Lok Sabha Election 2024 : महिला वनकर्मी छत्तीसगढ़ी बोली में कर रहीं वोटिंग की अपील, मतदाताओं को किस बात का सता रहा डर?
Lok sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव में मतदान का कम प्रतिशत चुनाव आयोग के लिए चिंता का विषय है। इसी बीच छत्तीसगढ़ के कटघोरा व कोरबा वन मंडल के धुर हाथी प्रभावित क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत ना गिरे इसके लिए वनकर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है। वहीं महिलाएं छत्तीसगढ़ी बोली में मतदाताओं को वोटिंग के लिए जागरूक कर रही हैं।
Lok sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ में चुनाव मतदान कम होने पर चुनाव आयोग गंभीर है। इसी क्रम में जिला निर्वाचन विभाग लोगों को मतदान के लिए जागरूक किया जा रहा है। कटघोरा व कोरबा वन मंडल जैसे इलाकों में मतदान का प्रतिशत ना गिरे इसके लिए महिला वनकर्मी गांव में चौपाल लगाकर वे गांव की महिलाओं को छत्तीसगढ़ी बोली में बता रही हैं।
छत्तीसगढ़ के कटघोरा व कोरबा वन मंडल के धुर हाथी प्रभावित क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत ना गिरे, इसके लिए वनकर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है। महिला वनकर्मी प्रभावित क्षेत्र के महिलाओं को जागरूकर कर रहीं हैं। इसके लिए गांव में चौपाल लगाई जा रही है। चौपाल में आने वाली महिलाओं को छत्तीसगढी बोली में मतदान के प्रति जागरूक किया जा रहा है। महिलाएं छत्तीसगढ़ी बोली में बता रही हैं कि 'संझाकुन हाथी आ जा जाथे, एकर खातिर बेरा रहत मतदान करके सुरक्षित रहा'। यानी शाम होते ही हाथी के विचरण का खतरा बढ़ जाता है, इस कारण 7 मई को दिन रहते मतदान कर घर में सुरक्षित रहें।
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डेढ़ महीने से 49 हाथियों का इलाके में डेरा
दरअसल, इन दिनों केंदई रेंज के कांपा नवापारा में 49 हाथियों ने पिछले डेढ़ महीने से डेरा डाल रखा है। कोरबा वनमंडल के कुदमुरा व लबेद इलाके में करीब 39 हाथियों की सक्रियता है। वन विभाग ने हाथी दल से लोगों की दूरी बनाए रखने को लेकर अपना अभियान तेज कर दिया है। दरअसल, हाथियों से प्रभावित इलाकों के दायरे में 60 से भी ज्यादा पोलिंग बूथ आते हैं।
ये इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित
सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित क्षेत्र में पाली-तानाखार और रामपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। दोनों ही वन मंडलाें में हाथियों के विचरण ने सुरक्षित मतदान को लेकर चिंताएं और बढ़ा दी हैं। यही कारण है कि वन विभाग ने बेहतर मतदान के लिए लोगों को जागरूक करने के लिहाज से काम तेज कर दिया है। इसके लिए प्रोजेक्टर व मनोरंजक कार्यक्रम के माध्यम से लोगों लोगों को हाथी दूर रहने की समझाइश दी जा रही है। साथ ही मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है।हाथियों की सक्रियता के कारण कम मतदान
दरअसल, कटघोरा के केंदई, पसान, एतमानगर, के अलावा कोरबा के पसरखेत रेंज के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान केंद्रों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में मतदान कम रहती है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जंगल की सुरक्षा के लिए हाथियाें की सुरक्षा भी जरूरी है। प्रमुख राष्ट्रीय दलों ने अपने चुनावी घोषणा पत्रों निदान के दिशा में किसी भी प्रकार का जिक्र नहीं किया है। हाथी अभयारण्य को मूर्त रूप देने की दिशा में अब तक ठोस निर्णय की कमी बनी हुई है। विधानसभा चुनाव में यह समस्या मुद्दा का रूप नहीं ले पाई और इस बार लोकसभा चुनाव में भी वही स्थिति है।