Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2024: झारखंड में ये मतदाता तय करेंगे प्रत्याशियों की किस्मत, जानिए सीटों का सियासी समीकरण

Jharkhand Lok Sabha Election 2024 झारखंड का चुनावी रण भी इस बार रोचक होने वाला है। यहां पर कई सीटों पर एक ही वर्ग का मतदाता निर्णायक भूमिका में है ऐसे में इन्हें साधना हर दल के लिए चुनौती साबित होगी। फिलहाल जानिए कि यहां किस सीट पर कौन उम्मीदवार है और क्या हैं इनमें समीकरण। पढ़ें रिपोर्ट. . .

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 28 Apr 2024 09:14 AM (IST)
Hero Image
Lok Sabha Election 2024: चौथे चरण में झारखंड की चार सीटों पर होगा चुनाव।
आरपीएन मिश्र, रांची। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में झारखंड की खूंटी सीट पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा भाजपा का प्रमुख आदिवासी चेहरा हैं। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में खूंटी क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य की सबसे बड़ी सीट है। यहां आदिवासी वोट ही निर्णायक होते हैं।

इस बार एक और खास बात यह है कि यहां पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाता हैं। यह स्थिति झारखंड में खूंटी के साथ ही सिंहभूम, लोहरदगा और राजमहल में भी है। अधिक महिलाओं वाली ये चारो सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित है। ऐसे में अर्जुन मुंडा की खू्ंटी समेत इन चारों सीटों पर प्रत्याशियों के भाग्य का निर्णय आदिवासी महिलाएं ही तय करेंगी।

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में झारखंड में तीन आदिवासी सुरक्षित सीटों सिंहभूम, लोहरदगा और खूंटी तथा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट पलामू में चुनाव हो रहा है। इन चार में तीन सीटें खूंटी, लोहरदगा और पलामू पिछले चुनाव में भाजपा के खाते में थीं, जबकि सिंहभूम सीट कांग्रेस की गीता कोड़ा ने जीती थी। इस बार गीता कोड़ा पाला बदलकर सिंहभूम में भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।

भाजपा का गढ़ रही है खूंटी

भाजपा का गढ़ मानी जानी वाली आदिवासी बहुल खूंटी सीट पर पिछले कई चुनावों से भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही है। लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और भाजपा के वयोवृद्ध नेता पद्मभूषण कड़िया मुंडा यहां से आठ बार सांसद रहे हैं। अर्जुन मुंडा के सामने इस बार भी यहां उन्हीं की पार्टी के स्थानीय विधायक नीलकंठ मुंडा के बड़े भाई कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा है।

ऐसे में पिछले चुनाव की ही तरह इस बार भी लड़ाई मुंडा बनाम मुंडा की है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा कड़े संघर्ष के बीच कालीचरण मुंडा से 1,445 मतों से जीते थे। इस बार यहां से कैथोलिक चर्च से संबंध रखने वाली अर्पणा हंस को झारखंड पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है, जबकि पत्थलगड़ी विद्रोह को लेकर चर्चा में रही बबीता बेलोस कच्छप भी मैदान में हैं।

सिंहभूम में दिखेगा महिला शक्ति का दम

पलामू और सिंहभूम में भाजपा का मुकाबला क्षेत्रीय दल राजद और झामुमो से है। सिंहभूम में आदिवासी वोट निर्णायक होते हैं, जबकि बिहार से सटे पलामू में अनुसूचित जातियों के वोट हार-जीत तय करेंगे। नारी शक्ति इन दोनों ही सीटों पर मुख्य मुकाबले में है। सिंहभूम में भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा का सीधा मुकाबला झामुमो की प्रत्याशी और राज्य सरकार की पूर्व मंत्री जोबा मांझी से है। दो महिलाओं के आमने -सामने होने से यहां का चुनाव दिलचस्प हो गया है। दोनों में एक समानता यह भी है कि दोनों अपने पतियों की राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं।

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: सत्ता युद्ध का अजेय अभिमन्यु, जिसने कभी नहीं देखी पराजय, लेकिन आज किला बचाने के लिए संघर्ष

पलामू में पूर्व नक्सली भी मैदान में

पलामू में दो बार से चुनाव जीत रहे भाजपा प्रत्याशी वीडी राम का मुकाबला राजद की ममता भुइयां से है। नक्सली से नेता बने पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा भी इस बार यहां बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यह पहलु भी खास है कि राज्य के पूर्व डीजीपी रहे वीडी राम औऱ पूर्व नक्सली कामेश्वर बैठा दोनों इस सीट पर लड़ रहे हैं। आईएनडीआईए की शीट शेयरिंग में राज्य की यह इकलौती सीट राजद के खाते में आई है। राजद यहां पिछले चुनावों में भी बेहतर प्रदर्शन करता रहा है। 2019 में यहां भाजपा के वीडी राम ने 4,75,284 मतों के अंतर से राजद के घूरन राम को हराया था।

ये भी पढ़ें- 'यह भाजपा है, किसी के आने से कांग्रेसयुक्त नहीं होगी', अनुराग ठाकुर ने विशेष बातचीत में दिए सवालों के बेबाक जवाब

लोहरदगा में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति

लोहरदगा सीट पर भी खूंटी और सिंहभूम की तरह आदिवासी वोट ही निर्णायक होते हैं। भाजपा ने इस बार दो बार के सांसद सुदर्शन भगत का टिकट काट उनकी जगह युवा नेता व राज्यसभा सदस्य समीर उरांव को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की ओर से यहां पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक सुखदेव भगत मैदान में हैं। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रहती है।

उधर, महागठबंधन में कांग्रेस के खाते में चले जाने के बाद इस बार झामुमो के विधायक चमरा लिंडा यहां बागी रुख अख्तियार कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनती दिख रही है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा के सुदर्शन भगत ने यहां कांग्रेस के सुखदेव भगत को कड़े मुकाबले में 10,363 मतों से हराया था।

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: शिवराज सिंह चौहान को केंद्र में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी, पीएम मोदी दे चुके हैं संकेत