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Lok Sabha Election 2024: क्या होता है पोस्टल बैलट? जानिए इससे कौन और कैसे कर सकता है मतदान

What is Postal Ballot लोकसभा चुनाव के लिए तीन चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं और अब सोमवार 13 मई को चौथे चरण का मतदान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव में ईवीएम के साथ पोस्टल बैलेट से भी मतदान की सुविधा दी जाती है। जानिए क्या होता है ये और कौन कर सकता है इससे मतदान।

By Irfan E Azam Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 12 May 2024 07:43 PM (IST)
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What is Postal Ballot: पोस्टल बैलट से मतदान के लिए मतदाताओं को फॉर्म 12डी द्वारा आवेदन करना पड़ता है।
इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी। भारत में चुनाव विशेष कर आम चुनाव को लोकतंत्र के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसमें हरेक मतदाता का मतदान बहुत महत्वपूर्ण होता है। सो, हर मतदाता चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो, अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके, इसके लिए चुनाव आयोग ने कई उपाय कर कई सुविधाएं दी हैं। उन्हीं में एक पोस्टल बैलट या डाक मत पत्र द्वारा मतदान भी है।

चुनावों में कुछ लोग जैसे पुलिस व सुरक्षा बलों के अधिकारी एवं जवान, चुनाव ड्यूटी में तैनात अधिकारी व कर्मचारी, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी और प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग आदि चुनावों में अपने क्षेत्र के मतदान केंद्र जा कर मतदान नहीं कर पाते थे, इसीलिए उपाय स्वरूप पोस्टल बैलट से मतदान की सुविधा दी गई। चुनाव आयोग ने चुनाव नियमावली-1961 के नियम 23 में संशोधन करके ऐसे लोगों को चुनावों में पोस्टल बैलट या डाक मत पत्र की सहायता से मतदान करने की सुविधा प्रदान की।

क्या होता है पोस्टल बैलट?

यह अपने नाम से ही स्पष्ट है कि, यह पोस्टल बैलट एक डाक मत पत्र होता है। यह 80 के दशक में चलने वाले बैलेट पेपर की तरह ही होता है। चुनावों में इसका इस्तेमाल उन लोगों द्वारा किया जाता है जो कि अपनी नौकरी के कारण अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान नहीं कर पाते हैं। जब ये लोग पोस्टल बैलट द्वारा मतदान करते हैं तो इन्हें सर्विस वोटर्स अथवा ऐबसेंटी वोटर्स कहा जाता है।

क्या है प्रशासनिक प्रावधान

चुनाव आयोग पहले से ही चुनावी क्षेत्र में डाक मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या को निर्धारित कर लेता है। सो, केवल उन्हीं लोगों को पोस्टल बैलट भेजा जाता है। इसे इलेक्ट्रानिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम (ईटीपीबीएस) भी कहा जाता है। मतदाता द्वारा अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देकर इस पोस्टल बैलट को डाक या इलेक्ट्रानिक तरीके से वापस चुनाव आयोग के सक्षम अधिकारी को लौटा दिया जाता है।

इस व्यवस्था के तहत खाली पोस्टल बैलट को सेना और सुरक्षा बलों को इलेक्ट्रिक तौर पर भेजा जाता है जिन इलाकों में इलेक्ट्रिक तरीके से पोस्टल बैलट नहीं भेजा जा सकता है वहां पर डाक के माध्यम से पोस्टल बैलट भेजा जाता है।

कौन-कौन कर सकते हैं उपयोग

सैनिक, चुनाव ड्यूटी में तैनात अधिकारी व कर्मचारी, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी, प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग (कैदियों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है), 80 वर्ष से अधिक की उम्र के वोटर और दिव्यांग व्यक्ति (यदि पहले से रजिस्ट्रेशन करा लें तो) पोस्टल बैलट का उपयोग कर मतदान कर सकते हैं।

वहीं, मतदान दिवस की गतिविधियों को कवर करने वाली आवश्यक सेवाओं में लगे, चुनाव आयोग से प्राधिकरण पत्र प्राप्त मीडियाकर्मी, मेट्रो, रेलवे और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं में शामिल लोगों के पास लोकसभा और चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पोस्टल बैलट का उपयोग करके मतदान करने का विकल्प है। ऐसे मतदाता जिस चुनाव क्षेत्र में वोट डालने के लिए योग्य होते हैं उनका वोट उसी क्षेत्र की मतगणना में गिना जाता है।

