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Lok Sabha Election 2024: कर्नाटक की चुनावी जंग हुई दिलचस्प, ‘पानी’ और ‘लोटा’ बना मुद्दा, जानिए क्या हैं समीकरण?

Karnataka Lok Sabha Election 2024 भाजपा दक्षिण का किला भेदने के लिए इस बार काफी जोर लगा रही है। इसमें पार्टी को कर्नाटक से काफी उम्मीदें हैं क्योंकि दक्षिण का यही एक राज्य है जहां भाजपा ज्यादा मजबूत है लेकिन विधानसभा चुनाव की जीत से उत्साहित कांग्रेस भी कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है। इस बीच यहां के चुनाव में पानी और लोटा भी मुद्दा बन गया है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 25 Apr 2024 11:51 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: कर्नाटक की 14 सीटों के लिए 26 अप्रैल को मतदान होना है।

अरविंद पांडेय, बेंगलुरू। भाजपा के दक्षिण के सबसे मजबूत दुर्ग कर्नाटक में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प है। भाजपा अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने के लिए शिद्दत से जुटी है। इसमें उसे जेडीएस का साथ भी मिला है।

वहीं कांग्रेस विधानसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन और गारंटियों के जरिये भाजपा के सामने चुनौती खड़ी कर रही है। इन सबके बीच बेंगलुरु सहित कर्नाटक के बड़े हिस्से में पीने के पानी की किल्लत और सूखे के संकट का मुद्दा का गर्म है। भाजपा इसे लेकर राज्य सरकार पर बदइंतजामी और विफलता का आरोप लगा रही है तो कांग्रेस उसके जवाब में अब लोटा लेकर मैदान में उतर गई है।

26 अप्रैल को मतदान

वह केंद्र पर राज्य के हिस्से का पैसा न देने का आरोप लगा रही है। दोनों दलों के बीच यह तकरार ऐसे समय बढ़ी हुई है, जब कर्नाटक की 14 सीटों के लिए 26 अप्रैल को मतदान है। इनमें बेंगलुरु की चारों सीट (उत्तर, दक्षिण, सेंट्रल और ग्रामीण) के साथ चिकबल्लपुर, उडुपी-चिकमंगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूरु, चामराजनगर और कोलार लोकसभा सीट शामिल हैं।

कांटे का मुकाबला

इन 14 सीटों में 2019 में भाजपा ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस सिर्फ बेंगलुरु ग्रामीण सीट जीत पायी थी, जहां से डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश ने जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार इस सीट पर भी कड़ा मुकाबला है। यहां से भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के दामाद और चिकित्सक डॉ. सीएन मंजूनाथ को मैदान में उतारा है, जो वोक्कालिगा समाज से आते है। कांग्रेस प्रत्याशी डीके सुरेश भी वोक्कालिगा समाज से हैं।

दो सीटों पर मिली थी हार

भाजपा 2019 में जो दो सीटें नहीं जीत पाई थी, उनमें दूसरी हासन थी। यहां से जेडीएस ने जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार जेडीएस भाजपा के साथ मैदान में है, लेकिन मुकाबला कड़ा है। बेंगलुरु की तीनों सीट (उत्तर, दक्षिण और सेंट्रल) और चिकबल्लपुर में जेडीएस के साथ आने भाजपा जीत को लेकर निश्चिंत है।

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चिकबल्लपुर से भाजपा ने इस बार डॉ. के सुधाकर को मैदान में उतारा है, जो वोक्कालिगा समाज से ही आते हैं। यह सीट वैसे भी वोक्कालिगा के दबदबे वाली सीट मानी जाती है। कांग्रेस की ओर से इस सीट पर रक्षा रमैया मैदान में हैं। राज्य के बदले सियासी समीकरणों में कांग्रेस जीत के आंकड़े को बढ़ाने की कोशिश में है।

पानी के संकट का मुद्दा

हालांकि बेंगलुरु व आसपास की लोकसभा सीटों पर पानी का मुद्दा कांग्रेस को परेशान कर रहा है। भाजपा इसे तूल दे रही है और राज्य सरकार पर कमी से ज्यादा बदइंतजामी का आरोप लगा रही है। कांग्रेस भी केंद्र से मदद न मिलने को लेकर भाजपा को घेरने में जुटी है। वह घरों में पानी पीने या स्नान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लोटे को दिखा रही है और यह बता रही है कि केंद्र से मदद न मिलने से यह खाली है।

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कन्नड़ में लोटा को ‘चोंबू’ कहा जाता है। इस बीच कर्नाटक के प्रभारी और कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का वह बयान यहां खूब चर्चा में है, जिसमें वह कह रहे है कि राज्य से चुने गए भाजपा और जेडीएस के 27 सांसदों ने हमारे लोगों को जो कुछ दिया, वह सभी चोंबू (लोटा) था। इन सभी चोंबू के बदले कर्नाटक के लोग इस बार भाजपा को एक बड़ा चोंबू देंगे। भाजपा प्रवक्ता मोहन कृष्ण उनके इन आरोपों पर कहते है कि गारंटियों को पूरा करने के चलते कांग्रेस का लोटा खाली हो गया है।

सालों से नहीं बदली कांग्रेस की स्थिति

कर्नाटक में पिछले कई लोकसभा चुनावों से कांग्रेस की स्थिति खराब ही चल रही है। वर्ष 1998 के बाद से राज्य में पार्टी नौ से अधिक सीटें नहीं जीती। पार्टी को 1998 और 2014 में जहां नौ सीटों से संतोष करना पड़ा था, वहीं 2004 में वह आठ और 2009 में सिर्फ 6 सीटें ही जीत पायी थी। 2019 में पार्टी को सबसे बड़ा झटका लगा था, जब कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक सीट बचा पायी थी।

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