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Election 2024: कठिन डगर पर कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में खोए जनाधार की तलाश में भटक रही पार्टी; राज्य की एकमात्र सीट बचाने की भी चुनौती

लोकसभा चुनाव में सभी दलों का ‘गुणा-गणित’ तेज हो गया है। हर सीट पर जातीय समीकरणों और पहले मिले मतों से लेकर इस बार बनती-बिगड़ती संभावनाओं का आकलन अंतिम चरण में है। उत्तर प्रदेश में अपने खोए जनाधार की तलाश में भटक रही कांग्रेस के सामने रायबरेली की अपनी एकमात्र सीट बचाने की भी चुनौती है। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस ने ‘साइकिल’ की सवारी स्वीकारी है।

By Amit Singh Edited By: Amit Singh Updated: Thu, 21 Mar 2024 06:00 AM (IST)
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कांग्रेस ने साइकिल की सवारी स्वीकारी है।
आलोक मिश्र। कांग्रेस के हिस्से आईं सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में उसके व सपा के प्रदर्शन को देखा जाए तो गठबंधन से ‘पंजा’ मजबूत होता नहीं दिख रहा। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा ने बसपा से हाथ मिलाया था और रालोद भी उनके खेमे में था। इस लिहाज से कांग्रेस के हिस्से आई सीटों को देखा जाए तो उनमें सात पर बसपा व एक पर रालोद प्रत्याशी ने किस्मत आजमाई थी।

इस बार ‘खेमेबंदी’ के साथ ‘खेल’ बदला है। कांग्रेस व सपा के साथ गठबंधन में बसपा के भी शामिल होने की अटकलें जरूर रही हैं, पर अब तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा न होने से कांग्रेस के लिए ‘बाजी’ बदलती नहीं दिख रही। कांग्रेस के उम्मीदवारों पर भी बड़ा ‘दारोमदार’ होगा।

12 सीटों पर जब्त हुई जमानत

आंकड़ों के आईने में देखा जाए जो 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हिस्से आईं 17 में 12 सीटों अमरोहा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मथुरा, फतेहपुर सीकरी, सीतापुर, झांसी, बाराबंकी, इलाहाबाद, महाराजगंज, देवरिया व वाराणसी पर उसके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।

उन सीटों की बात करें, जहां भाजपा के मुकाबले सपा-बसपा गठबंधन के तहत सपा प्रत्याशी मैदान में थे, तो इस बार ऐसी छह सीटें गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बाराबंकी, इलाहाबाद, महाराजगंज व वाराणसी कांग्रेस के पास हैं।

  • इनमें गाजियाबाद की बात करें तो भाजपा के वीके सिंह ने जीत दर्ज की थी और उन्हें कुल 9,44,503 वोट मिले थे, जबकि सपा के सुरेश बंसल को 4,43,003 वोट व कांग्रेस की डाली शर्मा को 1,11,944 वोट मिले थे। सपा-कांग्रेस प्रत्याशियों के मतों को जोड़कर भी भाजपा प्रत्याशी के हिस्से 3,89,556 अधिक वोट आए थे।
  • कानपुर में भाजपा के सत्यदेव पचौरी को 4,68,937 मत, कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 3,13,003 व सपा के रामकुमार को 48,275 मत मिले थे। यहां भी सपा-कांग्रेस के मतों को जोड़कर भी भाजपा प्रत्याशी की बढ़त 1,07,659 वोटों की रही थी।
  • झांसी में भाजपा के अनुराग शर्मा को 8,09,272, सपा के श्याम सुंदर सिंह को 4,43,589 व कांग्रेस के शिवशरण को 86,139 वोट मिले थे। यानी सपा-कांग्रेस से कुल मतों से भाजपा के हिस्से 2,79,544 मतों की भारी बढ़त थी।
  • इलाहाबाद में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में गईं रीता बहुगुणा जोशी को 4,94,454, सपा के राजेन्द्र सिंह पटेल को 3,10,179 व कांग्रेस के योगेश शुक्ला को महज 31,953 वोट मिले थे। इस सीट पर भी दोनों दलों के मुकाबले भाजपा के हिस्से 1,52,322 वोट अधिक थे।
  • महाराजगंज में भाजपा के पंकज चौधरी को 7,26,349, सपा के अखिलेश को 3,85,925 व कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत को 72,516 वोट मिले थे। यहां भी सपा-कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के हिस्से 2,67,908 मतों का भारी अंतर है।
  • वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 6,74,664 वोट, सपा की शालिनी यादव को 1,95,159 व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को 1,52,548 मत मिले थे। दोनों दलों के प्रत्याशियों के मुकाबले भाजपा के हिस्से 3,26,957 मतों की महाबढ़त थी। बांसगांव की सीट ऐसी थी, जिसमें पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में नहीं था।

बसपा ने दो सीटों पर मारी थी बाजी

कांग्रेस के हिस्से आई सीटों में पिछले लोकसभा चुनाव में सहारनपुर सीट से बसपा के हाजी फजलुर्रहमान व अमरोहा सीट से कुंवर दानिश अली ने जीत दर्ज की थी। जबकि बुलंदशहर, सीतापुर व देवरिया में बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे और फतेहपुर सीकरी में बसपा प्रत्याशी को तीसरा स्थान मिला था।

वहीं, मथुरा में भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी ने 60.79 प्रतिशत मत हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की थी। यहां रालोद को 34.21 प्रतिशत तथा कांग्रेस को केवल 2.54 प्रतिशत मत ही मिला था। इस बार कांग्रेस अमरोहा से कुंवर दानिश अली को मैदान में उतारने की तैयारी में है।