पोस्टल बैलट के लिए कैसे करें आवेदन

पोस्टल बैलट से मतदान हेतु आवेदन करने के लिए, पात्र मतदाताओं को अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को फॉर्म 12डी द्वारा आवेदन करना पड़ता है। आवेदन में आम तौर पर व्यक्तिगत विवरण, मतदाता पहचान विवरण और डाक मतपत्र मांगने का कारण बताना आवश्यक होता है।

आरओ पात्रता की पुष्टि करता है और मानदंड पूरा होने पर डाक मतपत्र जारी करता है। सर्विस वोटर्स के लिए, आरओ सीधे रिकार्ड कार्यालय के माध्यम से या भारत के बाहर सेवारत सेवा मतदाताओं के लिए विदेश मंत्रालय के माध्यम से डाक मतपत्र भेजता है।

कैसे होता है पोस्टल बैलट से मतदान

एक बार स्वीकृत हो जाने के बाद निर्वाचन अधिकारी मतदाता के पंजीकृत पते पर डाक मतपत्र भेजता है, जिसमें मतपत्र, घोषणा पत्र, गोपनीयता पत्र और प्री-पेड वापसी लिफाफा शामिल होता है। गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए मतदाता गोपनीयता पत्र में मतपत्र पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चिह्नित करते हैं। फिर, मतदाता घोषणा पत्र भरते हैं, अपने हस्ताक्षर और अन्य प्रासंगिक विवरण प्रदान करते हैं। उसके बाद सब कुछ वापसी लिफाफे के अंदर रख कर उसे सील कर देते हैं।

उस लिफाफे पर मतदाता डाक टिकट चिपका कर निर्दिष्ट समय के भीतर निर्दिष्ट पते पर वापसी लिफाफा वापस भेज देते हैं। वहीं, 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों एवं पूर्ण विकलांगों के लिए, दो मतदान अधिकारी, एक वीडियोग्राफर और सुरक्षा कर्मियों की एक टीम उनके आवास पर जाती है और उनका मतदान संपन्न कराया जाता है। ऐसे मतदाताओं को उनके घर पर टीम के पहुंचने की तारीख और समय की जानकारी पहले ही मोबाइल पर एसएमएस के जरिये भेज दी जाती है।

कब हुई शुरुआत

पोस्टल बैलेट की शुरुआत 1877 में पश्चिमी आस्ट्रेलिया में हुई थी। इसे फिर इटली, जर्मनी, स्पेन, स्विट्जरलैंड और यूनाइटेड किंगडम में भी अपनाया गया। हालांकि, इन देशों में पोस्टल बैलट के नाम अलग अलग हैं। फिर, भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव नियामावली-1961 के नियम 23 में संशोधन करके भारत में भी पोस्टल बैलट का प्रावधान किया। पोस्टल बैलट से मतदान की सुविधा के लिए 21 अक्टूबर 2016 को अधिसूचना जारी की गई थी।

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प्रवासी मजदूरों के लिए भी उठी मांग

अब सिटीजन्स फार जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) व अन्य मानवाधिकार संगठनों की ओर से प्रवासी मजदूरों को भी पोस्टल बैलट से मतदान का अधिकार व सुविधा देने की मांग की जाने लगी है। क्योंकि, अपने घर अथवा गृह राज्य से मीलों दूर प्रवास में रह कर मजदूरी करने वाले ज्यादातर प्रवासी मजदूर चुनाव के समय अपने घर जा कर मतदान कर पाने में असमर्थ होते हैं।

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कब होती है पोस्ट बैलट की गणना

पोस्टल बैलट की गणना भी आम मतगणना वाले दिन ही होती है। उस दिन, डाक मतपत्रों को डाक अधिकारियों द्वारा एकत्र किया जाता है और मतगणना केंद्र पर लाया जाता है। निर्वाचन अधिकारी संपूर्णता और वैधता के लिए पोस्टल बैलट्स की जांच करते हैं, और वैध मतपत्रों को संबंधित उम्मीदवार की वोटों की गिनती में जोड़ते हैं।

मतगणना केंद्रों पर जब मतगणना शुरू होती है तो सबसे पहले अलग से पोस्टल बैलट से ही गिनती शुरू की जाती है। उसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती की जाती है। पोस्टल बैलेट की संख्या कम होती है और ये कागजी मत पत्र होते हैं, इसलिए इन्हें गिना जाना आसान होता है।

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