Lok Sabha Election 2024: उद्धव के सामने कांग्रेस ने टेके घुटने, सबसे मजबूत सीट भी सौंपी! विद्रोह में स्थानीय संगठन
Lok Sabha Election 2024 महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी में सीटों का बंटवारा हो गया है। उद्धव ठाकरे के आगे कांग्रेस ने अपने हथियार डाल दिए। दरअसल उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट सांगली छीन ली है। अब यह सीट शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से में आ गई है। बता दें कि इस सीट पर कांग्रेस 1962 से 2009 तक एक भी चुनाव नहीं हारी है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस से अंततः उसकी सबसे मजबूत सीट भी छीन ली। पश्चिम महाराष्ट्र की सांगली लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेतृत्व के हथियार डाल देने से वहां कांग्रेस संगठन में विद्रोह जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
कांग्रेस, राकांपा (शपा) और शिवसेना (यूबीटी) आदि दलों के गठबंधन महाविकास आघाड़ी ने आज अपना सीटों का बंटवारा सार्वजनिक कर दिया। इस बंटवारे में कांग्रेस एक बार फिर शिवसेना (यूबीटी) के सामने घुटने टेकती नजर आई। उसने अपनी सबसे मजबूत सांगली की सीट भी शिवसेना (यूबीटी) को सौंप दी।
कांग्रेस के स्थानीय संगठन में विद्रोह
अब कांग्रेस नेतृत्व के इस निर्णय को लेकर स्थानीय संगठन विद्रोह पर उतर आया है। सांगली महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे वसंतदादा पाटिल का गृह जनपद है। वह न सिर्फ राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे, बल्कि उन्हें महाराष्ट्र में सहकारिता की स्थापना करनेवाले चंद नेताओं में भी जाना जाता है।
वह खुद 1980 में एक बार सांगली से ही लोकसभा में भी गए। उनके बाद उनकी पत्नी शालिनीताई पाटिल, पुत्र प्रकाश बापू पाटिल एवं पौत्र प्रतीक पाटिल भी इसी सीट से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे।
यहां कितनी मजबूत है कांग्रेस?
यह सीट कांग्रेस की इतनी मजबूत सीट रही है कि 1962 से 2009 तक कांग्रेस यहां से कभी हारी ही नहीं। 2014 में पहली बार प्रबल मोदी लहर में भाजपा के उम्मीदवार संजय काका पाटिल इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार प्रतीक पाटिल को हराने में सफल रहे थे।
2019 में भी भाजपा के संजय काका पाटिल ही इस सीट से जीते थे, लेकिन तब उनकी जीत में वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार गोपीचंद पडलकर को मिले तीन लाख से ज्यादा मतों ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
उद्धव ने चला था ये दांव
यह सीट शिवसेना के पास तो कभी रही ही नहीं। फिर भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उसने बहुत पहले ही सांगली के कुश्ती के खिलाड़ी महाराष्ट्र केसरी चंद्रहार पाटिल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। कांग्रेस की तमाम मिन्नतों के बावजूद उद्धव ठाकरे ने वहां से अपना उम्मीदवार वापस नहीं लिया।
आज सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा के बाद स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी परंपरागत और सबसे मजबूत सांगली की सीट भी शिवसेना (यूबीटी) को सौंप दी है। इससे कांग्रेस के स्थानीय संगठन में विद्रोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्थानीय नेता बुधवार को अपनी रणनीति स्पष्ट करने वाले हैं।
यहां भी घुटने टेक चुकी कांग्रेस
सांगली महाराष्ट्र की अकेली सीट नहीं है, जहां कांग्रेस नेतृत्व ने अपने स्थानीय नेताओं की इच्छा के विरुद्ध शिवसेना (यूबीटी) के सामने घुटने टेके हों। मुंबई में भी दक्षिण मुंबई और उत्तर-पश्चिम मुंबई की सीटें वह अपने स्थानीय नेताओं की इच्छा के विरुद्ध उद्धव ठाकरे की पार्टी को दे चुकी है। यही कारण है कि मुंबई कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा और संजय निरुपम से उसे हाथ धोना पड़ा है।
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