रचार की तैयारी
भाजपा ने मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी अमरेंद्र सिंह की करनाल लोकसभा में पूर्वांचली मतदाताओं को साधने की जिम्मेदारी दी है। भाजपा इन मतदाताओं को लुभाने के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, सांसद एवं गायक मनोज तिवारी और फिल्म अभिनेत्री एवं सांसद हेमा मालिनी को लेकर हरियाणा आ रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम ऐसे ही इलाकों में तय किए जाएंगे, जहां सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। एनसीआर के जिलों की जिम्मेदारी भोजपुरी के प्रसिद्ध गायक और अभिनेता मनोज तिवारी को देने की योजना है। यह भी पढ़ें - चाचा शिवपाल की अंगुली पकड़कर स्कूल गए थे अखिलेश, क्या थी वो चिट्ठी जिसे लेकर मंच पर सबके सामने हुई थी बाप-बेटे में तू-तू मैं-मैं?लोकसभावार यह है प्रवासियों का हरियाणा में प्रभाव
- सबसे अधिक प्रवासी मतदाता फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र में 7 लाख के करीब हैं।
- गुरुग्राम लोकसभा में 4.25 लाख प्रवासी मतदाता हैं।
- करनाल-पानीपत लोकसभा में 1.75 लाख प्रवासी मतदाता कोई भी गणित तय कर सकते हैं।
- हिसार में एक लाख, अंबाला-यमुनानगर में दो लाख और कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में 50 हजार प्रवासी मतदाता हैं।
- प्रदेश की शेष सीटों पर भी 10 हजार से लेकर 20 हजार तक प्रवासी मतदाताओं की संख्या है।
- प्रदेश भर में करीब चार हजार प्रवासी लोग तो वृद्धा पेंशन तक ले रहे हैं।
पूर्व सीएम मनोहर लाल ने दी प्रवासियों को बड़ी राहत
हरियाणा में पहले प्रवासी लोगों के लिए हरियाणवी होने के लिए 15 साल का रहना अनिवार्य था, लेकिन साढ़े चार साल पहले मनोहर लाल ने बतौर मुख्यमंत्री रहते इस शर्त को हटाया और पांच साल से हरियाणा में रहने वालों को हरियाणवी मानने का फैसला जारी किया। परिवार पहचान पत्र शुरू होने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया था। इसका प्रवासी लोगों को खासा लाभ मिला और प्रदेश और केंद्र सरकार की योजनाओं का वह सीधा लाभ ले रहे हैं। यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: बुलंद दरवाजे से बटेश्वर की कथा; राज, राम और एक वोट कटवा! किसके साथ है फतेहपुर सीकरी का वोटर?