मध्य प्रदेश की वो सीट... जहां शरद यादव ने तोड़ा था कांग्रेस का तिलिस्म, राजनीति में दिग्गज नेता का हुआ उदय
मध्य प्रदेश में जन्मे और उत्तर प्रदेश व बिहार में राजनीतिक धमक कयाम करने वाले शरद यादव के राजनीतिक उदय का किस्सा भी रोचक है। जेल में बंद शरद यादव की किस्मत ऐसे खुली कि कांग्रेस का लगातार जीत का तिलिस्म भी एक झटके में टूट गया था। मध्य प्रदेश की जबलपुर सीट पर 1974 में पहली बार शरद यादव ने उपचुनाव में जीत दर्ज की थी।
जेएनएन, जबलपुर। दिग्गज नेता शरद यादव भले ही आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनसे जुड़े चुनावी किस्सों की चर्चा आज भी होती है। शरद यादव ने राजनीति में कदम मध्य प्रदेश के जबलपुर लोकसभा सीट से रखा था। उपचुनाव जीत कर वे पहली बार संसद पहुंचे थे।
शरद यादव ने जबलपुर से पढ़ाई की और यहां की छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे। जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। जबलपुर सीट पर कांग्रेस की लगातार जीत का सिलसिला को तोड़ने वाले नेता के रूप में शरद यादव की पहचान हुई।
साल 1974 में जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे सेठ गोविंद दास के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। उपचुनाव में कांग्रेस ने गोविंद दास के पोते रविमोहन को चुनाव मैदान में उतारा। इस बीच शरद यादव जेपी आंदोलन के कारण रायपुर जेल में बंद थे। हालांकि इस आंदोलन की वजह से ही राजनीति में उनका उदय हुआ।
शरद यादव ने इस पार्टी से लड़ा था चुनाव
सभी दलों ने मिलकर जबलपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के खिलाफ शरद यादव को चुनावी रण में उतार दिया। शरद यादव ने लोकदल से चुनाव लड़ा। उनका चुनाव निशान हलधर किसान था। जनता का मूड शरद यादव के पक्ष में रहा। वे कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर पहली बार लोकसभा सदस्य बने थे।
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बदायूं और मधेपुरा से भी पहुंचे संसद
1977 में दूसरी बार जनता दल की टिकट पर शरद यादव ने जबलपुर सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि उनकी जीत का सिलसिला 1980 लोकसभा चुनाव में थम गया था। इसके बाद वे उत्तर प्रदेश की बदायूं और बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से संसद पहुंचे। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश का संसद में प्रतिनिधित्व किया था।